Investment Tips: बाजार के उतार-चढ़ाव में SIP vs Lumpsum, कौन है बेहतर विकल्प?

SIP VS LUMPSUM Investment plan which is better
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SIP VS LUMPSUM कौन है बेहतर?

SIP vs Lumpsum: अस्थिर बाजार में SIP निरंतर निवेश और जोखिम को कंट्रोल करने का बेहतर विकल्प है। लंपसम निवेश सही टाइमिंग पर बड़ा फायदा देता है लेकिन रिस्क भी ज्यादा है। दोनों में से किसी एक को चुनने के लिए कई कारक अहम होते हैं।

SIP vs Lumpsum: बाजार में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव के दौर में निवेशकों के सामने ये सवाल हमेशा खड़ा होता है कि SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) करें या लंपसम निवेश? दोनों तरीकों के अपने फायदे और चुनौतियां हैं लेकिन अनिश्चित समय में सही सेलेक्शन सिर्फ रिटर्न पर नहीं, बल्कि रिस्क मैनेजमेंट, समय और मानसिक संतुलन पर भी निर्भर करता है।

SIP: उतार-चढ़ाव में राहत और अनुशासन

SIP में तय समय (जैसे हर महीने) पर तय रकम का निवेश किया जाता है। यह बाजार के उतार-चढ़ाव में औसत लागत (Rupee Cost Averaging) का फायदा देता है। गिरावट में ज्यादा यूनिट्स और बढ़त में कम यूनिट्स खरीदकर आपका निवेश धीरे-धीरे संतुलित होता है। सबसे बड़ी बात, SIP आपको निवेश में एक अनुशासन देता है और बाजार टाइमिंग के दबाव से बचाता है, जो अस्थिर समय में सबसे मुश्किल होता है।

लंपसम: सही टाइमिंग पर बड़ा फायदा

लंपसम में एक बार में बड़ी रकम निवेश की जाती है। अगर इसके बाद बाजार तेजी पकड़ ले, तो फायदा ज्यादा हो सकता है। लेकिन, अगर निवेश के फौरन बाद बाजार गिर जाए, तो घाटा भी उतना ही तेज लग सकता है। लंबे समय की सोच और ज्यादा जोखिम सहनशीलता वाले निवेशक, खासकर बड़ी गिरावट के समय, लंपसम से अच्छे रिटर्न कमा सकते हैं। हालांकि, इसमें बाजार टाइमिंग की समझ जरूरी है।

अस्थिरता में टाइमिंग से ज्यादा जरूरी निरंतरता

आंकड़े बताते हैं कि लंबी अवधि में SIP अक्सर लंपसम से बेहतर रिटर्न देती है क्योंकि यह अलग-अलग बाजार चक्रों में निवेश का मौका देती है और कंपाउंडिग का लाभ बढ़ाती है। मौजूदा दौर में, जब दुनिया भर में ब्याज दरों, भू-राजनीति और सेक्टर बदलाव के दबाव में हैं, SIP जैसी निरंतर रणनीति ज्यादा कारगर मानी जा रही है।

कौन सा निवेशक क्या चुने?

नए या सतर्क निवेशकों के लिए SIP बेहतर है, क्योंकि यह धीरे-धीरे बाजार में एक्सपोजर देता है और मानसिक तनाव कम करता है। जिनके पास अतिरिक्त धन, लंबी अवधि की योजना और अल्पकालिक नुकसान सहने की क्षमता है, वे लंपसम चुन सकते हैं। खासकर इसे कुछ महीनों में बांटकर। कई निवेशक अब मिक्स स्ट्रेटजी अपना रहे हैं, जिसमें कुछ रकम तुरंत लगाई जाती है और बाकी SIP के जरिए।

अस्थिर बाजार में रणनीति ही असली हथियार है। SIP जहां अनुशासन और रिस्क मैनेजमेंट का मौका देती है, वहीं लंपसम संभावित रूप से तेज मुनाफा दे सकती है, बशर्ते टाइमिंग सही हो। अपने वित्तीय लक्ष्य, जोखिम सहनशीलता और बाजार समझ के हिसाब से निवेश का तरीका तय करना ही लंबे समय में संपत्ति बनाने की चाबी है।

(प्रियंका कुमारी)

(Disclaimer: ये आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए है। हरिभूमि इसकी पुष्टि नहीं करता है। शेयर बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन है। किसी भी तरह के निवेश पर अमल में लाने से पहले विशेषज्ञ से जरूर सलाह लें)

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