Credit Card EMI: क्रेडिट कार्ड से EMI बनवाकर करते हैं खरीदारी? इन बातों को नज़रअंदाज करना पड़ सकता है भारी

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क्रेडिट कार्ड ईएमआई से जुड़ी जरूरी बातें।
Credit Card EMI: क्रेडिट कार्ड से खरीदी करने में बहुत से लोग EMI बनवाना पसंद करते हैं। ईएमआई भरने में लापरवाही कई बार भारी पड़ सकती है।

Credit Card EMI: आज के दौर में क्रेडिट कार्ड से EMI पर खरीदारी करना न केवल सुविधाजनक बन गया है, बल्कि एक आम चलन भी बन चुका है। मोबाइल फोन, टीवी, फ्रिज से लेकर लैपटॉप तक हर महंगा सामान अब आसान मासिक किस्तों में खरीदा जा सकता है। यह विकल्प उन लोगों के लिए काफी राहत देने वाला है जो एकमुश्त रकम खर्च नहीं करना चाहते।

हालांकि, यह सुविधा जितनी आसान और आकर्षक दिखती है, उतनी ही जोखिमभरी भी हो सकती है अगर इसकी शर्तों को नजरअंदाज किया जाए। अगर आपने बिना जानकारी के EMI ऑप्शन चुन लिया, तो आने वाले महीनों में आपको भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं EMI पर खरीदारी से जुड़ी अहम बातें।

EMI पर खरीदारी का गणित समझें

क्रेडिट कार्ड EMI (Equated Monthly Installment) का मतलब है किसी भी बड़ी खरीदारी को छोटे-छोटे मासिक भुगतान में बांटना। जैसे अगर आप ₹30,000 का फोन 6 महीने की EMI पर खरीदते हैं, तो हर महीने लगभग ₹5,000 चुकाने होंगे। हालांकि, हर बैंक और कार्ड के नियम अलग होते हैं, जैसे ब्याज दर, प्रोसेसिंग फीस और उपलब्ध लिमिट।

ब्याज दर और छिपे शुल्क से रहें सतर्क

EMI लेने से पहले यह जानना जरूरी है कि उस पर कितना ब्याज लगेगा। आमतौर पर ब्याज दर 1.5% प्रति माह यानी करीब 18%-24% सालाना हो सकती है। इसके अलावा ₹99 से ₹500 तक प्रोसेसिंग फीस भी लगती है। कई बार “नो-कॉस्ट EMI” का दावा किया जाता है, लेकिन उसमें प्रोडक्ट की कीमत बढ़ा दी जाती है या हिडन चार्जेस जोड़े जाते हैं, जिससे ग्राहक को असल में कोई बचत नहीं होती।

क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है सीधा असर

अगर आप समय पर EMI चुकाते हैं तो इससे आपका क्रेडिट स्कोर सुधरता है, जिससे भविष्य में लोन मिलना आसान होता है। लेकिन यदि आप किसी महीने की किस्त चुकाना भूल जाते हैं, तो न केवल जुर्माना देना पड़ता है, बल्कि आपका क्रेडिट स्कोर भी गिर जाता है। इससे अगली बार लोन या क्रेडिट लिमिट मिलने में परेशानी आ सकती है।

नो-कॉस्ट EMI का सच क्या है?

नो-कॉस्ट EMI नाम से लगता है कि आपको कोई अतिरिक्त भुगतान नहीं करना होगा, लेकिन हकीकत में कई बार यह ऑफर भ्रमित करने वाला होता है। रिटेलर प्रोडक्ट की कीमत में ही ब्याज जोड़ देते हैं। इसके अलावा अगर आप कोई EMI समय पर नहीं भरते हैं, तो बैंक 36% से 42% तक का पेनल ब्याज वसूल सकते हैं, जिससे आपकी जेब पर भारी असर पड़ता है।

क्या करें, क्या न करें?

  • EMI लेने से पहले उसकी ब्याज दर, प्रोसेसिंग फीस और शर्तों को अच्छे से समझ लें।
  • अपनी मासिक आय और खर्चों का आकलन करके ही EMI लें।
  • नो-कॉस्ट EMI के नियमों को ध्यान से पढ़ें, सिर्फ ऑफर देखकर फैसला न लें।
  • हर महीने की EMI समय पर भरें, ताकि क्रेडिट स्कोर खराब न हो।
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