PIL for Fixing MSP: सुप्रीम कोर्ट ने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करने की मांग वाली जनहित याचिका पर शुक्रवार को केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकारों से जवाब मांगा। इस याचिका में किसानों की वैकल्पिक फसलों के भाव में समय-समय पर बढ़ोतरी और सरकारी खरीद प्रक्रिया शामिल है। 

MPS पर अगली सुनवाई जुलाई के दूसरे हफ्ते में होगी
शीर्ष अदालत के जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकारों, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी और आईसीएआर को नोटिस जारी कर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अब सुप्रीम कोर्ट फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के मुद्दे पर जुलाई के दूसरे हफ्ते में सुनवाई करेगा। 
 
किसने दायर की है MSP को लेकर याचिका?
यह याचिका वकील चरणपाल सिंह बागरी ने दायर की है। इसमें "वैकल्पिक फसलों" के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य धान के एमएसपी से ज्यादा तय करने की मांग की गई है। बारगी ने कहा कि पंजाब और हरियाणा के किसान गेहूं और धान की फसल के लिए एमएसपी है और खरीद के बावजूद खुद को असहाय महसूस करते हैं। धान की फसल ने 3 प्रमुख बाधाएं पैदा की हैं। जिनमें भूमिगत पेयजल की कमी, पराली या पुआर जलाने से प्रदूषण और धान के स्टोरेज के लिए राज्य सरकार पर वित्तीय बोझ शामिल हैं।

याचिका में MSP को लेकर दिए गए अहम सुझाव
याचिकाकर्ता ने कहा कि आज के मौजूदा हालात को देखते हुए। किसानों द्वारा उगाई जाने वाली सभी फसलों का एमएसपी तय करके भौगोलिक स्थिति और मिट्टी की गुणवत्ता के अनुसार नई फसलों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। 

  • याचिका में मांग की गई है कि कृषि विश्वविद्यालयों को विदेशों से इंपोर्ट होने वाले प्लस और अन्य फसलों के बीजों की नई किस्म मुहैया करानी चाहिए ताकि वे नई उन्नत फसलों की किस्म तैयार कर सकें।
  • इसके अलावा बागरी ने सुझाव दिया है कि MSP की दरें बढ़ाई जानी चाहिए, लेकिन किसानों के लिए शर्त रखी जाए कि उन्होंने सीमित मात्रा में कीटनाशकों (पेस्टिसाइड) यूज किया है। इससे देश के नागरिकों को कुछ हद तक जैविक फसलें मिल सकेंगी। एमएसपी और सरकारी खरीद में खामियों के चलते किसानों की हालत बदतर है और वे आत्महत्या करने को मजबूर हैं।