RBI GDP Estimate FY26: आरबीआई ने FY26 के लिए जीडीपी अनुमान बढ़ाकर 7.3% किया, रफ्तार पकड़ेगी अर्थव्यवस्था

आरबीआई ने FY26 के लिए जीडीपी अनुमान बढ़ाकर 7.3% किया, रफ्तार पकड़ेगी अर्थव्यवस्था
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RBI ने FY26 GDP अनुमान 6.8% से बढ़ाकर 7.3% किया। महंगाई अनुमान में हल्की बढ़ोतरी, विनिर्माण व कृषि गतिविधियों में सुधार, अर्थव्यवस्था को मिलेगा बड़ा बूस्ट।

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 5 दिसंबर को नीतिगत ब्याज दर में 0.25% की कटौती के साथ-साथ वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) के लिए देश की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान बढ़ाकर 7.3% कर दिया है, जो पहले 6.8% था। यह संशोधन इस बात का संकेत है कि भारतीय अर्थव्यवस्था इस समय मजबूत और स्थिर आधार पर खड़ी है तथा आने वाले महीनों में विकास की गति और तेज हो सकती है। दूसरी ओर, महंगाई के अनुमानों में कुछ बढ़ोतरी की गई है-Q3 FY26 के लिए अनुमान 6.4% से बढ़ाकर 7% और Q4 के लिए 6.2% से बढ़ाकर 6.5% कर दिया गया है। अगले वित्त वर्ष की शुरुआत के लिए भी अनुमान सकारात्मक रखे गए हैं, जहां Q1 FY27 की ग्रोथ 6.7% और Q2 की 6.8% रहने की उम्मीद है।

लगातार बेहतर हो रहीं विनिर्माण गतिविधियां

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि देश की विनिर्माण गतिविधियां लगातार बेहतर हो रही हैं, जिससे आर्थिक वृद्धि को मजबूत आधार मिलता है। आपूर्ति पक्ष पर कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन भी अच्छी तस्वीर पेश कर रहा है। अच्छी खरीफ फसल, बांधों में बेहतर पानी के स्तर और रबी की मजबूत बुवाई से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद है। गवर्नर के अनुसार भारत इस समय गोल्डीलॉक्स स्थिति में है, यानी न विकास बहुत धीमा है और न महंगाई बेकाबू है-जो किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अनुकूल परिस्थिति मानी जाती है।

वैश्विक विकास उम्मीद से बेहतर

वैश्विक परिदृश्य पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि उम्मीदों से बेहतर वैश्विक विकास दिखाई दे रहा है, हालांकि भू-राजनीतिक तनाव और व्यापार से संबंधित चुनौतियां बनी हुई हैं। इसके बावजूद ताजा हाई-फ्रीक्वेंसी डाटा यह संकेत देता है कि भारत में Q3 के दौरान आर्थिक गतिविधियों की गति बनी हुई है। घरेलू कारक जैसे कृषि उत्पादन में मजबूती, स्थिर महंगाई और कंपनियों की बेहतर बैलेंस शीट आगे भी विकास को समर्थन देंगी। उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था अनिश्चितता के बावजूद अब तक अपेक्षा से अधिक मजबूत दिखी है।

विकसित इकोनॉमीज में महंगाई का दबाव

अमेरिका में सरकारी शटडाउन खत्म होने और कुछ व्यापार समझौतों में प्रगति से अनिश्चितता कुछ हद तक घटी है, हालांकि स्थिति पूरी तरह स्थिर नहीं कही जा सकती। विकसित अर्थव्यवस्थाओं में महंगाई अभी भी लक्ष्य से ऊपर है और इससे उनकी मौद्रिक नीतियों को लेकर अनिश्चितता बढ़ी हुई है। सुरक्षित निवेश की मांग बढ़ने से डॉलर मजबूत हुआ है जबकि अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड्स सीमित दायरे में बनी हुई हैं। तकनीकी शेयरों की ऊँची कीमतों को लेकर चिंताओं के चलते वैश्विक शेयर बाज़ार में अस्थिरता बनी हुई है। दूसरी ओर, घरेलू स्तर पर भारत की ग्रोथ गति पहले से ही मजबूत रही है।

सभी क्षेत्रों ने किया उम्मीद बेहतर प्रदर्शन

Q2 FY26 में अर्थव्यवस्था 8.2% की दर से बढ़ी है, जो पिछले छह क्वार्टर्स में सबसे अधिक है। विनिर्माण और सेवाओं-खासकर वित्त, रियल एस्टेट और प्रोफेशनल सर्विसेज-ने तेजी से विस्तार किया। यह वृद्धि आरबीआई के 7% अनुमान से भी अधिक रही और अधिकांश अर्थशास्त्रियों के पूर्वानुमान को पीछे छोड़ गई। हालांकि नाममात्र जीडीपी वृद्धि 8.7% रही, जो पिछले कुछ क्वार्टर्स की तुलना में थोड़ी कम है, पर विश्लेषकों का मानना है कि वास्तविक वृद्धि की मजबूती अर्थव्यवस्था की समग्र स्थिति को सकारात्मक दिशा में ले जाएगी। समग्रता में देखें तो आरबीआई के नए अनुमान संकेत देते हैं कि भारत की विकास गति न केवल स्थिर है बल्कि और भी मजबूत हो रही है। (एपी सिंह की रिपोर्ट)

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