Whirlpool india share: व्हर्लपूल इंडिया के शेयर क्यों अचानक 11% गिरे, क्या होगा आगे?

व्हर्लपूल इंडिया के शेयर क्यों अचानक 11% गिरे, क्या होगा आगे?
X
Whirlpool india: व्हर्लपूल ऑफ इंडिया के 11.8% शेयरों की ब्लॉक डील में बिक्री हुई, जिसके बाद शेयर 11% तक टूट गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक कंपनी के प्रमोटर्स ने ही बड़ी हिस्सेदारी बेची है, हालांकि आधिकारिक पुष्टि अभी बाकी है।

Whirlpool india: व्हर्लपूल इंडिया के शेयरों में गुरुवार सुबह जोरदार गिरावट देखने को मिली। शुरुआती ट्रेड में स्टॉक करीब 11% टूटकर 1070 रुपये तक फिसल गया। गिरावट की वजह एक बड़ी ब्लॉक डील रही, जिसमें करीब 1.5 करोड़ शेयर, यानी कंपनी की लगभग 11.8% हिस्सेदारी, बाजार में बदली गई।

इतनी बड़ी डील का असर सीधे शेयर की कीमत पर दिखा और निवेशकों में हलचल बढ़ गई। हालांकि खरीदार और विक्रेता की पहचान अभी सामने नहीं आई है लेकिन बाजार सूत्रों का मानना है कि कंपनी के प्रमोटर्स ही इस स्टेक को बेचने वाले हैं।

एक्सचेंज की ओर से ब्लॉक डील की कीमत और फाइनल अलोकेशन की जानकारी जल्द जारी की जाएगी। ट्रेडिंग घंटों में यह लेनदेन उन चुनिंदा सबसे बड़ी ब्लॉक डील्स में से एक माना जा रहा, जो हाल के महीनों में किसी कंज्यूमर ड्यूरेबल कंपनी में हुई हो।

इससे पहले सीएनबीसी-टीवी18 की रिपोर्ट में बताया गया था कि प्रमोटर ग्रुप करीब 95 लाख शेयर यानी 7.5 फीसदी हिस्सेदारी लगभग 965 करोड़ रुपये की ब्लॉक डील के जरिए बेचने की तैयारी कर रहा। इसके लिए 1030 रुपये प्रति शेयर का फ्लोर प्राइस तय किया गया था। बाद में सूत्रों ने संकेत दिया कि ब्लॉक डील का आकार बढ़ाकर लगभग 11 फीसदी तक कर दिया गया। यानी प्रमोटर्स ने और ज्यादा स्टेक बेचने का फैसला किया। आधिकारिक पुष्टि अभी बाकी है।

व्हर्लपूल ऑफ इंडिया का अधिकांश हिस्सा व्हर्लपूल मॉरिशस के पास है, जो यूएस-बेस्ड व्हर्लपूल कॉरपोरेशन की सहायक कंपनी है। बीते दो साल में प्रमोटर ग्रुप लगातार अपनी हिस्सेदारी घटा रहा। 2023 के अंत में जहां प्रमोटर स्टेक करीब 75% था, वहीं 2024 और 2025 में हुई कई ब्लॉक डील्स के बाद यह घटकर लगभग 51 फीसदी पर आ गया। यह गिरावट माता कंपनी द्वारा अपने वैश्विक व्यापार और पूंजी आवंटन में बदलाव के तहत की गई रणनीति का हिस्सा मानी जा रही।

फरवरी 2024 में प्रमोटर द्वारा की गई सबसे बड़ी सेल में करीब 3 करोड़ शेयर बेचे गए, जिससे लगभग 468 मिलियन डॉलर जुटाए गए थे। इस रकम का इस्तेमाल ग्लोबल लेवल पर कर्ज घटाने और पोर्टफोलियो री-शफल करने में किया गया। बाजार डेटा बताता है कि व्हर्लपूल ऑफ इंडिया में प्रमोटर की कोई भी हिस्सेदारी गिरवी नहीं है।

जैसे-जैसे प्रमोटर की हिस्सेदारी कम हुई है, वैसे-वैसे संस्थानिक निवेशकों, जैसे विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक, म्यूचुअल फंड और घरेलू संस्थान की पकड़ मजबूत हुई। इससे कंपनी का फ्री-फ्लोट बड़ा हुआ है और बाजार में ट्रेडिंग वॉल्यूम भी बढ़ा है।

(प्रियंका कुमारी)

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo

Tags

Next Story