ITR Delayed: इनकम टैक्स रिफंड अटका या हो रही देरी? ऐसे पता करें स्टेटस और क्यों रुकती है रकम

इनकम टैक्स रिटर्न में हो रही देरी तो क्या करें?
ITR Delayed: इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के बाद हर किसी को एक उम्मीद रहती है कि रिफंड जल्दी आए। इसका एक्नॉलेजमेंट मिलता है, सबमिशन भी हो जाता है और फिर शुरू होता है रिफंड का इंतजार। कई बार पैसे तुरंत आ जाते,तो कई बार हफ्तों का इंतज़ार भी बेकार लगता। ऐसे में दिमाग में सवाल उठता है कि आखिर गलती कहां हुई?बैंक में दिक्कत?प्रोसेसिंग रुकी हुई?लेकिन ज़्यादातर मामलों में देरी की वजह बेहद सामान्य होती है।
रिफंड की पूरी प्रोसेस समझने से आधी चिंता खुद ही खत्म हो जाती है।
सबसे पहले रिफंड स्टेटस कहां देखें?
रिफंड में देरी दिखे तो पहला कदम है, इनकम टैक्स ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॉगिन कर आईटीआर स्टेटस को चेक करना। यहां पता चलता है कि रिटर्न प्रोसेस हुआ या नहीं। अगर आईटीआर प्रोसेस्ड दिख रहा तो दूसरा कदम है एनएसडीएल रिफंड स्टेटस पेज को चेक करना। यहां पता चलता है कि आपका रिफंड बैंक को भेजा गया या बीच में कहीं रुका।
कई लोग सिर्फ एक जगह चेक करते हैं और परेशान हो जाते हैं। दोनों प्लेटफॉर्म आपको अलग-अलग स्टेज का अपडेट देते हैं, जैसे प्रोसेसिंग, रिफंड की प्रक्रिया शुरू या रिफंड फेल।
रिफंड लेट होने की सबसे आम वजहें
सबसे ज्यादा दिक्कत बैंक डिटेल्स से होती है। कई बार गलत अकाउंट नंबर या इनएक्टिव अकाउंट के कारण देरी होती है। नाम का मिसमैच होना भी देरी की एक आम वजह है। बैंक अकाउंट का प्री-वेलिडेशन न होने से भी रिफंड क्रेडिट नहीं हो पाता है। दूसरी बड़ी वजह है कि ई-वेरिफिकेशन का भूल जाना। लोग रिटर्न तो फाइल कर देते हैं लेकिन आखिरी स्टेप यानी वेरिफिकेशन करना भूल जाते हैं, जिससे प्रोसेस रुक जाती।
कुछ मामलों में टैक्स डिपार्टमेंट की भारी प्रोसेसिंग भी देरी का कारण बनती है। बड़े रिफंड,कैपिटल गेन,विदेशी असेट या पिछले साल के एडजस्टमेंट वाले रिटर्न में ज्यादा जांच होती है।
अगर बैंक डिटेल्स में दिक्कत है तो क्या करें?
अगर स्टेटस में रिफंड फेल दिखे तो पोर्टल पर जाकर, गलत बैंक अकाउंट को हटाएं और फिर सही अकाउंट जोड़ें। इसके बाद प्री-वेलिडेशन पूरा करें, फिर रिफंड रीयूज रिक्वेस्ट डालें। अक्सर यह स्टेप रिफंड मिलने का सबसे तेज़ तरीका होता है।
कब करें सपोर्ट से संपर्क?
इन स्थितियों में हेल्पलाइन या पोर्टल पर क्वेरी डालना जरूरी है। प्रोसेसिंग के 6–8 हफ्ते बाद भी रिफंड न आए, नोटिस का जवाब देने के बाद भी अपडेट न मिले और स्टेटस कई हफ्तों तक एक जैसा रहे तो संपर्क करना जरूरी हो जाता है। अधिकतर मामले बिना बड़े झंझट के सुलझ जाते हैं। ज्यादातर देरी किसी तकनीकी या डॉक्यूमेंट से जुड़ी साधारण दिक्कत होती है। सही स्टेप फॉलो करने पर रिफंड चुपचाप आपके अकाउंट में आ जाता है।
(प्रियंका कुमारी)
