3 साल में सोना 139% चढ़ा: क्या अब भी बढ़ेंगे दाम? ऐसे में क्या हो निवेशकों की रणनिति ?

(एपी सिंह ) मुंबई। पिछले कुछ सालों में सोने की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है, जिसने निवेशकों को अपनी निवेश रणनीति दोबारा परखने के लिए मजबूर कर दिया है। स्टॉक मार्केट जहां अभी पिछले उच्च स्तरों तक लौटने की कोशिश में है, वहीं सोना लगातार शानदार रिटर्न देता हुआ निवेशकों का भरोसा और मजबूत कर रहा है। सिर्फ पिछले एक महीने में ही सोना करीब 7.5% बढ़ गया है।
एमसीएक्स के अनुसार 5 नवंबर 2025 को 1,19,289 रुपये प्रति 10 ग्राम की कीमत 5 दिसंबर 2025 को बढ़कर 1,28,221 रुपए पहुंच गई है। अगर 1, 2 और 3 साल के रिटर्न देखें तो क्रमशः 70%, 105% और 139% का भारी उछाल देखने को मिली है। इसका मतलब है कि तीन साल पहले लगाए गए 1 लाख रुपए आज लगभग 2.39 लाख रुपए बन चुके हैं।
पिछले दस सालों का रिकॉर्ड देखें तो सोना लगातार बढ़ता रहा है। 2015 में 25,235 रुपये प्रति 10 ग्राम का भाव 2025 में बढ़कर 1,27,723 रुपए हो गया। इस दौरान कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) भी लगातार मजबूत रहा और लंबी अवधि के निवेशकों को कई गुना रिटर्न मिला। इस असाधारण तेजी को देखते हुए अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या सोने की कीमतें अब अपनी चोटी पर पहुंच चुकी हैं, या आगे भी इसमें बढ़त की गुंजाइश बाकी है? एक्सपर्ट्स का मानना है कि सोना अभी भी सुरक्षित निवेश विकल्प बना रहेगा, क्योंकि दुनिया भर में महंगाई का खतरा, भू-राजनीतिक तनाव और लगातार केंद्रीय बैंकों द्वारा सोना खरीदे जाने जैसे कारक इसकी कीमतों को सहारा देते हैं।
इंडियन बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) की उपाध्यक्ष अक्षय कम्बोज का कहना है कि सोने की बुनियादी स्थिति लंबे समय में मजबूत रहती है, इसलिए निवेशकों को कीमत गिरने पर धीरे-धीरे खरीदारी करनी चाहिए, न कि ऊँचे दामों पर भाग-दौड़ करनी चाहिए। उनका मानना है कि सोना पोर्टफोलियो में सुरक्षा देता है, लेकिन इससे तुरंत बड़े मुनाफे की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के कमोडिटी रिसर्च हेड नवनीत दमानि भी यही सलाह देते हैं कि सोना एक बाय-ऑन-डिप्स वाला निवेश है।
यानी जब भी कीमतों में नरमी आए, निवेशक थोड़ी-थोड़ी मात्रा में सोना खरीदें और यदि आगे और कीमत गिरती है तो निवेश बढ़ा सकते हैं। एकमुश्त पैसा लगाने के बजाय समय-समय पर खरीदारी करना बेहतर माना जाता है, क्योंकि इससे जोखिम कम होता है और औसत खरीद मूल्य भी संतुलित रहता है। साथ ही विशेषज्ञ सोने में निवेश के लिए ईटीएफ और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जैसे विकल्पों को बेहतर बताते हैं, क्योंकि इनमें मेकिंग चार्ज नहीं लगता, खरीदना-बेचना आसान है और तरलता भी अधिक मिलती है। कुल मिलाकर सोना दीर्घकाल में स्थिरता देने वाला निवेश बना रहेगा, यदि इसे समझदारी से और उतार-चढ़ाव का लाभ उठाकर खरीदा जाए।
