SIP Tax: म्युचुअल फंड सिप का पैसा हो गया है डबल? जाने पैसा निकालने पर कितना चुकाना होगा टैक्स

Systematic investment plan profit tax
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सिप से होने वाले प्रॉफिट पर भी टैक्स चुकाना पड़ता है।

SIP Tax: म्युचुअल फंड से बनी सिप यानी सिस्टेमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान से लोग काफी कमाई कर रहे हैं। क्या आप जानते हैं कि सिप से होने वाली कमाई पर भी टैक्स चुकाना अनिवार्य है।

SIP Tax: आज के समय में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) म्यूचुअल फंड निवेश का एक लोकप्रिय जरिया बन गया है। हर महीने छोटी राशि निवेश करके लंबी अवधि में बड़ा फंड तैयार करना इसका प्रमुख लाभ है। लेकिन अधिकतर निवेशक इस भ्रम में रहते हैं कि अगर वे SIP में लंबे समय तक पैसा लगाएंगे तो टैक्स नहीं देना पड़ेगा। हकीकत यह है कि SIP के जरिए होने वाले मुनाफे पर टैक्स जरूर लगता है, और यह टैक्स हर किस्त (इंस्टॉलमेंट) के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है।

SIP टैक्सेशन की गणना दो मुख्य बातों पर निर्भर करती है कि आपने किस टाइप के फंड में निवेश किया है और उस निवेश को कितने समय तक होल्ड किया है। यानी इक्विटी, डेट या हाइब्रिड फंड में निवेश और यूनिट्स के होल्डिंग पीरियड के आधार पर टैक्स लगाया जाता है। आइए SIP से जुड़ी टैक्स की पूरी जानकारी विस्तार से समझते हैं।


इक्विटी फंड्स में SIP टैक्सेशन:

अगर आपने ऐसे म्यूचुअल फंड में SIP की है, जिसमें कम से कम 65% राशि इक्विटी यानी शेयर मार्केट में निवेश होती है, तो उसे इक्विटी फंड माना जाएगा।

यदि किसी SIP इंस्टॉलमेंट से खरीदी गई यूनिट्स को 12 महीने या उससे कम समय में बेचा जाता है, तो उस पर 20% का शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG) लगता है।

अगर यूनिट्स 12 महीने से ज्यादा पुरानी हैं, तो मुनाफा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) के अंतर्गत आएगा। इसमें ₹1.25 लाख तक का मुनाफा टैक्स फ्री है और इसके ऊपर का मुनाफा 12.5% टैक्स के दायरे में आएगा।

हर SIP पर अलग टैक्स क्यों?

SIP एक बार में नहीं, बल्कि हर महीने की किस्तों में होती है। हर महीने का निवेश एक अलग ट्रांजैक्शन माना जाता है। टैक्स की गणना First-In-First-Out (FIFO) नियम के आधार पर की जाती है। यानी पहले खरीदी गई यूनिट्स को पहले बेचा गया माना जाएगा। उदाहरण के लिए, अगर आपने SIP जनवरी 2024 से शुरू की और जून 2025 में यूनिट्स बेच दीं, तो जनवरी 2024 की यूनिट्स LTCG के दायरे में आएंगी, लेकिन मई 2025 की यूनिट्स पर STCG लगेगा क्योंकि वह 12 महीने से कम पुरानी है।


डेट और हाइब्रिड फंड्स में टैक्सेशन:

यदि म्यूचुअल फंड में 35% से कम इक्विटी निवेश है, तो उसे डेट फंड या नॉन-इक्विटी फंड माना जाता है।

अगर आपने इन यूनिट्स को 36 महीने से कम समय तक होल्ड किया है, तो मुनाफे पर आपकी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा।

यदि यूनिट्स 36 महीने से अधिक पुरानी हैं, तो 12.5% LTCG टैक्स देना होगा। 2023 के बाद से डेट फंड्स पर इंडेक्सेशन का लाभ नहीं मिलता।

ELSS फंड्स में टैक्स नियम:

ELSS यानी इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम एक टैक्स-सेविंग फंड होता है।

हर SIP किस्त पर तीन साल का लॉक-इन पीरियड होता है।

लॉक-इन के बाद यूनिट्स बेचने पर ₹1.25 लाख तक का LTCG टैक्स फ्री रहता है और उससे ऊपर के मुनाफे पर 12.5% टैक्स लगता है।

साथ ही, सेक्शन 80C के तहत ₹1.5 लाख तक का टैक्स डिडक्शन भी मिलता है।

डिविडेंड पर टैक्स नियम:

अब डिविडेंड पर अलग से DDT (Dividend Distribution Tax) नहीं लगता। बल्कि डिविडेंड को आपकी सालाना आय में जोड़कर आपकी टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगाया जाता है।


SIP से टैक्स कैसे बचाएं?

इक्विटी फंड्स में 12 महीने से पहले यूनिट्स बेचने से बचें, ताकि STCG से बचा जा सके।

हर साल ₹1.25 लाख तक के LTCG छूट का पूरा फायदा लें।

डेट फंड्स में 3 साल तक निवेश करने पर LTCG टैक्स के तहत मुनाफा कम टैक्स में आ सकता है।

टैक्स प्लानिंग के लिए SIP के हर इंस्टॉलमेंट की होल्डिंग अवधि ट्रैक करें।


(Disclaimer: इस आर्टिकल में दी गई सामग्री सिर्फ जानकारी के लिए है। हरिभूमि इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी सलाह या सुझाव को अमल में लेने से पहले फाइनेंशियल एक्सपर्ट से सलाह लें।)

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