fiscal deficit: राजकोषीय घाटा पहली छमाही में 36.5% तक पहुंचा, पूंजीगत खर्च 30 फीसदी ज्यादा

Indias April September fiscal deficit at 36.5% of FY26 target
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India's April September fiscal deficit at 36 percent of FY26 target

fiscal deficit: केंद्र सरकार का अप्रैल-सितंबर 2025 में राजकोषीय घाटा 36.5% पहुंचा, पिछले साल की तुलना में ये थोड़ा ज्यादा है। पूंजीगत खर्च में पिछले साल के मुकाबले 30 फीसदी का उछाल आया है।

fiscal deficit: वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़कर 36.5 फीसदी हो गया। यह पिछले साल की समान अवधि के 29.4% के मुकाबले ज्यादा है। सरकार का कुल खर्च और टैक्स कलेक्शन, दोनों में संतुलन बनाए रखने की कोशिश जारी है।

वित्त मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, सरकार ने इस अवधि में अपने पूंजीगत खर्च का 51.8% हिस्सा पूरा कर लिया। यह एक बड़ी बढ़त मानी जा रही क्योंकि पिछले साल की समान अवधि में सिर्फ 37.3% लक्ष्य ही हासिल हुआ था।

सरकार ने सितंबर में खर्च किए 1.5 लाख करोड़

सरकार ने अब तक 5.8 लाख करोड़ पूंजीगत खर्च किया, जिसमें से सिर्फ सितंबर महीने में 1.5 लाख करोड़ का निवेश हुआ। यह पिछले साल के मुकाबले 30% ज्यादा है। वहीं अप्रैल में ही सरकार ने 1.6 लाख करोड़ खर्च कर दिए थे।

पूंजीगत खर्च के तहत राज्य सरकारों को दिए जाने वाले कर्ज की राशि भी इस बार दोगुनी रही। अप्रैल-सितंबर 2025 के बीच यह आंकड़ा 55398 करोड़ के मुकाबले अब 1.1 लाख करोड़ के पार पहुंच गया। इससे इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास परियोजनाओं को गति मिलने की उम्मीद है।

बजट लक्ष्य का 45 फीसदी हिस्सा खर्च

कुल सरकारी खर्च की बात करें तो अब तक 50.7 लाख करोड़ के बजट लक्ष्य का 45.5% हिस्सा इस्तेमाल किया जा चुका। पिछले साल यह आंकड़ा 43.8% था। यानी खर्च बढ़ा है लेकिन राजस्व की रफ्तार थोड़ी धीमी पड़ी है।

नेट टैक्स रेवेन्यू इस बार 43.3% रहा जबकि पिछले साल यह 49% था। इसका एक कारण सितंबर में लागू जीएसटी स्लैब में बदलाव को माना जा रहा है, जिससे कुछ कर संग्रह प्रभावित हुआ। हालांकि सरकार को उम्मीद है कि त्योहारी सीजन की बढ़ी खपत इस कमी को कुछ हद तक संतुलित करेगी।

वित्तीय संकेतों के अनुसार, दो-पहिया वाहनों की बिक्री 21.5% बढ़ी है, जबकि UPI और ई-कॉमर्स ट्रांजेक्शन में भी तेजी आई है। इससे घरेलू मांग में सुधार का संकेत मिल रहा है, जो आने वाले महीनों में राजस्व में इजाफा ला सकता है।

(प्रियंका कुमारी)

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