US Tariffs: RBI गवर्नर से मिलेंगे निर्यातक, डॉलर-रुपया एक्सचेंज रेट के अलावा 2 और मांगों पर होगी बात

rbi governor exporter meeting
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US Tariffs: अमेरिकी टैरिफ से परेशान भारतीय निर्यातक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर से मिलेंगे। ये मुलाकात 11 सितंबर को हो सकती है। इसमें कर्ज चुकाने पर मोहलत के साथ डॉलर-रुपया दर में छूट की मांग पर चर्चा हो सकती है।

US Tariffs: अमेरिकी टैरिफ के भारी बोझ से दबे भारतीय एक्सपोर्टर्स अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से मदद की गुहार लगाएंगे। सूत्रों के मुताबिक, 11 सितंबर को आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा से एक्सपोर्ट इंडस्ट्री के प्रतिनिधि मुलाकात करेंगे। इस दौरान वे आसान कर्ज़ अदायगी नियम, पेनल इंटरेस्ट माफी और अन्य राहत उपायों की मांग करेंगे।

निर्यातकों ने सुझाव दिया है कि कर्ज़ चुकाने पर 12 महीने की मोहलत दी जाए और एक्सपोर्ट लोन पर एनपीए की समयसीमा को 180 दिन तक बढ़ाया जाए। इसके अलावा, नए बाज़ारों में एंट्री के लिए सॉवरेन गारंटी स्कीम’ लागू करने की भी डिमांड गवर्नर के सामने रखी जाएगी।

अमेरिकी टैरिफ ने बढ़ाई मुश्किलें

ट्रंप प्रशासन ने रूस से तेल खरीदने के कारण भारत पर 25 फीसदी पेनल्टी टैरिफ लगाया है। यह पहले से मौजूद 25% बेस रेट के ऊपर है। यानी कुल 50 फीसदी का टैरिफ भारत पर लगाया गया है। एशिया में यह सबसे ऊंचे टैरिफ में से एक है, जिसकी वजह से भारतीय सामान अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में वियतनाम, दक्षिण कोरिया और बांग्लादेश जैसे प्रतिस्पर्धियों की तुलना में महंगे साबित हो रहे।

अमेरिका भारत का सबसे बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट है और इन टैरिफ का सबसे ज़्यादा असर श्रम-आधारित उद्योगों पर पड़ने की आशंका है। खासकर टेक्सटाइल, फुटवियर और जेम्स- ज्वेलरी सेक्टर पर सीधा दबाव बढ़ गया है।

RBI से निर्यातकों को बड़ी उम्मीद

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा पहले ही संकेत दे चुके हैं कि रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था और प्रभावित क्षेत्रों को समर्थन देने के लिए जो भी ज़रूरी होगा, वह कदम उठाएगा। उन्होंने हाल ही में एक बैंकिंग सम्मेलन में कहा था कि आर्थिक वृद्धि को सपोर्ट करने के लिए जो भी उपाय ज़रूरी होंगे, हम पीछे नहीं हटेंगे।

टैरिफ झटके के बाद आरबीआई ने अप्रैल में भारत की विकास दर के अनुमान को 20 बेसिस प्वॉइंट घटा दिया था। साथ ही, केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति में ढील देते हुए रेपो रेट में 100 बेसिस प्वॉइंट की कटौती की और बाज़ार में कैश फ्लो को बढ़ाया था।

डॉलर-रुपया एक्सचेंज रेट पर भी होगी बात

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, निर्यातक यह भी चाहते हैं कि RBI उन्हें अस्थायी तौर पर अमेरिकी व्यवसाय से हुई आय को मौजूदा दर से 15% कम स्तर पर रुपये में बदलने की अनुमति दे। इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन पंकज चड्ढा ने कहा कि निर्यातक डॉलर के बदले लगभग 103 रु. की दर चाहते हैं, जबकि फिलहाल रुपया 88 के पार कमजोर हो चुका है।

अब सबकी निगाहें 11 सितंबर की बैठक पर टिकी हैं, जहां यह तय होगा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया किस हद तक निर्यातकों को राहत देने के लिए आगे आता है।

(प्रियंका कुमारी)

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