म्यूचुअल फंड निवेश हुआ सस्ता: सेबी ने घटाया एक्सपेंस रेशियो, 10-15 बेसिस पॉइंट की कटौती के क्या मायने?

SEBI Mutual fund expense ratios
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SEBI Mutual fund expense ratios

सेबी ने म्यूचुअल फंड के बेस एक्सपेंस रेशियो में 10-15 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की है। इसका आपके निवेश पर क्या असर पड़ेगा। ये कैसे म्यूचुअल फंड में निवेश को सस्ता बनाएगा।

SEBI Mutual fund expense ratios: रिटेल निवेशकों के लिए अच्छी खबर है। बाजार नियामक सेबी ने म्यूचुअल फंड में निवेश को और सस्ता और पारदर्शी बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया। एक दिन पहले हुई सेबी बोर्ड मीटिंग में यह फैसला लिया गया कि म्यूचुअल फंड के बेस एक्सपेंस रेशियो में 10 से 15 बेसिस पॉइंट तक की कटौती की जाएगी। देखने में यह कटौती छोटी लग सकती है लेकिन लंबी अवधि में इसका असर निवेशकों की कमाई पर साफ नजर आएगा।

नए नियमों के मुताबिक, खुले इक्विटी फंड, जिनका एयूएम 500 करोड़ रुपये से कम है, उनमें अधिकतम चार्ज 2.25% से घटाकर 2.10% कर दिया गया। वहीं, इसी कैटेगरी के डेट फंड्स में यह सीमा अब 1.85% होगी। यानी हर साल आपके निवेश से कटने वाला खर्च अब थोड़ा कम होगा और ज्यादा पैसा निवेश में बना रहेगा।

सेबी ने कम किया म्यूचुअल फंड एक्सपेंस रेशियो

सेबी ने सिर्फ चार्ज कम नहीं किए, बल्कि इन्हें समझना भी आसान बना दिया है। अब तक निवेशक टोटल एक्सपेंस रेशियो देखते थे, जिसमें फंड चलाने का खर्च और टैक्स-सब एक साथ जुड़ा होता था। अब टीईआर का नाम बदलकर बीईआर यानी बेस एक्सपेंस रेशियो कर दिया गया है।

कैसे आम निवेशक को होगा फायदा?

वेल्थ मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म वेल्दी.इन की प्रोडक्ट्स और रिसर्च हेड निहारिका त्रिपाठी के मुताबिक, 'बीईआर में सिर्फ फंड चलाने का असली खर्च शामिल होगा, जैसे फंड मैनेजमेंट फीस, डिस्ट्रीब्यूटर कमीशन और आरटीए चार्ज। जीएसटी, एसटीटी, स्टांप ड्यूटी जैसे टैक्स और रेगुलेटरी फीस अब अलग दिखाई जाएंगी।' आसान शब्दों में, बीईआर बताएगा कि फंड हाउस क्या ले रहा है जबकि निवेशक की जेब से जाने वाला पूरा खर्च टीईआर से पता चलेगा।

नई दरें इंडेक्स फंड, ईटीएफ, फंड ऑफ फंड्स, इक्विटी, डेट और क्लोज्ड-एंडेड स्कीम्स, सब पर लागू होंगी। इंडेक्स फंड और ईटीएफ में एक्सपेंस रेशियो 1% से घटकर 0.90% कर दिया गया है। इक्विटी-ओरिएंटेड फंड ऑफ फंड्स में यह 2.25% से 2.10%, जबकि अन्य FoF में 2% से 1.85% हो गया है।

फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स के मुताबिक, '10–20 बीपीएस की कटौती छोटी लगती है लेकिन निवेश लंबी रेस है। जब खर्च कम होता है, तो ज्यादा पैसा कंपाउंड होता है।'

उदाहरण के तौर पर, अगर कोई निवेशक 10 लाख रुपये को 12% सीएजीआर से 20 साल तक निवेश करता है, तो सिर्फ 20 बेसिस पॉइंट्स कम एक्सपेंस रेशियो से उसे करीब 2.95 लाख रुपये का अतिरिक्त फायदा हो सकता है। यह पैसा बाजार से नहीं, बल्कि कम खर्च की वजह से बचता है। सेबी का यह फैसला निवेशकों के लिए चुपचाप कमाई बढ़ाने वाला साबित हो सकता है।

(प्रियंका कुमारी)

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