Reserve Bank of India: भारतीय रिजर्व बैंक से जुड़े रोचक तथ्य, RBI क्यों कहलाता है बैंकों का बैंक?

Reserve Bank of India
Reserve Bank of India: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) केवल एक बैंक नहीं, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। इसे “बैंकों का बैंक” कहा जाता है क्योंकि यह देश के समस्त बैंकों को नियंत्रित करता है, मुद्रा छापता है, मौद्रिक नीतियां तय करता है, और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने का काम करता है। इस लेख में जानिए RBI से जुड़े कुछ रोचक तथ्य जो आपकी सामान्य जानकारी के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं में भी उपयोगी साबित हो सकते हैं।
RBI की स्थापना कब हुई?
1 अप्रैल 1935 को RBI की स्थापना हुई थी। पहले इसका हेडक्वार्टर कोलकाता में था, बाद में 1949 में मुंबई स्थानांतरित कर दिया गया।
शुरुआत में यह एक प्राइवेट बैंक था
RBI शुरू में एक प्राइवेट शेयरहोल्डिंग कंपनी थी। 1949 में इसका राष्ट्रीयकरण (Nationalization) हुआ और यह भारत सरकार के अधीन आ गया।
भारतीय करेंसी पर हस्ताक्षर किसके होते हैं?
हर भारतीय नोट पर आपको RBI गवर्नर के हस्ताक्षर मिलेंगे, न कि वित्त मंत्री के!
नोट RBI छापता है, लेकिन सिक्के नहीं
RBI ₹2 और उससे ऊपर के नोट छापता है। सिक्के भारत सरकार के द्वारा बनाए जाते हैं, लेकिन RBI ही उन्हें सर्कुलेट करता है।
देश का "बैंकों का बैंक"
RBI भारत के सभी बैंकों को रेगुलेट करता है। जब कोई बैंक मुश्किल में होता है, तो RBI उसकी मदद करता है- इसीलिए इसे "बैंकों का बैंक" भी कहा जाता है।
रेपो रेट और इकोनॉमी
RBI रेपो रेट घटा-बढ़ा कर मार्केट में लोन और ब्याज दरों को कंट्रोल करता है। इससे आम आदमी की EMI, FD रेट, लोन आदि पर असर पड़ता है।
मौद्रिक नीति (Monetary Policy) कौन तय करता है?
RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) हर दो महीने में बैठती है और रेपो रेट जैसी नीतियां तय करती है।
दुनिया के चुनिंदा बैंक जो एक साथ इतना काम करते हैं
RBI न सिर्फ करेंसी छापता है, बल्कि यह वित्तीय स्थिरता, विदेशी मुद्रा भंडार, महंगाई नियंत्रण, डिजिटल पेमेंट रेगुलेशन – ये सभी कार्य अकेले करता है।
डिजिटल इनोवेशन
UPI, IMPS और अब डिजिटल रुपया (e₹) जैसी योजनाओं के पीछे RBI की बड़ी भूमिका है।
रिज़र्व बैंक का अपना थिंक टैंक है
RBI के पास "RBI Bulletin" और "Report on Currency and Finance" जैसी रिपोर्ट्स होती हैं, जो देश की आर्थिक नब्ज़ को समझने में मदद करती हैं।
क्या आप जानते हैं?
भारत के पहले RBI गवर्नर सर ओसबॉर्न स्मिथ (ब्रिटिश) थे।
पहले भारतीय गवर्नर थे सी.डी. देशमुख (1943-1949)।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) में अब तक 26 गवर्नर हो चुके हैं। वर्तमान में (जून 2025 तक) शक्तिकांत दास RBI के 26वें गवर्नर हैं।
सबसे लंबे समय तक गवर्नर रहने वाले: बेनुगुप्त दास (8 साल)
सबसे कम समय तक गवर्नर: बी. एन. आदर्कर और कानूनगो (कुछ महीने/कार्यवाहक)
मनमोहन सिंह और रघुराम राजन जैसे नाम, जो बाद में देश/दुनिया में बड़ी भूमिका में रहे।
RBI गवर्नर का पद भारत के सबसे प्रभावशाली आर्थिक पदों में गिना जाता है। ये गवर्नर केवल बैंकिंग सिस्टम के रखवाले नहीं होते, बल्कि वे हमारी EMI, ब्याज दरें, मुद्रास्फीति (महंगाई) और देश की आर्थिक नीतियों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं।
अब तक रिज़र्व बैंक को 26 गवर्नर मिले
1935 से अब तक रिज़र्व बैंक को 26 गवर्नर मिले हैं – जिनमें कुछ कार्यवाहक रहे, कुछ प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री, और कुछ प्रशासनिक सेवा से आए अधिकारी। इनमें से कई ने भारत के आर्थिक इतिहास को आकार देने में अहम भूमिका निभाई है।
