Chabahar Port: भारत को ट्रंप ने दी बड़ी राहत, चाबहार पोर्ट पर अमेरिकी प्रतिबंधों से मिल गई छूट

अमेरिका ने ईरान स्थित चाबहार पोर्ट परियोजना के लिए प्रतिबंधों से छूट की अवधि बढ़ा दी
Chabahar Port: भारत को ईरान के चाबहार बंदरगाह पर काम जारी रखने के लिए अमेरिका से बड़ी राहत मिली है। वॉशिंगटन ने इस रणनीतिक परियोजना के संचालन पर लगे प्रतिबंध पर छूट की अवधि अगले साल की शुरुआत तक बढ़ा दी। इस फैसले से भारत की एक अहम क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना को नया जीवन मिल गया।
ईरान के दक्षिण-पूर्व में स्थित चाबहार बंदरगाह भारत के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम है। यह भारत का पाकिस्तान को बायपास कर अरब सागर के रास्ते अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक सीधा पहुंचने का इकलौता रास्ता है।
भारत इस पोर्ट के शहीद बेहेश्ती टर्मिनल का संचालन अपनी सरकारी कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड के ज़रिए करता है। साल 2024 में भारत और ईरान के बीच इस टर्मिनल के संचालन को लेकर 10 साल का समझौता हुआ था। यह बंदरगाह इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर से भी जुड़ा है, जो भारत, ईरान, रूस और मध्य एशियाई देशों को जोड़ने वाला प्रमुख व्यापारिक नेटवर्क है।
अमेरिकी प्रतिबंध और छूट की अहमियत
अमेरिका के ईरान पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों में उसके ऊर्जा, बैंकिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर शामिल हैं। इससे अधिकांश देशों के लिए ईरान में निवेश या व्यापार करना मुश्किल हो गया है। हालांकि, साल 2018 से अमेरिका चाबहार पोर्ट को मानवीय और रणनीतिक महत्व के चलते बार-बार छूट देता रहा है। यह बंदरगाह अफगानिस्तान को राहत सामग्री और खाद्य आपूर्ति पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है, खासकर तालिबान के सत्ता में आने के बाद।
भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक जीत
छूट की अवधि बढ़ने से भारत को चाबहार पोर्ट पर अपने कामकाज को बिना किसी बाधा के जारी रखने का मौका मिला है। भारत इस पोर्ट के ज़रिए अफगानिस्तान और मध्य एशिया में गेहूं, दवाइयां और मानवीय सहायता पहुंचाता रहा है।
यह परियोजना भारत की विदेश नीति में भी अहम भूमिका निभाती है, क्योंकि इससे चीन के प्रभाव को संतुलित किया जा सकता है। चीन ईरान के प्रतिद्वंद्वी ग्वादर पोर्ट (पाकिस्तान) में भारी निवेश कर चुका है, जो उसकी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का हिस्सा है।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, यह छूट भारत को मध्य एशिया के साथ व्यापार और संपर्क बढ़ाने की गुंजाइश देती है और अमेरिका व ईरान, दोनों के साथ संतुलित रिश्ते बनाए रखने में मदद करती है।
कनेक्टिविटी का नया रास्ता चाबहार पोर्ट
चाबहार सिर्फ एक बंदरगाह नहीं, बल्कि भारत की गेटवे टू सेंट्रल एशिया रणनीति का अहम हिस्सा है। यह अफगानिस्तान के जरंज से जुड़ता है और वहां से मध्य एशिया तक सीधी सड़क और रेल कनेक्टिविटी प्रदान करता है। इससे भारत को न केवल ट्रांजिट टाइम कम करने में मदद मिलती है, बल्कि यह क्षेत्रीय व्यापार के लिए एक स्थायी और राजनीतिक रूप से सुरक्षित विकल्प भी बनता है।
(प्रियंका कुमारी)
