Indian Rupee vs US Dollar: डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर रुपया, क्यों भारतीय करेंसी पर बढ़ रहा दबाव

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Indian Rupee vs US Dollar: क्यों भारतीय रुपये पर बढ़ रहा दबाव।

Indian Rupee vs US Dollar: भारतीय करेंसी रुपया शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले निचले स्तर पर फिसल गया। दिन के सत्र में रुपया 89.3613 प्रति डॉलर तक लुढ़क गया।

Indian Rupee vs US Dollar: भारतीय शेयर बाजार में गिरावट के साथ ही शुक्रवार (5 सितंबर) को भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले एक और रिकॉर्ड निचले स्तर पर फिसल गया। मिड-डे ट्रेड में रुपया 89.3613 प्रति डॉलर तक लुढ़क गया। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की बिकवाली और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ दबाव ने रुपये की गिरावट को गहरा कर दिया है। हालांकि, बाजार सूत्रों के मुताबिक, रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के दखल ने तेज गिरावट पर कुछ हद तक ब्रेक लगाया है।

भारतीय करेंसी रुपये ने दिन की शुरुआत हल्की मजबूती के साथ की थी। रुपया 88.1075 पर खुला था, जो पिछले बंद भाव 88.1525 से 5 पैसे बेहतर था। लेकिन विदेशी बिकवाली और टैरिफ चिंताओं ने जल्दी ही इसका रुख पलट दिया और रिकॉर्ड स्तर तक गिरावट देखने को मिली।

टैरिफ से रुपया से कमजोर हो रहा

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिस्ट दिलीप परमार के मुताबिक, 'डॉलर/रुपया में उछाल अमेरिकी टैरिफ से जुड़ी चिंताओं की वजह से आया। हालांकि, 88.30 के स्तर पर सरकारी बैंकों ने डॉलर बेचकर गिरावट को रोकने की कोशिश की, संभवतः RBI की ओर से।'

एशियाई करेंसी से पिछड़ा रुपया

2025 की शुरुआत से अब तक रुपया करीब 2.83 फीसदी कमजोर हुआ है। वहीं, कोरियन वॉन और चीनी युआन क्रमशः 5.74 और 2.30 फीसदी मजबूत हुए हैं। यह तुलना दिखाती है कि भारतीय मुद्रा अभी भी एशिया के बाकी देशों की करेंसी से कमजोर प्रदर्शन कर रही है।

एक्सपोर्टर्स की चिंता

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय निर्यातक RBI से खास राहत की मांग करने वाले हैं। वो चाहते हैं कि अमेरिकी कारोबार से मिली रकम को अस्थायी तौर पर 15 फीसदी ज्यादा रुपये के मूल्य पर बदला जाए। इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन पंकज चड्ढा ने कहा कि निर्यातक डॉलर की कमाई को करीब 103 रुपये की दर से बदलने की मांग कर रहे ताकि ट्रंप के टैरिफ का असर कुछ कम किया जा सके।

फिलहाल रुपये की दर 88.33 के ऐतिहासिक निचले स्तर के करीब पहुंच चुकी और आगे की स्थिति विदेशी निवेश और अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक घटनाक्रमों पर निर्भर करेगी।

(प्रियंका कुमारी)

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