IPO Market: आईपीओ में इस साल रिकॉर्ड तेजी, पर किसने की कमाई? 2025 में प्रमोटरों-PE-VC ने की निकासी, निवेशकों के लिए क्या है सबक?

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साल 2025 में IPO फंडरेजिंग 1.76 लाख करोड़ रुपये रही, लेकिन इसका बड़ा हिस्सा OFS के जरिए प्रमोटरों और PE-VC निवेशकों की निकासी से जुड़ा रहा। 

साल 2025 में IPO फंडरेजिंग 1.76 लाख करोड़ रुपये रही, लेकिन इसका बड़ा हिस्सा OFS के जरिए प्रमोटरों और PE-VC निवेशकों की निकासी से जुड़ा रहा। जानिए इस रुझान का मतलब, कमजोर लिस्टिंग रिटर्न और आम निवेशकों के लिए क्या सीख है।

IPO 2025: साल 2025 में भारतीय शेयर बाजार के प्राथमिक यानी आईपीओ बाजार में एक खास रुझान देखने को मिला। कंपनियों के प्रमोटरों और प्राइवेट इक्विटी-वेंचर कैपिटल निवेशकों ने बड़े पैमाने पर हिस्सेदारी बेचकर प्राफिट बुक किया। इस साल कुल आईपीओ फंडरेजिंग लगभग 1.76 लाख करोड़ रुपए रही, लेकिन इसका बड़ा हिस्सा नई पूंजी जुटाने के बजाय पुराने शेयरधारकों की निकासी से जुड़ा रहा। ऑफर-फॉर-सेल यानी ओएफएस के जरिए करीब 1.11 लाख करोड़ रुपए की हिस्सेदारी बेची गई, जबकि फ्रेश इश्यू से केवल 64,406 करोड़ रुपए ही जुटाए गए। इसका सीधा मतलब यह है कि आईपीओ बाजार का उपयोग कंपनियों के विस्तार से ज्यादा, प्रमोटरों और शुरुआती निवेशकों के एग्जिट के लिए किया गया।

ओएफएस से 1.11 लाख के शेयर बेचे गए

ओएफएस के भीतर भी सबसे बड़ी हिस्सेदारी प्रमोटरों की रही। कुल ओएफएस का करीब 71 प्रतिशत प्रमोटरों द्वारा किया गया, जबकि प्राइवेट इक्विटी निवेशकों की हिस्सेदारी 19 प्रतिशत रही। बाकी बिक्री बैंकों, घरेलू कंपनियों और व्यक्तिगत शेयरधारकों की ओर से हुई। आंकड़ों के लिहाज से देखें तो प्रमोटरों ने लगभग 79,000 करोड़ रुपए के शेयर बेचे, जबकि पीई-वीसी निवेशकों ने 20,644 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी से बाहर निकलकर मुनाफा बुक किया। यह दिखाता है कि कई प्रमोटर और फंड मौजूदा ऊंचे वैल्यूएशन को भुनाने के मूड में थे। बड़ी डील्स पर नजर डालें तो एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंक सबसे बड़ी प्रमोटर सेलर बनकर सामने आई, जिसने एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स के आईपीओ के जरिए करीब 11,600 करोड़ रुपए की हिस्सेदारी बेची।

एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स सबसे बड़ी प्रमोटर सेलर

इसके बाद दूसरी सबसे बड़ी प्रमोटर सेलर आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी की प्रमोटर कंपनी प्रूडेंशियल कॉरपोरेट होल्डिंग्स रही, जिसने 10,600 करोड़ रुपए के शेयर ऑफलोड किए। एचडीएफसी बैंक ने भी अपनी सब्सिडियरी एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज के आईपीओ में करीब 10,000 करोड़ रुपए की हिस्सेदारी बेची। इसके अलावा हेक्सावेयर टेक्नोलॉजीज में सीए मैग्नम होल्डिंग्स और टाटा कैपिटल में टाटा संस की बड़ी हिस्सेदारी बिक्री भी बाजार में चर्चा का विषय रही। प्राइवेट इक्विटी और वेंचर कैपिटल निवेशकों ने भी आईपीओ के जरिए आंशिक निकासी की। पीक एक्सवी पार्टनर्स सबसे बड़े पीई सेलर रहे, जिन्होंने पाइन लैब्स, मीशो, वेकफिट और बिलियनब्रेंस गैरेज वेंचर्स जैसी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेची।

इन अन्य कंपनियों ने भी बुक किया प्राफिट

इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन और वाईसी होल्डिंग्स जैसे निवेशकों ने भी विभिन्न कंपनियों से बाहर निकलकर अच्छा मुनाफा कमाया। यह संकेत देता है कि कई शुरुआती निवेशक अपने निवेश चक्र के अंत में पहुंच चुके थे। हालांकि इतनी बड़ी निकासी के बीच आईपीओ की लिस्टिंग परफॉर्मेंस अपेक्षाकृत कमजोर रही। जहां 2023 और 2024 में औसत आईपीओ रिटर्न करीब 29-30 प्रतिशत रहा था, वहीं 2025 में यह घटकर लगभग 9 प्रतिशत पर आ गया। साल की 91 लिस्टिंग्स में से केवल कुछ ही शेयर 50 प्रतिशत से ज्यादा रिटर्न दे पाए, जबकि कई कंपनियों के शेयर तीन से छह महीने के भीतर अपने इश्यू प्राइस से नीचे चले गए। इसके बावजूद विदेशी निवेशकों ने प्राथमिक बाजार में दिलचस्पी बनाए रखी और करीब 7.55 अरब डॉलर का निवेश किया, जबकि सेकेंडरी बाजार में उन्होंने लगभग 24 अरब डॉलर की बिकवाली की।

(एपी सिंह की रिपोर्ट)

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