Home Loan tips: घर खरीदने जा रहे हैं? पहले समझिए होम लोन की ये बातें, नहीं तो हर महीने बढ़ जाएगा बोझ

Home loan tips and process
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Home loan tips and process: होम लोन लेने से पहले जरूरी बातें जान लें। 

Home Loan tips: घर खरीदने जा रहे हैं तो होम लोन से जुड़ी कुछ बातों और शर्तों का जान लेना जरूरी है। इससे आप अपने पैसे बचा सकते हैं।

Home Loan tips: घर खरीदना किसी भी परिवार के लिए बड़े सपने के पूरा होने जैसा होता है लेकिन बैंक से होम लोन लेते वक्त जो जटिल शब्द सामने आते हैं, वो कई बार सिर चकरा देते हैं। ऐसे में होम लोन के दस्तावेजों पर साइन करने से पहले इन बातों को समझ लेना जरूरी है।

इसमें फ्लोटिंग रेट, स्प्रेड, रीसेट या एलटीवी जैसे शब्द हैं, जो आपके ईएमआई और ब्याज पर बड़ा असर डालते हैं। अगर आप लोन लेने की सोच रहे हैं, तो इनका मतलब जरूर जान लीजिए।

फिक्स्ड बनाम फ्लोटिंग रेट

फिक्स्ड रेट वाले लोन में आपकी ईएमआई तय रहती है। यानी हर महीने एक जैसी किस्त देनी होती है, जिससे बजट बनाना आसान होता है। हालांकि इसकी शुरुआत आमतौर पर थोड़ी महंगी होती है। वहीं, फ्लोटिंग रेट बाजार के हिसाब से बदलती रहती है। जब ब्याज दरें घटती हैं तो आपकी ईएमआई कम होती है, और बढ़ने पर किस्तें भी बढ़ जाती हैं।

बेंचमार्क: ईबीएलआर या एमसीएलआर

ज्यादातर नए लोन एक्सटर्नल बेंचमार्क लिंक्ड रेट से जुड़े होते हैं, जो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की रेपो रेट पर आधारित होते हैं। मतलब, रेपो रेट बदलते ही आपकी ब्याज दर भी जल्दी बदल जाएगी। पुराने लोन अब भी एमसीएलआर पर चलते हैं, जहां बदलाव थोड़ी देर से दिखता है।

स्प्रेड और रीसेट क्या होता है?

आपकी लोन दर = बेंचमार्क + स्प्रेड। स्प्रेड बैंक तय करता है, जो आपकी प्रोफाइल और क्रेडिट स्कोर पर निर्भर करता है। जानिए कि आपका लोन कितने समय में रीसेट होगा, हर 3, 6 या 12 महीने में। छोटी रीसेट अवधि में ब्याज दर में बदलाव जल्दी झलकता है।

लोन टू वैल्यू और डाउन पेमेंट का क्या मतलब?

लोन टू वैल्यू बताता है कि बैंक संपत्ति की कीमत का कितना हिस्सा फंड करेगा। आमतौर पर यह 75-90 फीसदी तक होता है। बाकी रकम आपको डाउन पेमेंट, स्टांप ड्यूटी, रजिस्ट्रेशन और इंटीरियर जैसे खर्चों में देनी होगी।

प्रोसेसिंग, कन्वर्जन और प्रीपेमेंट

लोन लेते वक्त बैंक प्रोसेसिंग फीस लेता है। बाद में अगर आप फिक्स्ड से फ्लोटिंग पर या कम ब्याज दर पर शिफ्ट होना चाहें, तो कन्वर्जन चार्ज लग सकता। फ्लोटिंग लोन में प्रीपेमेंट पर कोई पेनल्टी नहीं होती लेकिन फिक्स्ड में हो सकती है।

अगर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया रेपो रेट घटा दे और आपकी ईएमआई नहीं बदले, तो परेशान न हों। आपका लोन शायद रीसेट अवधि में होगा या एमसीएलआर से जुड़ा होगा, जहां असर देर से दिखता है। जरूरत हो तो बैंक से रीसेट या स्प्रेड रिव्यू मांग सकते हैं। अगर आप स्थिर या एक फिक्स ईएमआई चाहते हैं तो फिक्स्ड रेट चुनें। थोड़ी लचीलापन और बचत के लिए फ्लोटिंग बेहतर है।

(प्रियंका कुमारी)

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