ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 का असर: रियल मनी गेम्स पर ताला, जानिए उद्योग पर संकट या खुलेंगे नए अवसरों के द्वार?

ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 ने रियल मनी गेम्स पर रोक लगा दी। अब इन कंपनियों के लिए आगे की राह कैसी होगी।
Online Gaming Bill 2025: 'द प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025' के लागू होने से भारत के ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री हिल गई है। विंजो, पोकरबाजी, ड्रीम11 और माई11सर्किल जैसी दिग्गज कंपनियों ने रियल मनी गेम्स को बंद कर दिया, जिससे 3.8 बिलियन डॉलर के इस बाजार पर संकट के बादल मंडरा रहे।
लेकिन क्या यह गेमिंग इंडस्ट्री का अंत है या यहां से एक नई शुरुआत होगी? आइए जानें कि इस बदलाव के बाद गेमिंग कंपनियां किस दिशा में बढ़ सकती हैं और कैसे यह इंडस्ट्री नए रास्तों पर चल सकता है।
विंजो: 25 करोड़ से ज्यादा यूजर्स वाले प्लेटफॉर्म ने 22 अगस्त 2025 से रियल मनी गेम्स वापस ले लिए। कंपनी ने कानून के पालन, यूजर सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता जताई।
पोकरबाजी: तत्काल प्रभाव से सभी रियल मनी गेम्स बंद किए। कंपनी भविष्य के कदम बिल के पूरी तरह अमल में आने के बाद तय करेगी।
ड्रीम11 और माई11सर्किल: हफ्ते की शुरुआत में ही रियल मनी गेमिंग ऑफरिंग्स बंद कर दीं।
नए कानून ने गेमिंग कंपनियों को जिम्मेदारी और इनोवेशन के साथ आगे बढ़ने के लिए मजबूर किया है, जिससे उद्योग में बड़े बदलाव की उम्मीद है।
भविष्य में ये कदम उठा सकती हैं कंपनियां
ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025' के तहत रियल मनी गेम्स पर पूरी तरह से बैन ने कंपनियों को अपनी रणनीति पर दोबारा विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। हालांकि, यह संकट नए अवसरों को जन्म दे सकता है।
ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेमिंग पर फोकस
सरकार ई-स्पोर्ट्स और स्किल-बेस्ड सोशल गेम्स (जैसे लूडो, कैंडी क्रश) को बढ़ावा दे रही है। कंपनियां ड्रीम11, विंजो और पोकरबाजी जैसे प्लेटफॉर्म्स को ई-स्पोर्ट्स टूर्नामेंट्, जैसे BGMI, Free Fire, और Call of Duty, के लिए रीमॉडल कर सकती हैं। प्रोफेशनल गेमिंग लीग और टूर्नामेंट्स का आयोजन कर ये कंपनियां नए यूजर बेस को आकर्षित कर सकती हैं।
एजुकेशनल और एंटरटेनमेंट गेम्स का विकास हो सकता
बिल शैक्षिक और सामाजिक गेम्स को प्रोत्साहन देता है। कंपनियां डिजिटल लर्निंग गेम्स, क्विज-बेस्ड ऐप्स, या बच्चों के लिए रचनात्मक गेम्स विकसित कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, भाषा सीखने या गणित आधारित गेम्स बनाकर स्कूलों और एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स के साथ साझेदारी की जा सकती है।
वैश्विक बाजार में विस्तार
भारतीय कानूनों से प्रभावित न होने वाले विदेशी बाजारों में कंपनियां अपने रियल मनी गेमिंग मॉडल को ले जा सकती हैं। ड्रीम11 और गेम्स24x7 जैसी कंपनियां, जो पहले से ही वैश्विक निवेश आकर्षित कर चुकी हैं, दक्षिण-पूर्व एशिया या अफ्रीका जैसे उभरते बाजारों में विस्तार कर सकती हैं।
नए मोनेटाइजेशन मॉडल्स
रियल मनी गेम्स के बंद होने से कंपनियां सब्सक्रिप्शन-बेस्ड मॉडल, इन-गेम विज्ञापन, या प्रीमियम फीचर्स जैसे वैकल्पिक रेवेन्यू सोर्स पर ध्यान दे सकती हैं। उदाहरण के लिए, गेम्स में कॉस्मेटिक आइटम्स (skins, avatars) बेचकर या टूर्नामेंट एंट्री फीस के जरिए इनकम बढ़ाई जा सकती है।
प्रशिक्षण और रिसर्च सेंटर की स्थापना
बिल के तहत ई-स्पोर्ट्स को आधिकारिक खेल का दर्जा मिलने से कंपनियां ट्रेनिंग एकेडमी और रिसर्च सेंटर्स में निवेश कर सकती हैं। ये सेंटर्स प्रोफेशनल गेमर्स को ट्रेनिंग, कोचिंग, और टेक्नोलॉजी सपोर्ट दे सकते हैं, जिससे भारत को ग्लोबल गेमिंग हब बनाने में मदद मिलेगी।
ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (AIGF) और ई-गेमिंग फेडरेशन जैसी संस्थाएं सरकार से स्किल-बेस्ड गेम्स को 'गेम ऑफ चांस' से अलग करने की मांग कर रही हैं। कंपनियां नियामक ढांचे में संशोधन के लिए सरकार के साथ मिलकर काम कर सकती हैं ताकि स्किल-बेस्ड गेम्स को बचाया जा सके।
ऑफलाइन गेमिंग इवेंट्स और हाइब्रिड मॉडल्स
कंपनियां ऑफलाइन ई-स्पोर्ट्स इवेंट्स, गेमिंग कैफे, या हाइब्रिड मॉडल्स (ऑनलाइन-ऑफलाइन संयोजन) को बढ़ावा दे सकती हैं। यह यूजर्स को सामाजिक अनुभव प्रदान करेगा और नए राजस्व स्रोत खोलेगा।
वैसे 'ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025' ने रियल मनी गेमिंग पर बड़ी चोट की है। लेकिन, इसमें कंपनियों के लिए भी नए मौके बन सकते हैं। ई-स्पोर्ट्स, एजुकेशनल गेम्स, और ग्लोबल बाजार में विस्तार जैसे कदम न केवल इंडस्ट्री को जिंदा रख सकते हैं, बल्कि भारत को ग्लोबल गेमिंग हब के रूप में अपनी पहचान बनाने में भी मदद कर सकते हैं।
(प्रियंका कुमारी)
