Retirement Planning: भारत में चैन से जीनी है रिटायरमेंट लाइफ तो कितना पैसा चाहिए? जान लें पूरा हिसाब-किताब

Retirement corpus in India: भारत में अगर रिटायरमेंट के बाद चैन की जिंदगी जीनी है तो कितना पैसा चाहिए? 1 या 2 करोड़ या उससे ज्यादा। आपके मन में कभी न कभी ये सवाल जरूर आया होगा तो इस पर एक रिपोर्ट आई है, जिसमें ये बताया गया है कि रिटायरमेंट के बाद सुकून से जीवन जीने के लिए आपको कितना पैसा चाहिए या आपके पास कितना कॉरपस होना चाहिए।
ग्लोबल बैंक HSBC की एक हालिया रिपोर्ट से पता चलता है कि आर्थिक रूप से सुरक्षित रिटायरमेंट का लक्ष्य रखने वाले भारतीयों को लगभग 3.5 करोड़ रुपये (करीब 4 लाख यूएस डॉलर) की बचत करनी चाहिए। 'अफ्लुएंट इन्वेस्टर्स स्नैपशॉट 2025' शीर्षक वाली इस स्टडी में भारतीय निवेशकों के बीच महंगाई, बढ़ती लिविंग कॉस्ट और लंबी जीवन प्रत्याशा को लेकर बढ़ती चिंताओं पर प्रकाश डाला गया है, जो पोस्ट रिटायरमेंट प्लान को नया रूप दे रही है।
HSBC रिपोर्ट की अहम बातें
1. भारत में बढ़ती रिटायरमेंट कॉस्ट
हेल्थकेयर में बढ़ता खर्च, महंगाई और अच्छी जीवनशैली की इच्छा के साथ, भारतीयों को अब रिटायरमेंट के बाद आरामदायक जीवन जीने के लिए पर्याप्त पैसे की जरूरत है। रिपोर्ट बताती है कि जहाँ कई लोग अभी भी यात्रा, शिक्षा या संपत्ति खरीदने जैसे अल्पकालिक लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। वहीं लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल सुरक्षा की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव सामने आ रहा।
2. निवेश प्राथमिकताएं: सोना, शेयर और प्रबंधित फंड
भारतीय निवेशक अपने पोर्टफोलियो में विविधता ला रहे हैं, जिसमें सोना, शेयर और प्रबंधित निवेश सबसे पसंदीदा विकल्प हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले एक साल में सोने के आवंटन में सबसे ज़्यादा बढ़ोतरी हुई है, उसके बाद वैकल्पिक निवेश का स्थान है। इस बीच, नकदी होल्डिंग घटकर 15% रह गई है, जो ज़्यादा फ़ायदे वाली संपत्तियों की ओर रुझान का संकेत है।
3. जल्दी योजना बनाने से बढ़ता है आत्मविश्वास
एचएसबीसी की स्टडी जल्दी रिटायरमेंट प्लानिंग की अहमियत पर जोर दे रही। जिन निवेशकों ने 30 की उम्र के शुरुआती सालों में शुरुआत की, उन्होंने अपने लक्ष्यों को पूरा करने का ज़्यादा भरोसा जताया, जबकि जिन लोगों ने देरी की, उन्हें अपनी पोस्ट रिटायरमेंट लाइफस्टाइल से समझौता करने की चिंता थी।
4. वैश्विक तुलना: भारत बनाम दूसरे देश
भारत के लिहाज से 3.5 करोड़ रुपये की राशि भले ही काफी ज़्यादा लग सकती है, लेकिन अलग-अलग जीवन-यापन लागतों के कारण दुनिया भर में रिटारमेंट लक्ष्य अलग-अलग होते हैं:
सिंगापुर: 1.39 मिलियन अमेरिकी डॉलर ( 11.5 करोड़ रुपये)
हांगकांग: 1.1 मिलियन अमेरिकी डॉलर ( 9.1 करोड़ रुपये)
अमेरिका: 1.57 मिलियन अमेरिकी डॉलर (13 करोड़ रुपये)
चीन: 1.09 मिलियन अमेरिकी डॉलर (9 करोड़ रुपये)
भारत की ज़रूरतें तुलनात्मक रूप से कम हैं लेकिन बढ़ते शहरी खर्चों को देखते हुए, वित्तीय विशेषज्ञ पर्याप्त रिटायरमेंट कॉरपस बनाने के लिए आक्रामक बचत और स्मार्ट निवेश का सुझाव देते हैं।
रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए विशेषज्ञों की सिफ़ारिशें
- जल्दी शुरुआत करें: कंपाउंडिग की शक्ति समय के साथ धन बढ़ाने में मदद करती है।
- निवेश में विविधता लाएं: इक्विटी, म्यूचुअल फंड, सोना और रियल एस्टेट का मिश्रण जोखिमों को कम कर सकता है।
- महंगाई पर नज़र रखें: बढ़ती लागतों को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर बचत लक्ष्यों को समायोजित करें।
- पेंशन योजनाओं और एनपीएस पर विचार करें: सरकार समर्थित योजनाएँ टैक्स बैनिफिट्स और स्थिर रिटर्न देती है।
एचएसबीसी की रिपोर्ट तनाव-मुक्त रिटायरमेंट के लिए अनुशासित वित्तीय योजना की जरूरत पर ज़ोर देती है। 3.5 करोड़ रुपये के लक्ष्य को आधार मानकर, भारतीयों को अपना भविष्य सुरक्षित करने के लिए दीर्घकालिक निवेश दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। आप इस स्टडी से आप समझ गए होंगे कि आपकी रिटायरमेंट जर्नी सही रास्ते पर है या नहीं।
(प्रियंका कुमारी)
