Silver vs Gold: सोने से आगे निकली चांदी, 2025 में दिया 167 प्रतिशत का रिटर्न

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साल 2025 में चांदी ने निवेश के मोर्चे पर सोने को पीछे छोड़ दिया। MCX पर 167% रिटर्न के साथ चांदी सबसे तेज चमकने वाली कीमती धातु बनी।

साल 2025 में चांदी ने निवेश के मोर्चे पर सोने को पीछे छोड़ दिया। MCX पर 167% रिटर्न के साथ चांदी सबसे तेज चमकने वाली कीमती धातु बनी। जानिए इसकी वजह और आगे का आउटलुक।

Silver vs Gold 2025: हाल के सालों में चांदी ने निवेश की दुनिया में एक नया मुकाम हासिल किया है और अब यह केवल एक पारंपरिक कीमती धातु नहीं, बल्कि रणनीतिक एसेट के रूप में उभर कर सामने आई है। साल 2025 में चांदी की कीमतों में जिस तरह की रिकॉर्ड तेजी देखने को मिली, उसने निवेशकों का ध्यान सोने से हटाकर चांदी की ओर मोड़ दिया है। भारत के MCX फ्यूचर्स बाजार में चांदी ने एक साल में करीब 167 प्रतिशत का रिटर्न दिया, जबकि अंतरराष्ट्रीय स्पॉट मार्केट में भी इसकी कीमत लगभग तीन गुना तक बढ़ गई। यह बढ़त सिर्फ सट्टेबाजी का नतीजा नहीं, बल्कि वैश्विक आर्थिक और औद्योगिक बदलावों का संकेत मानी जा रही है। इस दौरान सोने ने 80% का रिटर्न दिया है। चांदी की खास बात यह है कि यह दोहरे चरित्र वाली धातु है। एक तरफ यह सोने की तरह सुरक्षित निवेश यानी मौद्रिक धातु है, तो दूसरी तरफ यह उद्योगों में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल भी है।

औद्योगिक उपयोग से बढ़ रही कीमतें

सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक व्हीकल, बैटरी, सेमीकंडक्टर और पावर ग्रिड जैसी नई तकनीकों में चांदी की मांग लगातार बढ़ रही है। इसी कारण ऊर्जा परिवर्तन और हरित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ती दुनिया में चांदी की औद्योगिक मांग लंबे समय तक मजबूत बनी रह सकती है। इसके साथ ही वैश्विक स्तर पर ब्याज दरों में नरमी और आर्थिक सुस्ती भी चांदी के पक्ष में जा रही है। अमेरिका समेत कई बड़े केंद्रीय बैंक जब ब्याज दरें घटाते हैं, तो वास्तविक ब्याज दर नीचे आती है। ऐसी स्थिति में निवेशक बॉन्ड या नकदी के बजाय कीमती धातुओं की ओर रुख करते हैं। भू-राजनीतिक तनाव, युद्ध और व्यापारिक अनिश्चितता भी सुरक्षित निवेश की मांग बढ़ाते हैं, जिसका सीधा फायदा चांदी को मिलता है।

आगे भी सोने को टक्कर देती रहेगी चांदी

विशेषज्ञों का मानना है कि अब चांदी केवल चक्रवाती कमोडिटी नहीं रही, बल्कि नीतिगत फैसलों, वैश्विक राजनीति और पूंजी प्रवाह से गहराई से जुड़ चुकी है। आपूर्ति पक्ष की दिक्कतें भी कीमतों को सहारा दे रही हैं। चीन जैसे देशों के निर्यात प्रतिबंध और अमेरिका की क्रिटिकल मिनरल नीतियों ने सप्लाई चेन को प्रभावित किया है, जिससे भौतिक चांदी की उपलब्धता सीमित होती जा रही है। बाजार में मौजूद सीमित स्टॉक और लगातार बढ़ती मांग कीमतों को ऊंचे स्तर पर बनाए रख सकती है।

सोने की तुलना में चांदी का रिटर्न 2025 में कहीं ज्यादा रहा, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि जोखिम खत्म हो गया है। चांदी की कीमतें ज्यादा उतार-चढ़ाव वाली होती हैं और वैश्विक आर्थिक हालात में बदलाव का इस पर तेज असर पड़ता है। 2026 में निवेशकों के लिए यह जरूरी होगा कि वे चांदी को केवल तेजी के नजरिये से नहीं, बल्कि पोर्टफोलियो में संतुलन बनाने वाले एसेट के रूप में देखें।

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