Investment Idea 2026: नए साल निवेश में लें स्मार्ट फैसला, मल्टी-एसेट से बनाएं मजबूत रिटर्न के 4 यार

investment-idea-2026: साल 2026 में निवेश कैसे करें? मल्टी-एसेट निवेश से जोखिम कम करें और लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न पाएं।
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साल 2026 में निवेश कैसे करें? मल्टी-एसेट निवेश से जोखिम कम करें और लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न पाएं।

साल 2026 में निवेश कैसे करें? सोना, चांदी, शेयर, बॉन्ड और रियल एसेट्स में संतुलित मल्टी-एसेट निवेश से जोखिम कम करें और लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न पाएं।

हरिभूमि बिजनेस डेस्क: साल 2025 निवेशकों के लिए उतार-चढ़ाव से भरा रहा। वैश्विक स्तर पर टैरिफ, जियो-पॉलिटिकल तनाव और देश में जीएसटी सुधार व आईपीओ गतिविधियों के बीच शेयर बाजार लंबे समय तक सीमित दायरे में घूमता रहा। हालांकि साल के दूसरे हिस्से में धीरे-धीरे रिकवरी के संकेत दिखने लगे।

इसी दौरान सोना और चांदी ने निवेशकों का खास ध्यान खींचा। इस साल अब तक सोने ने करीब 63% और चांदी ने 100% से ज्यादा रिटर्न दिया। लेकिन सिर्फ बीते रिटर्न देखकर निवेश करना अक्सर गलत साबित होता है। कभी-कभी तेजी के बाद ज्यादा रिटर्न का लालच भारी नुकसान भी करा सकता है।

क्यों जरूरी है लंबी सोच और अनुशासन?

विशेषज्ञों की मानें तो बाजार का सही समय पकड़ने की कोशिश करने के बजाय लॉन्ग टर्म प्लानिंग, अनुशासन और मल्टी-एसेट डाइवर्सिफिकेशन पर फोकस करना ज्यादा बेहतर है। अलग-अलग एसेट क्लास में संतुलित निवेश न सिर्फ जोखिम घटाता है, बल्कि समय के साथ कंपाउंडिंग के जरिए बेहतर रिटर्न की संभावना भी बढ़ाता है।

रिटर्न के पीछे भागना क्यों गलत रणनीति?

लॉन्ग टर्म डेटा बताता है कि जैसे ही सोने या किसी एसेट में तेजी आती है, निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ जाती है; और गिरावट आते ही वही दिलचस्पी घट जाती है। यह भावनाओं पर आधारित निवेश है। इससे बचने का बेहतर तरीका है डाइवर्सिफाइड रणनीति अपनाना—जैसे ऐसे फंड्स या पोर्टफोलियो, जो अपने आप अलग-अलग एसेट्स में बैलेंस बनाए रखते हैं (आउटसोर्स्ड एसेट एलोकेशन)।

डाइवर्सिफिकेशन क्यों जरूरी?

केवल सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले एसेट के पीछे भागना जोखिम बढ़ाता है—चाहे वह तेजी के समय शेयर हों या गिरावट में सोना। डाइवर्सिफिकेशन में पैसा अलग-अलग एसेट्स में लगाया जाता है, जो अलग परिस्थितियों में अलग व्यवहार करते हैं। इससे पोर्टफोलियो का झटका कम होता है।

अच्छी खबर यह है कि जून 2024 के बाद से बाजार में फिर से ग्रोथ और क्वालिटी कंपनियों का प्रदर्शन सुधरा है। अप्रैल 2023 से मई 2024 के बीच हुई कमजोरी का एक बड़ा हिस्सा इन कंपनियों ने रिकवर कर लिया है। इसलिए शेयरों में भी अलग-अलग स्टाइल और सेक्टर में निवेश करके संतुलन बनाना जरूरी है।

2026 के लिए प्रमुख एसेट क्लास और उनका व्यवहार

1. सोना और चांदी
कीमती धातुएं पारंपरिक रूप से सेफ हेवन मानी जाती हैं। महंगाई या कमजोर करेंसी के दौर में ये अच्छा प्रदर्शन कर सकती हैं। चांदी का इंडस्ट्रियल उपयोग ज्यादा होने से इसमें उतार-चढ़ाव अधिक रहता है, लेकिन रिटर्न की संभावना भी रहती है।

2. शेयर (इक्विटी)
लंबी अवधि में ग्रोथ की सबसे बेहतर संभावना यहीं होती है, खासकर टेक्नोलॉजी और इनोवेशन से जुड़े सेक्टर में। हालांकि ये ब्याज दरों, कमाई अनुमान और आर्थिक बदलावों के प्रति संवेदनशील होते हैं। इसलिए देशों और सेक्टरों में फैलाव जरूरी है।

3. फिक्स्ड इनकम (बॉन्ड)
बॉन्ड स्थिरता और नियमित आय देते हैं। ब्याज दरें बढ़ने पर कीमतों पर दबाव आ सकता है, फिर भी जोखिम कम करने और पूंजी सुरक्षा के लिए ये अहम हैं—खासकर रिटायरमेंट के करीब निवेशकों के लिए।

4. रियल एसेट्स और वैकल्पिक निवेश
रियल एस्टेट, इंफ्रास्ट्रक्चर और कमोडिटीज महंगाई से बचाव में मदद करते हैं। प्राइवेट इक्विटी या हेज फंड जैसे विकल्प रिटर्न बढ़ा सकते हैं, लेकिन इनमें जोखिम ज्यादा और लिक्विडिटी कम होती है।

समझदारी का रास्ता

आज के बदलते और अनिश्चित माहौल में स्मार्ट डाइवर्सिफिकेशन सिर्फ अच्छा विकल्प नहीं, बल्कि जरूरी है। शॉर्ट टर्म रिटर्न के बजाय संतुलन, अनुशासन और लंबी अवधि पर ध्यान दें। मल्टी-एसेट पोर्टफोलियो को जोखिम और रिटर्न के सही संतुलन में काम करने दें, ताकि समय के साथ कंपाउंडिंग अपना कमाल दिखा सके।

(डिस्क्लेमर: यह लेख ब्रोकरेज हाउस की रिपोर्ट पर आधारित है और केवल जानकारी के उद्देश्य से दिया गया है। यह किसी तरह की निवेश सलाह नहीं है। बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें।)

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