नए रंग में नजर आएगी दिल्ली विधानसभा, पहली बार 96 फीसदी सीट किसी एक दल के पास

नए रंग में नजर आएगी दिल्ली विधानसभा, पहली बार 96 फीसदी सीट किसी एक दल के पास
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1993 के बाद से अबतक यह पहला मौका है जबकि किसी पार्टी के पास विधानसभा के 96 फीसदी सीटें होगी।
नई दिल्ली. दिल्ली के छठे विधानसभा का पहला सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है। 1993 से अब तक हुए विधानसभा सत्र की तुलना में यह सत्र सबसे अलग नजर आएगा। 1993 के बाद से अबतक यह पहला मौका है जबकि किसी पार्टी के पास विधानसभा के 96 फीसदी सीटें होगी।
इससे पहले 1998 में कांग्रेस के पास 74 फीसदी सीट थी। वहीं इस सत्र आप और भाजपा के अलावा किसी अन्य पार्टी का नाम भी विधानसभा में नहीं दिखेगा। अब तक यह कांग्रेस, भाजपा, जdelhi assemblyनता दल, लोकजन शक्ति पार्टी, शिरोमणि अकाली दल व अन्य पार्टियों की पट्टिका दिखाई देती थी।
1993 में विधानसभा के गठन के बाद दिल्ली की जनता ने भाजपा पर विश्वास कर उन्हें 49 सीटें दी थी। इस दौरान जनता दल को 4, कांग्रेस को 14 और निर्दलीय को 3 सीटें मिली थी। 1998 में कांग्रेस ने बाजी मारी और दिल्ली की 70 में से 52 सीटो पर कब्जा किया। 15 सीटें भाजपा के पास और एक जनता दल व दो निर्दलीय के हाथ लगी। 2003 में कांग्रेस की सीटें घटकर 47 हो गई। भाजपा की 20, जनता दल, एनसीपी व निर्दलीय की एक एक सीट रही।
2008 में कांग्रेस को फिर नुकसान हुआ और सीट घटकर 43 हो गई। भाजपा 23, लोकजन शक्ति पार्टी एक, बहुजन समाज पार्टी दो और निर्दलीय को एक सीट मिली। 2013 में हुए चुनाव में कांग्रेस का सबसे खराब प्रदर्शन रहा। पार्टी सिमट कर आठ सीट पर पहुंच गई और भाजपा को 31 सीट मिली। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी ने एंट्री करते हुए 28 सीटों पर कब्जा किया। वहीं शिरोमणि अकाली दल ने एक, जनता दल (यू) ने एक और एक निर्दलीय ने एक सीट पर कब्जा किया।
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