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Supari Kheti: विश्वभर में भारत सुपारी उत्पादन में सबसे आगे हैं। देश के कर्नाटक, केरल, असम और पं. बंगाल में सुपारी उत्पादन 85 प्रतिशत किया जाता है। इसका इस्तेमाल भारतीय धार्मिक अनुष्ठानों पूजा विधि के अलावा अन्य कार्यो में किया जाता है।

Supari Kheti: विश्वभर में भारत सुपारी उत्पादन में सबसे आगे हैं। देश के कर्नाटक, केरल, असम और पं. बंगाल में सुपारी उत्पादन 85 प्रतिशत किया जाता है। इसका इस्तेमाल भारतीय धार्मिक अनुष्ठानों पूजा विधि के अलावा अन्य कार्यो में किया जाता है। सुपारी की महिलाओं के ल्यूकोरिया इलाज में भी मददगार होता है। देश में पान मसाला, गुटखा, तंबाकू में सुपारी का अधिक इस्तेमाल किया जाता है। इसकी एक बार खेती करने पर 70 साल तक पैदावार होती है, देश में सुपारी की कीमत 450 से 600 रूपये बताई जाती है। किसान सुपारी की खेती कर लाखों का मुनाफा कमाते हैं। अगर आप भी खेती करने के लिए सोच रहे हैं तो यह जानकारी आपके लिए है। 

ऐसे करें खेती
सुपारी की खेती के लिए लाल मिट्टी, दोमट लेटेराइट मिट्टी और रेतीली मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। इसकी खेती के लिए सुपारी के बीज से पौधे को नर्सरी तकनीक में तैयार किया जाता है, पौधा तैयार होने के लिए आंशिक रूप से धूप की आवश्यकता होती है। इसके रोपण में 15 से 18 माह का समय लग जाता है। रोपाई वर्षा ऋतु के जुलाई माह में की जाती है। रोपाई में एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी 2.7 मीटर पर की जानी चाहिए। इसके अनुसार एक एकड़ में 400 पौधा रोपड़ किया जाता है। सुपारी का पेड़ नारियल की तरह चौड़े पत्तों में 50 से 70 फिट लंबा होता है। तैयार होने के लिए तापमान 18 से 26 अनुकूल माना जाता है औऱ मिट्टी का पीएच मान 7 से 8 के बीच होना उपयुक्त होता है।

कैसे करें रखरखाव
सुपारी का पौधा फलदार वृक्ष बनने के लिए 5 से 7 वर्ष लग जाते हैं। इसकी सिंचाई पर विशेष ध्यान देना होगा, सालभर में 6 माह तक एक पौधे को 15 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। रोपण किये गए खेत में जल भराव नहीं होना चाहिए। जल भराव होने पर छोटी-छोटी नाली बनाकर पानी खेत से बाहर निकालना अनिवार्य है। पौधे से अच्छा पैदावार होने के लिए गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद का उपयोग करना जरूरी है। 

सुपारी खाने के लाभ
सुपारी खाने से कई बीमारियों से मुक्ति पाई जा सकती है। इसे औषधीय के रूप में भी उपयोग किया जाता है। इसका सेवन करने से दस्त, पाचन, कब्ज और एनीमिया, मुहं के छाले और पेट से जुड़ी कई बीमारियों में आराम मिलता है। बावासीर की समस्या होने में सुपारी का पानी पीने से बहुत लाभ होता है। सुपारी में कुछ ऐसे तत्व भी पाए जाते हैं, जो पेट व आंतों की प्रक्रिया को सामान्य बनाए रखने में मदद करते हैं। चेचक की बीमारी में 1-2 ग्राम सुपारी के चूर्ण को लगातार पानी में घोलकर पीने से निजात पाया जा सकता है। महिलाओं के लिए सुपारी का उपयोग प्रसवोत्तर समस्याओं के साथ ही कई स्वास्थ्य समस्याओं में फायदेमंद है। यह ल्यूकोरिया और पेट संबंधित बीमारियों में राहत देता है। 

लाखों में कमाएं मुनाफा
सुपारी के पौधे में 5 से 8 वर्ष में पैदावार शुरू हो जाती है। इसकी तोड़ाई तीन-चौथाई भाग पक जाने पर की जाती है। सालभर में एक पेड़ से 15 से 30 किलो के आसपास सुपारी उत्पादन होता है, जो एक बार लगाने पर 70 साल तक उत्पादन करता है। बाजार में सुपारी की कीमत 400 से 600 रूपये किलो बेची जाती है। इसे अधिक कीमत में बेचने के लिए कंपनी ट्रेडमार्क से टायप कर या ऑनलाईन शॉपिंग में बेचा जा सकता है। लोग एक बार इसकी खेती कर कई साल तक लाखों में कमाई कर सकते हैं।

इक्षांत उर्मलिया

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