केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का दावा, 100 दिन में 22 प्रतिशत बढ़ा बिजली उत्पादन

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का दावा, 100 दिन में 22 प्रतिशत बढ़ा बिजली उत्पादन
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कोयले की कम आपूर्ति होने के बावजूद लगभग 22 प्रतिशत बिजली उत्पादन में वृद्धि दर्ज की है

नई दिल्ली. देश में बिजली संकट को पूरी तरह समाप्त करने के लिए मोदी सरकार के पांच साल के एजेंडे से सौ दिन के शासन में प्रशस्त हुए मार्ग से केंद्र सरकार की उम्मीदें जगी हैं। केंद्रीय बिजली व कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने दावा किया है कि इन सौ दिनों के कार्यकाल में कोयले की कमी के बावजूद देश में कोयला आधारित बिजली के उत्पादन में वृद्धि करने में उनकी सरकार की नीतियां सफल रही हैं। मोदी सरकार के सौ दिन के कार्यकाल में बिजली, कोयल और नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय रिपोर्ट कार्ड को पेश करते हुए संबन्धित केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने एक संवाददाता सम्मेलन में यह दावा किया है।

उन्होंने कहा कि उनके मंत्रालय ने इन सौ दिनों में सात महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए है, जिसका नतीजा रहा है कि देश में स्थापित बिजली प्लांटों को कोयले की कम आपूर्ति होने के बावजूद लगभग 22 प्रतिशत बिजली उत्पादन में वृद्धि दर्ज की है, तो वहीं कोयले का उत्पादन भी 5.50 प्रतिशत बढ़ा है। बिजली तथा कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि बिजली घरों में कोयले की कमी का कारण अत्यधिक बिजली उत्पादन के लिये तेजी से भंडार का इस्तेमाल होना है।

गोयल ने कहा कि कोयला घोटाले के कारण इस क्षेत्र में मोदी सरकार को कोयले का निम्न उत्पादन और राज्य बिजली बोडरें का तीन लाख करोड़ रुपए का घाटा विरासत में मिला है। इसके बावजूद मुश्किलों की इस घड़ी के बावजूद सरकार के बुलंद हौंसले ने उस लक्ष्य को हासिल करने का रास्ता तैयार कर लिया है, जिसमें मोदी सरकार के एजेंडे में पांच सालों के भीतर देश के हर घर में बिजली की रोशनी होगी। कोल इंडिया ने और अधिक कोयला खरीदने का फैसला किया, जिसके अतिरिक्त केंद्र सरकार छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिसा में तीन महत्वपूर्ण रेलवे लाइन स्थापित करने का काम तेजी से कर रही है, जिससे वर्ष 2017-18 तक प्रतिवर्ष 60 मिलियन टन मुनाफा कमाने की क्षमता हो जाएगी।

जिसके 2021-22 तक 200 मिलियन टन तक पहुंचने का अनुमान है। पीयूष गोयल ने बिजली घरों के लिए कोयला आपूर्ति कम होने की बात से इनकार करते हुए कहा कि कोयला आधारित बिजली घरों में पिछले तीन महीने के दौरान उत्पादन बढ़ाने से बिजली घरों का कोयला भंडार कम हुआ है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अब मॉनसून के गति पकड़ने से बिजली आधारित कोयला घरों पर बोझ कम होगा। उन्होंने कहा कि शुरुआत में मॉनसून की बारिश कम होने से जलबिजली केंद्रों में उत्पादन कम हो गया था, जिसकी भरपाई के लिए कोयला आधारित केंद्रों में उत्पादन बढ़ाना पड़ा। इस दौरान बिजली आपूर्ति में 21.4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। जबकि कोयला उत्पादन सिर्फ 5.5 फीसदी बढ़ा। इससे अतिरिक्त बिजली उत्पादन का बोझ बिजली घरों के कोयला भंडार पर पड़ा और इसमें गिरावट आई। अब बारिश होने से उम्मीद है कि पनबिजली का उत्पादन बढ़ने से कोयला आधारित संयंत्रों पर दबाव कम होगा और उनका उत्पादन बढ़ेगा।
प्लांटों का होगा आधुनिकीकरण
कोयले की व्यवस्था को तर्कसंगत बनाने के लिए कहा कि सरकार ने 32 हजार मेमावाट क्षमता वाले पुराने एवं अक्षम संयंत्र संयंत्रों का आधुनिकीकरण और सुपर क्रिटिक संयंत्र में लिंकेज का स्वत: परिवर्तन की मंजूरी दी है, ताकि उतने ही कोये की खपत कर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सके। वहीं कोल इंडिया ने और अधिक कोयला निकालने के लिए सैद्धांतिक रूप से पांच हजार करोड़ रुपये की लागत पर 250 अतिरिक्त रैंक खरीदने का फैसला किया है।
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