छत्तीसगढ़: नक्शा देखने के लिए अब चांदा मुनारा नहीं, गूगल मैप को होगा इस्तेमाल

छत्तीसगढ़ में जमीन के नक्शे देखने के लिए अब तक इस्तेमाल किया जाने वाला चांदा मुनारा का उपयोग नहीं किया जाएगा। इस काम के लिए अब गूगल मैप का इस्तेमाल किया जाएगा।
प्रदेश के राजस्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांड़ेय ने गुरुवार को विधानसभा में अपने विभागों की बजट अनुदान मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग के माध्यम से अब बहुत से काम ऑनलाइन सिस्टम से संचालित होंगे।
लोग अब घर बैठे अपनी जमीनों का नक्शा खसरा भी ऑनलाइन देख सकते हैं। मंत्री श्री पांड़ेय के विभागों की अनुदान मांगों चर्चा के बाद पारित कर दी गईं।
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राजस्व मंत्री ने बताया कि जमीन के नक्शे देखने की प्रणाली में बदलाव किया जा रहा है। इसके लिए अब जियो रेफरेंस का इस्तेमाल किया जाएगा। सरकार ने नए बजट में इसके लिए 74 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। उन्होंने कहा कि राजस्व संबंधित प्रदेश के 80 प्रतिशत दस्तावेज की कंप्यूटर में एंट्री हो चुकी है।
इंटरनेट के माध्यम से चलने वाली योजनाओं के दूरस्थ क्षेत्र में क्रियान्वयन में नेटवर्क की कमी के कारण होने संबंधी विपक्षी सदस्यों की बातों का जवाब देते हुए मंत्री ने माना कि यह सही है कि शुरुआती दौर में इसमें कठिनाई हो रही है, लेकिन अंतिम रूप से यही व्यवस्था बेहतर साबित होगी।
सबसे अधिक विवाद सीमांकन के
राजस्व मंत्री ने स्वीकार किया कि सभी स्थानों पर जमीन के सीमांकन संबंधी विवाद बड़ी संख्या में सामने आते हैं। जमीन का सीमांकन ही विवाद का विषय है। भूमि संबंधी विवाद चिंता का विषय हैं।
उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग के गुड गवर्नेंस की सबसे अधिक जरुरत छोटे एवं मध्यम वर्ग को ही है। इसी वजह से निचले स्तर के अमले में सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं। श्री पांड़ेय ने कहा कि यह तभी संभव है जब छोटी प्रशासनिक इकाइयां मजबूत हों।
उन्होंने कहा कि कोटवार, पटवारी, ग्राम पटेल जैसे वर्ग के कर्मचारी सरकार की योजनाओं को अाम लोगों तक ले जाने का काम करते हैं।
अबूझमाड़ के गांवों का हवाई सर्वे
राजस्व मंत्री ने कहा कि प्रदेश के दूरस्थ इलाके अबूझमाड़ के 22 गांवों की राजस्व भूमि के रिकार्ड दस्तावेज पर नहीं हैं, वहां रिकार्ड बनाने व दुरुस्त करने के लिए हवाई सर्वे किया जा रहा है।
इसके साथ ही प्रदेश के 1083 गांवो में सर्वे का काम किया जा रहा है। प्रदेश के 11 हजार गांव राजस्व विवाद मुक्त हो चुके हैं। उन्होंने ये भी बताया कि प्रदेश में अब वर्षा मापक यंत्र राजस्व मंड़ल स्तर पर लगाए जाएंगे। इस काम के लिए15 करोड़ का बजट रखा गया है।
खाली पदों को भरने का प्रयास जारी
अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान विपक्ष के सदस्यों ने मुद्दा उठाया कि राजस्व विभाग में बड़ी संख्या में पद खाली हैं, इसकी वजह से लोगों के काम आसानी से नहीं हो पा रहे हैं।
इसके जवाब में मंत्री ने कहा कि पदों की कमी है, लेकिन इन्हें भरने की प्रक्रिया जारी है। कई पदों पर सीधी भर्ती की जा रही है। इसके साथ ही नायब तहसीलदारों को दो साल में ही प्रमोशन दिए गए हैं। अब प्रदेश के हर जिले में करीब पांच तहसीलदार काम कर रहे हैं।
भू-माफिया को रोकने की कोशिश
प्रदेश में भू-माफियाओं के बेलगाम होने संबंधी विपक्षी आरोप का जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि राजस्व विभाग ने भू-माफियाओं को रोकने के लिए कई कदम उठाएं हैं। अब खुद के आवास के लिए 12 हजार वर्गफीट से अधिक की कृषि भूमि का डायवर्सन नहीं किया जा सकता है।
इसी तरह अगर कोई जमीन उद्योग के नाम पर ली गई है तो वहां उद्योग ही लगेंगे। यही नहीं उद्योग के लिए ली गई जमीन पर पांच साल में कोई उद्योग नहीं लगे तो वह जमीन फिर कृषि भूमि के रूप में ट्रांसफर हो जाएगी।
कॉलोनाईजर्स कॉलोनी बनाते हैं तो सड़क मैदान आदि की जमीन कॉलोनाईजर्स के खाते में नहीं रहेगी, ऐसी जमीन शासन के खाते में रखनी होगी।
लोहांडीगुडा की जमीन नहीं होगी वापस
विपक्ष के सदस्य दीपक बैज ने सवाल उठाया था कि बस्तर में टाटा के संयंत्र के लिए ली गई जमीन किसानों को वापस करनी चाहिए क्योंकि वहां उद्योग नहीं लगा है। इसके जवाब में मंत्री ने बताया कि लोहांडीगुड़ा की जमीन का अधिग्रणण जमीन अधिग्रहण कानून 1889 के तहत की गई थी।
इस कानून में जमीन वापस करने का कोई प्रावधान नहीं है। वह जमीन सीएसआईडीसी ने उद्योग के लिए अधिग्रहीत की थी, यह जमीन उसी के पास रहेगी। जमीन का मुआवजा भी दिया जा चुका है।
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