राजधानी की शिक्षा व्यवस्था अधर में, नहीं है मोबाइल स्कूल से शिक्षा देने की योजना

नई दिल्ली. दिल्ली के सभी निगम विद्यालय बच्चों को शिक्षा का अधिकार (आरटीई)कानून की जमकर धज्जियां उड़ा रहे हैं। तीनों निगमों उत्तरी, पूर्वी और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में जरूरतमंद बच्चों को उनके कार्य स्थल और आवास पर जाकर पढ़ाने (मोबाइल विद्यालय) जैसी प्राथमिक शिक्षा देने की कोई व्यवस्था नहीं है।
राज्य में शिक्षा व्यवस्था पर सारे अधिकारी कन्नीकाट रहे हैं। आरटीई के तहत साफ निर्देश हैं कि जो बच्चे तमाम कोशिशों के बाद भी विद्यालय नहीं आ सकते, उन्हें पढ़ाने के लिए स्थानीय प्राथमिक शिक्षा एजेंसियां खुद उनके पास जाकर शिक्षा देने की व्यवस्था करें। निगम स्वीकार कर चुका है कि दिल्ली में डेढ़ लाख से अधिक बच्चे आज भी स्कूल नहीं जाते। उनके अभिभावक आजीविका की मजबूरी के कारण ठिकाना बदलते रहते हैं।
इससे वे अपने बच्चों को स्कूल में नहीं भेजते। ऐसे बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी दिल्ली नगर निगम की है, लेकिन निगमों ने इस मामले पर जो बताया उससे तो यही लगता है कि उन्हें स्वयं ही नहीं पता कि ऐसा कोई प्रावधान भी है। गौरतलब है कि दिल्ली में इस समय लगभग डेढ़ लाख से अधिक ऐसे बच्चे हैं, जो आज तक विद्यालय में नहीं गए हैं।
इन्हें स्कूलों तक लाने के लिए निगमों की जिम्मेदारी बनती है। गत शनिवार को दक्षिणी निगम ने नींव अभियान के तहत 14 से 30 जुलाई तक विशेष अभियान चलाया है जिसमें 5500 शिक्षकों सहित 300 से अधिक वॉलिंटियरों को भी उतारा गया है। ये सभी लोग चुनी गई लगभग 700 जगहों पर घर-घर जाएंगे और अनपढ़ बच्चों को स्कूलों तक लाने के लिए प्रेरित करेंगे।
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