Insurance Tips: इंश्योरेंस लेते वक्त सिर्फ प्रीमियम न देखें, इन 2 बातों का भी रखें ध्यान, बाद में नहीं होंगे परेशान

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इंश्योरेंस लेते समय दो बातों का भी रखें ध्यान। 
Insurance Tips: इंश्योरेंस लेते वक्त सिर्फ प्रीमियम नहीं, को-पे और डिडक्टिबल जैसे नियमों को भी समझना जरूरी है। को-पे में क्लेम का एक हिस्सा बीमाधारक को खुद भरना होता है जबकि डिडक्टिबल में पहले से तय रकम काटकर ही इंश्योरेंस कंपनी भुगतान करती है।

Insurance Tips: आजकल लोग तेजी से हेल्थ इंश्योरेंस, एक्सीडेंट कवर और ट्रैवल इंश्योरेंस खरीदने लगे हैं। ताकि किसी इमरजेंसी के समय पैसों को लेकर किसी तरह की परेशानी न हो। हालांकि, किसी भी तरह की पॉलिसी खरीदते वक्त अधिकतर लोग सिर्फ प्रीमियम और कवरेज पर ध्यान देते हैं जबकि पॉलिसी की शर्तों में छिपे Co-Payment और डिडिक्टिबल जैसे नियमों को नजरअंदाज कर देते हैं। यही नियम क्लेम के वक्त आपकी परेशानी की वजह बनते हैं।

आइए आसान भाषा में समझते हैं कि ये क्या होते हैं और क्यों जरूरी है इन्हें समझना।

क्या होता है को-पे (Co-pay)?

को-पे एक ऐसा नियम होता है जिसमें बीमाधारक को हर क्लेम का कुछ हिस्सा खुद चुकाना पड़ता है। इसे प्रतिशत में तय किया जाता है। उदाहरण के लिए, अगर अस्पताल का बिल 1 लाख रुपये है और आपकी पॉलिसी में 10% को-पे है, तो आपको 10,000 रुपये खुद भरने होंगे, बाकी बीमा कंपनी देगी।

भारत में इसे को-इंश्योरेंस भी कहा जाता है। को-पे वाला प्लान आमतौर पर बिना को-पे वाले प्लान से सस्ता होता है, लेकिन क्लेम के वक्त जेब से पैसा देना पड़ता है।इसलिए पॉलिसी लेते समय इसका जरूर ध्यान देना चाहिए।

क्या होता है डिडक्टिबल ?

डिडक्टिबल वह रकम होती है जो हर क्लेम पर बीमाधारक को पहले खुद देनी होती है। इसके बाद बाकी खर्च बीमा कंपनी उठाती है। उदाहरण के लिए, अगर डिडक्टिबल 5,000 रुपये है और क्लेम 1 लाख का है, तो पहले 5,000 आप देंगे, फिर बीमा कंपनी 95,000 देगी। डिडक्टिबल ज्यादातर मोटर इंश्योरेंस और ओवरसीज ट्रैवल इंश्योरेंस में होता है।

टॉप-अप पॉलिसी और डिडक्टिबल

टॉप-अप हेल्थ प्लान्स में डिडक्टिबल एक सीमा तय करता है। जैसे ICICI Lombard की हेल्थ बूस्टर पॉलिसी में डिडक्टिबल 3 लाख रुपये है, और कवरेज 5 लाख से 50 लाख तक मिलता है। इसका फायदा तब मिलता है जब आपकी मूल पॉलिसी खत्म हो जाती है।

को-पे और डिडक्टिबल में क्या अंतर

को-पे: हर क्लेम का कुछ प्रतिशत आपको देना पड़ता है।

डिडक्टिबल: हर क्लेम पर पहले से तय रकम आपको देनी होती है, फिर बाकी बीमा कंपनी देती है। इन दोनों का मकसद यह है कि लोग छोटी-छोटी बीमारियों के लिए बार-बार क्लेम ना करें।

अगर आप हेल्थ इंश्योरेंस खरीद रहे हैं तो सिर्फ कम प्रीमियम देखकर ही पॉलिसी लेने का फैसला न करें। को-पे और डिडक्टिबल की शर्तें पढ़ें और समझें कि किसी भी तरह की आपात स्थिति के समय आपकी जेब पर कितना असर पड़ेगा। सही जानकारी से ही सही बीमा प्लान चुनना संभव है।

(प्रियंका कुमारी)

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