Business News: भारत का ऑनलाइन घरेलू सर्विसेस मार्केट 8800 करोड़ का होगा, 5 साल में बदल जाएगी तस्वीर

India online home services market
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भारत का ऑनलाइन होम सर्विसेज मार्केट 18-22 फीसदी की रफ्तार से बढ़ेगा। 2030 तक इसका आकार 8800 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।

भारत का ऑनलाइन होम सर्विसेज मार्केट आने वाले सालों में तेज रफ्तार से बढ़ने जा रहा। एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, यह मार्केट 18-22 फीसदी की कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट से बढ़ते हुए वित्त वर्ष 2030 तक 8500 से 8800 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। इस तेजी की सबसे बड़ी वजह है शहरी उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग, जिसमें सुविधा, भरोसा और स्पीड को प्राथमिकता दी जा रही।

रिपोर्ट के अनुसार, क्विक कॉमर्स की तरह अब इंस्टेंट होम सर्विसेज भारतीय डिजिटल इकोनॉमी का अगला बड़ा अध्याय बनकर उभर रही। यह मॉडल समय से जूझते शहरी उपभोक्ताओं के लिए एक नया हैबिट लूप तैयार कर रहा, जहां घर से जुड़े कामों की तुरंत पूर्ति की उम्मीद की जा रही। फिलहाल भारत का कुल होम सर्विसेज मार्केट 5.1-5.21 लाख करोड़ रुपये का है, लेकिन इसमें से ज्यादातर हिस्सा अब भी असंगठित सेक्टर के पास है।

ऑनलाइन सेगमेंट की हिस्सेदारी बेहद कम है और वित्तीय वर्ष 2025 में यह केवल 4100-4300 करोड़ रुपये के आसपास रही। यानी मार्केट का 1 फीसदी से भी कम। लेकिन यही हिस्सा अब तेजी से बढ़ रहा और अगले पांच साल में बड़ा आकार लेने की राह पर है।

रिपोर्ट बताती है कि शहरी उपभोक्ता अब न सिर्फ प्रोडक्ट बल्कि सर्विसेज में भी क्विक डिलीवरी की उम्मीद कर रहे हैं। जिस तरह क्विक कॉमर्स ने हमारी खरीदारी की आदतें बदल दीं, वैसे ही इंस्टेंट होम सर्विसेज लोगों के घरों तक त्वरित सेवाएं पहुंचाने की नई उम्मीद जगाती हैं।

दिलचस्प बात यह है कि अभी भारत के सिर्फ 8 बड़े शहर ही ऑनलाइन होम सर्विसेज की मांग का 85-90 फीसदी हिस्सा बना रहे हैं। यहां बढ़ती शहरीकरण, कोविड के बाद बढ़ा ट्रस्ट और सेफ्टी का मुद्दा, और सुविधा के लिए ज्यादा खर्च करने की मानसिकता इस मांग को बढ़ावा दे रहे हैं।

हालांकि, इस सेक्टर के सामने चुनौतियां भी कम नहीं हैं। सबसे बड़ी चुनौती है छोटी-छोटी सर्विसेज को मुनाफे में बदलना, पीक आवर्स में पर्याप्त सर्विस प्रोफेशनल्स की उपलब्धता सुनिश्चित करना और उपभोक्ताओं का भरोसा जीतना। साथ ही, बड़ी संख्या में ऐसे वर्कफोर्स को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ना भी कठिन है जिनकी डिजिटल समझ सीमित है।

(प्रियंका कुमारी)

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