Rupee vs Dollar: ट्रंप टैरिफ का असर, रुपया ऑल टाइम लो पर आया; पहली बार 88 रुपये से नीचे फिसला

Indian Rupee vs US Dollar
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Indian Rupee vs US Dollar: भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले ऑल टाइम लो पर आ गया। 

Indian Rupee vs Dollar: अमेरिका द्वारा लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ का असर पड़ रहा है। शुक्रवार को भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले अपने ऑल टाइम लो पर आ गया। रुपया 87.6963 पर खुला लेकिन डॉलर के मुकाबले गिरकर 88.1000 तक पहुंच गया।

Indian Rupee vs Dollar: भारत पर अमेरिकी टैरिफ का असर दिखने लगा है। शुक्रवार को भारतीय रुपया रिकॉर्ड गिरावट के साथ 88 प्रति डॉलर के नीचे फिसल गया। यह पहली बार है जब घरेलू मुद्रा डॉलर के मुकाबले इतना नीचे गिरा है। कारोबार के दौरान रुपया 88.29 तक फिसल गया, जो इसका नया ऑलटाइम लो है। इससे पहले फरवरी में रुपया 87.95 के स्तर पर गया था। बाद में आरबीआई की डॉलर बिक्री से थोड़ी राहत मिली और दोपहर 2:10 बजे यह 88.12 पर ट्रेड कर रहा था।

रुपये की यह गिरावट ऐसे समय आई है, जब अमेरिका ने रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदने के कारण भारतीय सामान पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगा दिया है। इसके साथ ही भारत के निर्यात पर लगने वाला कुल शुल्क 50% तक पहुंच गया। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसका सीधा असर भारत की आर्थिक वृद्धि और बाहरी वित्तीय स्थिति पर पड़ेगा।

एशिया की सबसे कमजोर करेंसी रुपया

साल 2025 में अब तक रुपया करीब 3 फीसदी कमजोर हो चुका है और ये एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गया। शुक्रवार को रुपये ने चीनी युआन के मुकाबले भी रिकॉर्ड निचला स्तर छू लिया।

और नीचे गिर सकता है रुपया

फॉरेक्स विशेषज्ञों का कहना है कि जैसे ही रुपया 87.60 के स्तर को पार कर गया, आयातकों ने बड़े पैमाने पर डॉलर खरीदना शुरू कर दिया क्योंकि उन्होंने हेजिंग नहीं की थी। उम्मीद थी कि आरबीआई दखल देगा, लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ तो रुपये ने तेजी से 88 का स्तर तोड़ दिया और कई स्टॉप-लॉस ऑर्डर ट्रिगर हो गए। विशेषज्ञों के मुताबिक, अब अगला अहम स्तर 89 का होगा।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर बड़ा खतरा

अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि अगर अमेरिकी टैरिफ लंबे समय तक लागू रहे, तो भारत की जीडीपी ग्रोथ में 60 से 80 बेसिस पॉइंट्स तक की गिरावट आ सकती। यह ऐसे समय में होगा जब पहले से ही भारत की विकास दर धीमी हो रही। भारतीय रिजर्व बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष (31 मार्च 2026 तक) के लिए ग्रोथ अनुमान 6.5 फीसदी लगाया है। लेकिन टैरिफ और रुपये की कमजोरी इस अनुमान को झटका दे सकते हैं।

रोजगार और निर्यात पर असर

अमेरिका को भारत का निर्यात जीडीपी का 2.2 फीसदी है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि कपड़ा और ज्वेलरी जैसे लेबर इंटेंसिव उद्योगों पर ज्यादा असर होगा। इससे रोजगार पर भी खतरा मंडरा रहा है। इस साल विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारतीय शेयर और बॉन्ड से 9.7 अरब डॉलर निकाल चुके हैं। ऐसे में टैरिफ से निर्यात घटने की आशंका भारत के व्यापार घाटे को और बढ़ा सकती है।

(प्रियंका कुमारी)

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