health insurance: क्या सिर्फ हेल्थ इंश्योरेंस काफी? क्रिटिकल इलनेस कवर क्यों जरूरी, कैसे आता है काम

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Health Insurance tips

सिर्फ हेल्थ इंश्योरेंस गंभीर बीमारियों के खर्च के लिए काफी नहीं है। क्रिटिकल इलनेस कवर बीमारी में आय के नुकसान और नॉन मेडिकल खर्चों में भी मदद करता है।

Health insurance tips: अक्सर लोग यह मान लेते हैं कि हेल्थ इंश्योरेंस होने से वो हर तरह के मेडिकल खर्चों से सुरक्षित हैं। लेकिन हकीकत है कि सामान्य हेल्थ पॉलिसी सिर्फ अस्पताल, सर्जरी और कुछ इलाज के खर्च तक ही सीमित होती है। बड़ी बीमारियों जैसे कैंसर, दिल से जुड़ी बीमारी या स्ट्रोक जैसे मामलों में केवल अस्पताल का खर्च ही नहीं, बल्कि लंबा इलाज, काम से छुट्टी की वजह से इनकम का नुकसान और लाइफस्टाइल बदलने जैसे खर्च भी शामिल हो जाते हैं।

यही वजह है कि क्रिटिकल इलनेस कवर आज के समय में और भी अहम हो गया है।

क्या है क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस?

यह एक ऐसी पॉलिसी है जिसमें गंभीर बीमारी की डायग्नोसिस होते ही बीमाधारक को एकमुश्त रकम दी जाती है। यह रकम इलाज के अलावा रोज़मर्रा के खर्च या इनकम की भरपाई के लिए भी इस्तेमाल की जा सकती। भारत में कैंसर, किडनी से जुड़े रोग, ऑर्गन ट्रांसप्लांट जैसी बीमारियां आमतौर पर इस पॉलिसी के तहत आती हैं। कवर की रकम कुछ लाख से लेकर 1 करोड़ रुपये तक हो सकती।

किसे लेना चाहिए यह कवर?

अगर परिवार में पहले से लाइफस्टाइल बीमारियों का इतिहास है, नौकरी ऐसी है, जिसमें स्ट्रेस रहता है और बचत कम है तो ये कवर काफी अहम हो जाता है। युवा भी इसे ले सकते हैं क्योंकि कम उम्र में प्रीमियम भी कम रहता है। वहीं 40-50 की उम्र वालों के लिए यह और भी जरूरी है क्योंकि इस उम्र में गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। अपना बिजनेस कर रहे लोगों के लिए तो ये सुरक्षा कवच और भी जरूरी हो जाता है। क्योंकि उनके पास सैलरी या एम्प्लॉयर की सुविधाओं का सहारा नहीं होता।

दोनों पॉलिसियों को बैलेंस कैसे करें?

हेल्थ इंश्योरेंस और क्रिटिकल इलनेस कवर दोनों को साथ लेना सबसे बेहतर विकल्प है। जहां हेल्थ पॉलिसी अस्पताल और इलाज का खर्च कवर करती है, वहीं क्रिटिकल इलनेस कवर लंबी बीमारी के दौरान आय और गैर-मेडिकल खर्चों को संभालने में मदद करता है। इससे आपको अपनी सेविंग्स या संपत्ति बेचने की जरूरत नहीं पड़ेगी और आपके फाइनेंशियल गोल्स भी सुरक्षित रहेंगे।

पॉलिसी चुनते वक्त किन बातों पर ध्यान दें?

पॉलिसी लेने से पहले यह समझना जरूरी है कि गंभीर बीमारियों का औसत इलाज खर्च कितना है और आपको कितनी आय की भरपाई चाहिए। साथ ही पॉलिसी के वेटिंग पीरियड, एक्सक्लूज़न और कवर की गई बीमारियों की पूरी लिस्ट जरूर पढ़ें। कई कंपनियां अब हेल्थ पॉलिसी में राइडर्स जोड़कर कम प्रीमियम में क्रिटिकल इलनेस कवर का विकल्प भी देती हैं।

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी और खराब लाइफस्टाइल में केवल स्वास्थ्य बीमा ही काफी नहीं है। हेल्थ और क्रिटिकल इलनेस दोनों का कॉम्बिनेशन ही सही मायने में सुरक्षा कवच है, जिससे बीमारी के साथ-साथ आर्थिक झटकों से भी बचाव हो सके।

(प्रियंका कुमारी)

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