stock market: एफपीआई ने सितंबर में निकाले 7945 करोड़, 2025 में अब तक 1.4 लाख करोड़ की बिकवाली

FPI outflow September 2025
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FPI outflow September 2025

stock market: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने सितंबर में अब तक 7945 करोड़ रुपये भारतीय शेयर बाजार से निकाले। 2025 में कुल बिकवाली 1.38 लाख करोड़ तक पहुंची।

stock market: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का भारतीय शेयर बाजार से पैसे निकालने का सिलसिला सितंबर में भी जारी है। डिपॉजिटरी डाटा के मुताबिक 1 से 19 सितंबर तक एफपीआई ने इक्विटी से करीब 7945 करोड़ रुपये की निकासी की। हालांकि इस दौरान उनकी बिकवाली की रफ्तार थोड़ी धीमी हुई।

जुलाई में 17700 करोड़ और अगस्त में 34990 करोड़ की भारी बिकवाली के बाद सितंबर का यह आंकड़ा आया है। 2025 में अब तक एफपीआई कुल 1.38 लाख करोड़ रुपये की नेट बिकवाली कर चुके हैं। वैश्विक अनिश्चितताएं, ट्रेड टेंशन और जियो पॉलिटिकल हालात इस बिकवाली के बड़े कारण बताए जा रहे।

एफपीआई ने 900 करोड़ की खरीदारी भी की

दिलचस्प बात यह है कि बीते हफ्ते एफपीआई ने कुछ दिन भारतीय बाजार में खरीदारी भी की। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती के बाद एफपीआई ने करीब 900 करोड़ रुपये की खरीदारी की। फेड ने 2025 में 2 और दर कटौती के संकेत दिए हैं। इससे वैश्विक बाजारों में लिक्विडिटी बढ़ने की उम्मीद है।

एंजल वन लिमिटेड के सीनियर फंडामेंटल एनालिस्ट वकार जावेद का कहना है, 'फेड की दर कटौती के बाद एफपीआई ने भारतीय इक्विटी में 900 करोड़ की खरीदारी की। हालांकि सितंबर में वे अब भी नेट सेलर बने हुए हैं।'

भारतीय इकोनॉमी की हालत मजबूत

मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के प्रिंसिपल हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि विदेशी निवेशकों ने बीते हफ्ते सावधानी से लेकिन थोड़ी वापसी की है। उनके मुताबिक फेड का नरम रुख, अमेरिका-भारत के बीच व्यापारिक तनाव में कमी और भारत की स्थिर मैक्रोइकोनॉमिक स्थिति ने निवेशकों का मनोबल बढ़ाया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक स्तर पर बनी अनिश्चितताएं और भू-राजनीतिक जोखिम अब भी निवेशकों को सतर्क बनाए हुए हैं।

डेट मार्केट में रुचि

इक्विटी से पूंजी निकासी के बीच एफपीआई ने डेट मार्केट में निवेश किया है। उन्होंने सामान्य सीमा के तहत करीब 900 करोड़ और वॉलंटरी रिटेंशन रूट के तहत एक हजार करोड़ रुपये झोंके हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले हफ्ते में भारत और अमेरिका के मैक्रोइकोनॉमिक डाटा और टैरिफ मीटिंग में प्रगति से एफपीआई फ्लो की दिशा तय होगी। फिलहाल बाजारों की नजर इस पर टिकी हुई है कि विदेशी निवेशकों का मूड कब तक सुधरता है।

(प्रियंका कुमारी)

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