देश में बढ़ रहे हैं साइबर क्राइम के मामले, पहले नंबर पर है जापान

नई दिल्ली.साइबर क्राइम! चार-पांच साल पहले तक इन दो शब्दों से देश के लोगों का कोई खास लेना-देना नहीं था लेकिन अब इंटरनेट और ऑनलाइन बैंकिंग की दुनिया के मुरीदों को तेजी से इसका शिकार होते देखा जा रहा है। एक बानगी देखिये, साल 2011 में साइबर क्राइम के कुल 13301 मामले रजिस्टर्ड किए गए थे पिछले साल मई तक यह आंकड़ा 62189 हो चुका था। एसौचेम-महिंद्रा एसएसजी द्वारा की गई स्टडी पर गौर करें तो कई और चौंकाने वाले तथ्य सामने आते हैं।
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साल 2014 में देश में साइबर क्राइम की लगभग डेढ़ लाख वारदातें होने की बात स्टडी में कही गई है जिसके 2015 में बढ़कर लगभग दोगुणा होने का अनुमान जताया गया है। देश में हर महीने साइब्रर क्राइम के करीब साढ़े 12 हजार केस दर्ज हो रहे हैं और इनको अंजाम देने वाले ज्यादातर अभियुक्त 18 से 30 साल की उम्र के युवा हैं।
ऑनलाइन बैंकिंग और शॉपिंग की चाहत तो तकनीक के जरिये किए जा रहे आर्थिक अपराधों की राह आसान कर ही रही है साथ ही देश के भीतर और बाहर बैठे अपराधियों द्वारा लालच भरे ईमेल ऑफर भी भोले-भाले अनजान लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रहे हैं। बैंक खाते में सेंध और एटीमएम कार्ड की क्लोनिंग साइबर क्राइम के सबसे प्रचलित हथियार बन चुके हैं।
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एसौचेम-महिंद्रा एसएसजी की ‘साइबर एंड नेटवर्क सिक्युरिटी फ्रेमवर्क’ पर की गई संयुक्त स्टडी पर चर्चा करते हुए एसौचेम के सेक्रेटरी जनरल डीएस रावत ने बताया कि सबसे बड़ी समस्या ये है कि साइबर क्राइम की ज्यादातर वारदातों को चीन, पाकिस्तान, बंग्लादेश, ब्राजील, तुर्की और अलजिरिया जैसे कई अन्य देशों से अंजाम दिया जा रहा है।
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