RBI Draft: डिजिटल फ्रॉड रोकने के लिए RBI का बड़ा कदम! 5 पाइंट में समझे ग्राहकों को कैसे मिलेगा फायदा

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ग्राहकों के हित में आरबीआई ने नया मसौदा तैयार किया है।

RBI Draft: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने ग्राहकों के हितों के मद्देनजर बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर ली है। इसे लेकर एक मसौदा तैयार किया गया है।

RBI Draft: डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देने के इस दौर में, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए बड़ा कदम उठाया है। RBI ने एक ड्राफ्ट सर्कुलर में स्पष्ट किया है कि बैंकों को अब अन्य बैंकिंग सेवाओं के लिए ग्राहकों को डिजिटल चैनल चुनने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए। यानी अब डेबिट कार्ड जैसे सामान्य बैंकिंग सुविधाओं के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म अपनाना अनिवार्य नहीं होगा।

द मिंट के मुताबिक, RBI ने डिजिटल लेनदेन में धोखाधड़ी की घटनाओं को रोकने और ग्राहकों को बेहतर सुरक्षा देने के लिए कई सख्त दिशा-निर्देश भी प्रस्तावित किए हैं। इन नए नियमों में ग्राहक की सहमति, पारदर्शिता, जोखिम नियंत्रण और व्यवहार निगरानी जैसी बातें शामिल हैं, जो डिजिटल बैंकिंग को अधिक सुरक्षित और ग्राहकों के अनुकूल बनाएंगी।

अब डेबिट कार्ड के लिए जरूरी नहीं डिजिटल चैनल

RBI ने साफ कहा है कि बैंकों को ग्राहकों पर कोई दबाव नहीं बनाना चाहिए कि वे डिजिटल बैंकिंग चैनल चुनें, तभी उन्हें डेबिट कार्ड जैसी सेवाएं मिलें। इससे उन ग्राहकों को राहत मिलेगी जो तकनीकी रूप से डिजिटल चैनलों को इस्तेमाल करने में सहज नहीं हैं।

ग्राहकों की स्पष्ट सहमति जरूरी

नए मसौदे में RBI ने निर्देश दिया है कि बैंकों को किसी भी डिजिटल सेवा को शुरू करने से पहले ग्राहक की स्पष्ट और रिकॉर्ड की गई सहमति लेनी होगी। साथ ही, हर लेन-देन की जानकारी SMS या ईमेल के जरिए ग्राहकों को भेजनी जरूरी होगी।

शर्तें और नियम हों आसान भाषा में

RBI ने बैंकों को आदेश दिया है कि सभी डिजिटल सेवाओं के नियम और शर्तें स्पष्ट, सरल और ग्राहक की स्थानीय भाषा में भी उपलब्ध हों। इससे ग्राहकों को अपनी जिम्मेदारियों और जोखिमों की बेहतर समझ मिलेगी।

नेट वर्थ 50 करोड़ से ज्यादा वालों के लिए कड़ा नियम

डिजिटल ट्रांजेक्शनल बैंकिंग सेवाएं शुरू करने से पहले जिन संस्थाओं की नेट वर्थ ₹50 करोड़ या उससे अधिक है, उन्हें बैंक से पूर्व अनुमति लेनी होगी। यह प्रावधान न्यूनतम रेगुलेटरी आवश्यकता के तहत लाया गया है।

जोखिम नियंत्रण के लिए लिमिट तय करें बैंक

RBI ने बैंकों को सलाह दी है कि वे लेन-देन की राशि, संख्या और गति के आधार पर रिस्क मिटीगेशन पॉलिसी लागू करें। इससे संदिग्ध या असामान्य गतिविधियों को रोका जा सकेगा।

ट्रांजेक्शन की निगरानी और विश्लेषण जरूरी

बैंकों को अब कस्टमर के व्यवहार पैटर्न का अध्ययन कर, असामान्य या ‘आउटलायर’ ट्रांजेक्शन की पहचान करनी होगी। यह धोखाधड़ी से बचाव की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है, जिसमें ग्राहकों से संदेहास्पद लेन-देन से पहले पुष्टि ली जा सकती है।

ग्राहक संरक्षण पर विशेष जोर

RBI ने स्पष्ट किया है कि बैंकों को ग्राहक संरक्षण गाइडलाइंस का पूरी तरह पालन करना होगा, खासकर अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन से जुड़ी स्थितियों में। इससे ग्राहकों की जिम्मेदारी सीमित होगी और बैंक को फ्रॉड की स्थिति में उचित कार्रवाई करनी होगी।RBI digital banking draft, Debit card without digital banking, RBI rules for banks 2025, Customer protection RBI norms, आरबीआई का नया ड्रॉफ्ट क्या है

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