मुकेश अंबानी का लीडरशिप मंत्र: आंखों से संपर्क, जोखिम उठाने का साहस और भारत के लिए विज़न; रिलायंस जियो पर किया बड़ा खुलासा

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मुकेश अंबानी की लीडरशिप मंत्र: आंखों से संपर्क जोखिम उठाने का साहस और भारत के लिए विज़न। 

मुकेश अंबानी ने बताया कि उन्होंने 40 सालों से कर्मचारियों से आंखों में आंखें मिलाकर ईमानदारी से नेतृत्व किया। जियो को बताया अब तक का सबसे बड़ा जोखिम।

Mukesh Ambani Leadership Tips : रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने हाल ही में एक साक्षात्कार में लीडरशिप और ईमानदारी को लेकर अपना एक विशेष सिद्धांत साझा किया है। बताया कि पिछले चार दशकों से हम इसे पूरी ईमानदारी से निभाते आ रहे हैं। रिलायंस समूह की सफलता में इसका बहुत बड़ा योगदान है।

मुकेश अंबानी ने मैकिन्से एंड कंपनी को दिए इंटरव्यू में बताया कि रिलायंस के शीर्ष नेतृत्व को उन्होंने हमेशा यह सिखाया है कि कर्मचारियों से आंखों में आंखें मिलाकर बात करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा, आप अपनी ईमानदारी तभी दिखा सकते हैं जब आप कर्मचारी की आंखों में देख सकें। यह हमारी संस्थागत संस्कृति का हिस्सा हैं।

रिलायंस के कल्चर में आंखों से संपर्क का महत्व
68 वर्षीय उद्योगपति ने कहा कि यह नियम केवल एक व्यक्तिगत आदत नहीं है, बल्कि रिलायंस इंडस्ट्रीज की संस्कृति का अहम हिस्सा बन गई है। शीर्ष 100 अधिकारियों की हमारी मीटिंग में भी हम कहते हैं कि ये हमारे सिद्धांत हैं और हमें एक-दूसरे को देखकर यह कहने में सक्षम होना चाहिए कि हमने कुछ भी गलत नहीं किया।

रिलायंस जियो करियर का सबसे बड़ा जोखिम
इंटरव्यू में मुकेश अंबानी ने 2016 में रिलायंस जियो के लॉन्च को अपने करियर का सबसे बड़ा जोखिम बताया। कहा, उस समय कई विशेषज्ञों ने जियो को वित्तीय विफलता करार दिया था, लेकिन मैंने अपने बोर्ड से कहा- भले ही हमें कोई रिटर्न न मिले, लेकिन यदि भारत को डिजिटल बना पाए तो यह सबसे बड़ा परोपकार होगा। रिलायंस जियो ने फ्री वॉयस कॉल और सस्ते डेटा प्लान्स के जरिए भारत के डिजिटल इकोसिस्टम को पूरी तरह से बदल डाला। आज यह भारत की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनियों में से एक है।

भविष्य को लेकर स्पष्ट दृष्टि
मुकेश अंबानी ने बताया कि रिलायंस अब हरित और स्वच्छ ऊर्जा पर केंद्रित है। सोलर, बैटरी, ग्रीन हाइड्रोजन और जैव-ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में निवेश कर कंपनी जलवायु संकट से लड़ने की तैयारी कर रही है। हम हर नए व्यवसाय की शुरुआत इसी सोच से करते हैं। भारत के विकास के लिए सबसे ज़रूरी क्या है, और हम उसे बड़े पैमाने पर कैसे हल कर सकते हैं।

रिलायंस का DNA: उद्देश्य आधारित नवाचार
मुकेश अंबानी ने कहा कि उनके पिता धीरूभाई अंबानी का मानना था कि अगर आप एक अरब लोगों को प्रभावित करने वाला व्यवसाय बनाते हैं, तो आप सफल होंगे। पैसे अपने आप आएंगे। इसी सोच के साथ रिलायंस ने पॉलिएस्टर टेक्सटाइल, फिर रिफाइनरी, फिर जियो, और अब ग्रीन एनर्जी में विशाल कदम उठाए।

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