Gold Price Today: साल के आखिरी दिन सोना फिसला, चांदी भी कमजोर, जानिए क्या है गिरावट की असली वजह

31 दिसंबर 2025 को सोने और चांदी की कीमतों में हल्की गिरावट दर्ज की गई।
Gold Silver rate Today, 31 December: साल 2025 के आखिरी कारोबारी दिन सोने और चांदी दोनों बहुमूल्य धातुओं की कीमतों में नरमी देखने को मिली है, जिससे निवेशकों और आम खरीदारों का ध्यान एक बार फिर कीमती धातुओं की चाल पर टिक गया है। 31 दिसंबर की सुबह घरेलू बाजार में सोने की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। राजधानी दिल्ली में 24 कैरेट सोना फिसलकर 1,36,340 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गया, जबकि 22 कैरेट सोने का भाव 1,24,990 रुपए प्रति 10 ग्राम रहा। मुंबई समेत कई बड़े शहरों में भी सोने के दाम में हल्की कमजोरी देखने को मिली, जहां 24 कैरेट सोना 1,36,190 रुपए प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंच गया। दिलचस्प बात यह है कि घरेलू बाजार में गिरावट के बावजूद अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें मजबूती के साथ नए शिखर पर पहुंच चुकी हैं।
वैश्विक बाजार में सोना-चांदी मजबूत
वैश्विक स्तर पर सोने का हाजिर भाव 4,401 डॉलर प्रति औंस के आसपास बना हुआ है। यह अंतर इस बात को दर्शाता है कि भारत में सोने की कीमतें केवल अंतरराष्ट्रीय रेट्स पर ही नहीं, बल्कि रुपये की चाल, आयात शुल्क, टैक्स और घरेलू मांग जैसे कई फैक्टर्स से प्रभावित होती हैं। साल के अंत में मुनाफावसूली और मांग में अस्थायी सुस्ती भी कीमतों पर दबाव बना सकती है। चांदी की बात करें तो इसमें भी साल के आखिरी दिन कमजोरी देखने को मिली है। घरेलू बाजार में चांदी का भाव घटकर 2,39,900 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गया। हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी का हाजिर भाव करीब 75.85 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर बना हुआ है।
मूल्य में आई यह गिरावट अस्थाई
विशेषज्ञों का मानना है कि अल्पकाल में भले ही चांदी की कीमतों में उतार-चढ़ाव रहे, लेकिन इसके दीर्घकालिक आधार मजबूत बने हुए हैं। रिलायंस सिक्योरिटीज के अनुसार, चांदी को मजबूत औद्योगिक मांग का लगातार समर्थन मिल रहा है। सोलर एनर्जी, इलेक्ट्रॉनिक्स और डेटा सेंटर इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे सेक्टरों में बढ़ती खपत के चलते चांदी की मांग लंबे समय तक बनी रह सकती है। इसके साथ ही वैश्विक स्तर पर सप्लाई से जुड़ी चुनौतियां भी कीमतों को सहारा दे रही हैं। कुल मिलाकर, साल के आखिरी दिन सोने और चांदी में आई यह गिरावट यह संकेत देती है कि शॉर्ट टर्म में कीमतें दबाव में रह सकती हैं, लेकिन लंबी अवधि के नजरिए से दोनों ही कीमती धातुएं अब भी सुरक्षित निवेश के विकल्प के रूप में अपनी अहमियत बनाए हुए हैं।
(एपी सिंह की रिपोर्ट)
