शेयर बाजार निवेशक: 2025 में ITR फाइलिंग स्टेप-बाय-स्टेप गाइड, गलतियों से बचें; टैक्स नोटिस से रहें सुरक्षित

Demat account holders ITR Filing news
ITR Filing: देश में शेयर बाजार के निवेशकों की बढ़ती संख्या के साथ डीमैट खातों का चलन भी तेजी से बढ़ा है। लेकिन इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करते समय छोटी-सी चूक आपको महंगी पड़ सकती है! कैपिटल गेन्स, डिविडेंड और निवेश के घाटे की सही जानकारी न देना टैक्स नोटिस और पेनल्टी का कारण बन सकता है।
आइए जानें, डीमैट खाताधारकों को ITR फाइल करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि आप टैक्स नियमों का पालन करते हुए अपनी मेहनत की कमाई को सुरक्षित रख सकें।
कैपिटल गेन्स के बारे में सही जानकारी
कैपिटल गेंस की सही जानकारी देना जरूरी है। अगर आप म्यूचुअल फंड यूनिट या शेयर बेच रहे हैं, तो लाभ या हानि को आपके द्वारा रखे गए समय के आधार पर शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स के रूप में रिपोर्ट किया जाना चाहिए। एक साल से कम अवधि के शेयर शॉर्ट-टर्म माने जाएंगे, जिन पर 20 फीसदी टैक्स लगेगा। जबकि एक साल से ज्यादा रखने पर लॉन्ग-टर्म गेन माना जाएगा, जहां 1.25 लाख से ऊपर का मुनाफा 12.5 फीसदी टैक्स के दायरे में आएगा।
डिविडेंड पर भी टैक्स लगता है
म्यूचुअल फंड या शेयरों से मिलने वाला डिविडेंड आपकी इनकम स्लैब के आधार पर कर योग्य होता है। अक्सर यह रकम सीधे बैंक अकाउंट में आती है, लेकिन ITR में इसे दिखाना अनिवार्य है।
घाटे को भी दिखाना जरूरी
अगर आपके निवेश में लॉस हुआ है, तब भी इसे इनकम टैक्स फाइल करते समय जरूर रिपोर्ट करें। ऐसा करने से आप इसे अगले 8 साल तक आगे ले जा सकते हैं और भविष्य के मुनाफे से एडजस्ट कर सकते हैं।
ब्रोकर स्टेटमेंट और AIS का मेल
आपके ब्रोकर से मिली स्टेटमेंट और वार्षिक सूचना विवरण में दर्ज जानकारी को अपनी एंट्री से मिलाना बेहद जरूरी है। गड़बड़ी होने पर नोटिस आ सकता है।
कॉरपोरेट एक्शन का असर
बोनस, राइट्स इश्यू और स्टॉक स्प्लिट जैसी कॉर्पोरेट गतिविधियों का टैक्स पर तत्काल असर नहीं होता लेकिन यह आपके कॉस्ट ऑफ एक्विज़िशन को प्रभावित करती हैं। गलत कैलकुलेशन से कैपिटल गेन टैक्स बढ़ सकता है।
कई निवेशकों के पास एक से ज्यादा डिमैट खाते होते हैं। ऐसे में सभी अकाउंट की डिटेल आईटीआर में भरना जरूरी है, क्योंकि टैक्स विभाग को ब्रोकर और डिपॉजिटरी से सीधी जानकारी मिल जाती है। ब्रोकर स्टेटमेंट, कॉन्ट्रैक्ट नोट्स, डिविडेंड स्टेटमेंट और खर्च के सबूत कम से कम 6 साल तक सुरक्षित रखें। टैक्स स्क्रूटनी की स्थिति में ये जरूरी हो सकते हैं।
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना महज औपचारिकता नहीं है। यह आपके निवेश और आय की सही तस्वीर पेश करती है। सटीक रिपोर्टिंग से न सिर्फ टैक्स बोझ घटता है, बल्कि नोटिस से भी बचा जा सकता है।
(प्रियंका कुमारी)
