Digital banking Safety Tips: हर महीने 10 मिनट की ये आदतें डिजिटल फ्रॉड का खतरा घटा सकती, आज ही अपनाएं

डिजिटल लेन-देन करते हैं तो महीने में जरूर एक बार ये इन बातों पर ध्यान दें।
Digital banking Safety Tips: डिजिटल पेमेंट, यूपीआई और मोबाइल बैंकिंग ने पैसों का लेनदेन आसान बना दिया। लेकिन इसके साथ एक जिम्मेदारी भी चुपचाप यूजर्स के कंधों पर आ गई। बैंक अपने सिस्टम को सुरक्षित रखते हैं लेकिन आखिरी सुरक्षा परत आपका मोबाइल, आपकी सिम और आपकी आदतें होती हैं। अच्छी बात यह है कि सुरक्षित रहने के लिए किसी टेक्निकल एक्सपर्ट बनने की जरूरत नहीं है। बस हर महीने 10 मिनट की एक तय रूटीन काफी है।
सबसे पहले खुद से एक सवाल पूछिए कि आपने आखिरी बार यूपीआई पिन कब बदला था? अगर याद नहीं है, तो समझिए बदलने का वक्त आ गया। फोन किसी को देने, पब्लिक में पिन डालने या किसी संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने के बाद पिन बदलना बेहद जरूरी है। एक ही पिन को कई ऐप में इस्तेमाल न करें और जन्मतिथि या आसान नंबरों से बचें। साथ ही यह भी चेक करें कि किन-किन ऐप में आपका यूपीआई एक्टिव है। जो ऐप इस्तेमाल में नहीं हैं, उनमें यूपीआई तुरंत बंद कर दें।
फोन की क्लीनिंग जरूर करें
आपका फोन ही आपका वॉलेट है। महीने में एक बार अनजान या बेकार ऐप को हटाइए। खास ध्यान उन ऐप्स पर दें जो एसएमएस, कॉल या एक्सेसिबिलिटी परमिशन मांगते हैं।
फोन का ऑपरेटिंग सिस्टम और बैंकिंग ऐप अपडेट रखें। ये अपडेट सिर्फ नए फीचर के लिए नहीं होते, बल्कि सिक्योरिटी खामियों को भी ठीक करते हैं। अगर फोन में अब अपडेट आना बंद हो गया है, तो उसे बैंकिंग के लिए इस्तेमाल करना जोखिम भरा हो सकता है। स्क्रीन लॉक मजबूत रखें, लॉक स्क्रीन पर ओटीपी प्रीव्यू बंद करें और रूटेड या जेलब्रेक फोन पर बैंकिंग ऐप न चलाएं।
सिम स्वैप के संकेत पहचानें
सिम स्वैप फ्रॉड तेजी से बढ़ रहा है, क्योंकि इससे ओटीपी सुरक्षा भी बेकार हो जाती है। अचानक नेटवर्क गायब होना, कॉल सीधे वॉइसमेल पर जाना या नंबर बंद होने का मैसेज, इस तरह के संकेतों को कभी नजरअंदाज न करें। यह भी चेक करें कि बैंक और यूपीआई में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर वही है जो आपके पास है। डुअल सिम या ज्यादा ट्रैवल करने वालों को खास सतर्क रहना चाहिए।
अकाउंट और अलर्ट सेटिंग्स देखें
बैंकिंग ऐप में जाकर यूपीआई और नेट बैंकिंग की डेली लिमिट देखें। जरूरत से ज्यादा है तो घटा दें। कम लिमिट होने से नुकसान भी सीमित रहता है। डेबिट, क्रेडिट और लॉगिन अलर्ट जरूर ऑन रखें। हाल के ट्रांजेक्शन चेक करें, छोटी-सी अनजान एंट्री भी अहम हो सकती है।
मासिक ऑडिट का सबसे बड़ा फायदा यही है कि आप फ्रॉड होने के बाद नहीं, पहले सतर्क रहते हैं। कैलेंडर में रिमाइंडर लगाइए। ज्यादातर महीनों में कुछ नहीं मिलेगा, लेकिन जिस महीने गड़बड़ होगी, आप समय रहते पकड़ लेंगे।
(प्रियंका कुमारी)
