छोटे फाइनेंस बैंक बनाम पोस्ट ऑफिस एफडी: कहां लगाएं पैसा, किसकी स्कीम में मिलेगा अभी ज्यादा फायदा?

पोस्ट ऑफिस या स्मॉल फाइनेंस बैंक? किसकी स्कीम में पैसा लगाना ज्यादा फायदेमंद?
Small Finance Banks Vs Post Office FDs: फिक्स्ड डिपॉजिट भारत में निवेश का सबसे भरोसेमंद तरीका है। यह उन निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प है जो बिना जोखिम के एक तय रिटर्न चाहते हैं। 7 दिन से लेकर दस साल तक की अवधि में पैसा निवेश करके लोग ब्याज समेत सुरक्षित रिटर्न पा सकते हैं। लेकिन अब सवाल यह है कि क्या पोस्ट ऑफिस की एफडी बेहतर है या छोटे फाइनेंस बैंकों की?
छोटे फाइनेंस बैंक इस साल फिक्स्ड डिपॉजिट पर सबसे ऊंचे ब्याज दे रहे। सूर्योदय स्मॉल फाइनेंस बैंक 5 साल की अवधि पर 8.1% ब्याज दे रहा है (वरिष्ठ नागरिकों के लिए)। इसके अलावा जना स्मॉल फाइनेंस बैंक भी 8 फीसदी तक ब्याज दे रहा। वहीं, पोस्ट ऑफिस FD की ब्याज दरें अक्टूबर 2025 तक 1 साल के लिए 6.9%, और 5 साल के लिए 7.5% हैं। यानी यहां स्थिरता तो है, लेकिन रिटर्न थोड़ा कम।
टैक्स का गणित क्या है?
दोनों ही जगह फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाला ब्याज टैक्स के दायरे में आता है। अगर साल भर में ब्याज 40 हजार (वरिष्ठ नागरिकों के लिए 50,000) से ज्यादा हो जाता है तो टीडीएस काटा जाता है। हालांकि, पोस्ट ऑफिस की 5 साल की एफडी पर सेक्शन 80सी के तहत टैक्स बचत का फायदा मिलता है। यानी जो लोग टैक्स सेविंग चाहते हैं, उनके लिए यह बेहतर विकल्प है।
पोस्ट ऑफिस एफडी देशभर में सबसे आसानी से उपलब्ध है। यहां से पैसा 6 महीने बाद निकाला जा सकता है लेकिन तय ब्याज दर में थोड़ा बदलाव हो सकता है। वहीं, स्मॉल फाइनेंस बैंक एफडी भी समय से पहले तोड़ी जा सकती है, लेकिन इसके लिए आमतौर पर 1% ब्याज कटौती (पेनल्टी) लगती है।
किस स्कीम में पैसा लगाना ज्यादा बेहतर?
अगर आप ज्यादा रिटर्न चाहते हैं और थोड़े बहुत टैक्स झंझट या लिक्विडिटी की चिंता नहीं है, तो स्मॉल फाइनेंस बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट आपके लिए बेहतर है। लेकिन अगर आप सरकारी गारंटी, टैक्स बचत, और सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं, तो पोस्ट ऑफिस एफडी ही समझदारी भरा विकल्प है।
दोनों की अगर तुलना करें तो स्मॉल फाइनेंस बैंक की ब्याज दरें ज्यादा हैं लेकिन टैक्स और लिक्विडी के हिसाब से इसमें थोड़ी कमी है। दूसरी तरफ पोस्ट ऑफिस स्कीम में एक सरकारी भरोसा जुड़ा है। इसके अलावा टैक्स बचत और सुरक्षित रिटर्न भी हैं। ऐसे में आप अपने निवेश लक्ष्य, जोखिम और वित्तीय प्लानिंग को ध्यान में रखकर निर्णय ले सकते हैं।
(प्रियंका कुमारी)
