क्रिसमस-न्यू ईयर का जश्न पड़ सकता फीका: स्विगी-जोमैटो से 2 दिन नहीं मिल पाएगा मनपसंद खाना! गिग वर्कर्स ने खोला मोर्चा

देशभर में गिग वर्कर्स ने 25 दिसंबर और 31 दिसंबर 2025 को हड़ताल का ऐलान किया।
Gig Workers Strike: क्रिसमस के दिन देशभर में फूड और क्विक-कॉमर्स डिलीवरी सेवाओं पर असर देखने को मिला। स्विगी, जोमैटो, जेप्टो और ब्लिंकिट समेत कई प्लेटफॉर्म के डिलीवरी पार्टनर्स ने ऑल इंडिया स्ट्राइक की, जिससे कई इलाकों में ऑर्डर लेट हुए या रद्द करने पड़े। यह हड़ताल इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स के आह्वान पर 25 दिसंबर को हुई जबकि अगली हड़ताल 31 दिसंबर, न्यू ईयर ईव के लिए घोषित की गई।
हड़ताल का समय ऐसा चुना गया, जब साल के अंत में फूड और ग्रॉसरी डिलीवरी की मांग पूरे देशभर में सबसे ज्यादा रहती है। यूनियन का दावा है कि स्विगी, जोमैटो, जेप्टो, ब्लिंकिट के अलावा अमेजॉन और फ्लिपकार्ट से जुड़े डिलीवरी वर्कर्स भी इस विरोध में शामिल रहे।
मेट्रो सिटी पर हड़ताल का सबसे ज्यादा असर
हड़ताल का सबसे ज्यादा असर गुरुग्राम और दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में दिखा। जहां क्विक-कॉमर्स डिलीवरी कुछ जगहों पर पूरी तरह ठप हो गई। यूजर्स ने शिकायत की कि स्विगी इंस्टामार्ट, जेप्टो और ब्लिंकिट पर ऑर्डर लेने के बाद भी डिलीवरी टाइम काफी बढ़ गया या ऑर्डर कैंसिल हो गए। कई मामलों में ऐप ऑर्डर स्वीकार तो कर रहे थे लेकिन डिलीवरी पार्टनर्स की कमी के चलते उन्हें पूरा नहीं किया जा सका।
10 मिनट डिलीवरी पर बड़ा सवाल
हड़ताल के केंद्र में 10 मिनट डिलीवरी जैसे वादे हैं। यूनियन का कहना है कि इस तरह के अल्ट्रा-फास्ट डिलीवरी टारगेट शहरों की भीड़भाड़ वाली सड़कों पर डिलीवरी पार्टनर्स को असुरक्षित तरीके से वाहन चलाने के लिए मजबूर करते। इसके अलावा, यूनियन की मांगों में तय रेस्ट ब्रेक, पारदर्शी इंसेंटिव सिस्टम, हर ऑर्डर पर न्यूनतम भुगतान और एक्सीडेंट इंश्योरेंस और हेल्थ कवर जैसी सामाजिक सुरक्षा शामिल है।
ज्यादा काम, कम कमाई का आरोप
गिग वर्कर्स एसोसिएशन का आरोप है कि ऑर्डर वॉल्यूम बढ़ने के बावजूद डिलीवरी वर्कर्स की असल कमाई घट रही। इंसेंटिव कम किए जा रहे, देरी पर पेनल्टी लगती है और एल्गोरिदम के जरिए ऑर्डर बांटने की प्रक्रिया पूरी तरह साफ नहीं।
इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा ने भी हाल ही में सोशल मीडिया पर एक तस्वीर साझा कर सवाल उठाए। तस्वीर में ब्लिंकिट के एक डिलीवरी वर्कर की कमाई दिखाई गई, जिसमें 15 घंटे में 28 डिलीवरी कर सिर्फ 763 रुपये मिले- यानी करीब 52 रुपये प्रति घंटा, वो भी पेट्रोल और मेंटेनेंस खर्च से पहले। चड्ढा ने लिखा कि यह गिग इकॉनमी की सफलता नहीं, बल्कि ऐप्स और एल्गोरिदम के पीछे छिपा शोषण है।
न्यू ईयर ईव पर प्रस्तावित दूसरी हड़ताल को देखते हुए यूनियन ने चेतावनी दी है कि 31 दिसंबर को डिलीवरी सेवाएं और ज्यादा प्रभावित हो सकती हैं।
(प्रियंका कुमारी)
