भारत के सपने को नई उड़ान: मेड इन इंडिया चिप्स पर चलने वाले सिस्टम को मिला सर्टिफिकेशन, जानें इसकी अहमियत

Made in India chips: भारत की सेमीकंडक्टर यात्रा में बड़ी छलांग लगाते हुए, पूरी तरह देश में बनी चिप्स से संचालित टेलीकॉम सिस्टम को टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग सेंटर से मंजूरी मिल गई। इस उपलब्धि को आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारत की चिप स्टोरी में ऐतिहासिक पल बताते हुए शेयर किया है।
टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग सेंटर का सर्टिफिकेट केवल एक औपचारिक मंजूरी नहीं है, बल्कि यह इस बात का भरोसा है कि उत्पाद कड़े परफॉर्मेंस और सुरक्षा स्टैंडर्ड पर खरा उतरता है। टेलीकॉम उपकरण, जो भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, के लिए यह मंजूरी बेहद अहम मानी जाती है। इससे भारत में बनी चिप्स अब अंतरराष्ट्रीय क्वालिटी बेंचमार्क पर खरी मानी जाएंगी और घरेलू बाज़ार के साथ-साथ एक्सपोर्ट भी का जा सकेंगी।
Big leap for India’s semiconductor story!
— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) September 5, 2025
In a first, a telecom system running on ‘made in India’ chips has cleared the standards & quality tests (TEC certification). 🇮🇳 pic.twitter.com/tFQLF04Ool
क्यों अहम है यह सर्टिफिकेशन?
अब तक भारत को स्मार्टफोन, टेलीकॉम टावर, कारों और डेटा सेंटर्स चलाने के लिए आयातित चिप पर निर्भर रहना पड़ता था। लेकिन यह कदम आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के लक्ष्य को मज़बूती देगा। फिलहाल भारत ने उन्नत स्तर का फुल-स्केल फैब नहीं खड़ा किया लेकिन वह चिप डिजाइन, असेंबली और टेस्टिंग में लगातार क्षमता बढ़ा रहा। इस समय ध्यान 28nm से 65nm नोड्स पर है, जो भले ही सबसे एडवांस न हों लेकिन टेलीकॉम, ऑटोमोबाइल और इंडस्ट्रियल उपयोग के लिए ज़रूरी हैं।
ग्लोबल चिप रेस में भारत की रणनीति
दुनिया जहां सब-5 नेनौमीटर चिप्स बनाने की रेस में लगी है। भारत ने अलग रास्ता चुना है। भारत का फोकस उन मिड-रेंज नोड्स पर है, जिनकी कमी कोरोना काल में साफ दिखी थी।
बैस्चन रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की रणनीति है कि वह एडवांस नोड्स में TSMC या सैमसंग से मुकाबला करने के बजाय विश्वस्तरीय इंटीग्रेशन और स्केलेबल सॉल्यूशंस दे। भारत के पास पहले से ही बेहतरीन इंजीनियरिंग टैलेंट और डिज़ाइन क्षमता है, और अब यह तेजी से स्केल करने की दिशा में बढ़ रहा।
भारत के लिए यह सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि नहीं बल्कि डिजिटल संप्रभुता की दिशा में भी मील का पत्थर साबित हो सकता।
(प्रियंका कुमारी)
