Credit card EMIs: अगली बड़ी खरीद से पहले ये बातें जानना बेहद जरूरी, भूलने से हो सकता नुकसान

Credit card EMIs how it works
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क्रेडिट कार्ड ईएमआई भी एक तरह का लोन ही है,जिसकी अपनी शर्तें, ब्याज और छुपे चार्ज होते हैं। 

Credit card EMIs: क्रेडिट कार्ड ईएमआई लोन है सिर्फ आसान किस्त नहीं है। ब्याज,प्रोसेसिंग फीस और ब्लॉक्ड लिमिट असली खर्च बढ़ा सकती है।

Credit card EMIs: भारत में बड़ी खरीदारी का तरीका तेजी से बदल रहा है। मोबाइल फोन, टीवी, फ्रिज, छुट्टियों का पैकेज या बच्चों की स्कूल फीस, अब सब कुछ आसानी से क्रेडिट कार्ड EMI में बदल जाता है। काउंटर पर कुछ सेकेंड में काम हो जाता है,जेब पर एक साथ बोझ नहीं पड़ता और मासिक खर्च संभालने लायक लगता है। लेकिन सच्चाई यह है कि क्रेडिट कार्ड ईएमआई भी एक तरह का लोन ही है,जिसकी अपनी शर्तें, ब्याज और छुपे चार्ज होते हैं। अगर इनको पहले नहीं समझा, तो बाद में खर्च भारी पड़ सकता है।

क्रेडिट कार्ड EMI असल में कैसे काम करती है

जब आप किसी खरीद को EMI में बदलते हैं, तो बैंक आपकी मदद नहीं, बल्कि आपके बकाये को री-स्ट्रक्चर करता है। खरीद की पूरी रकम आपके कार्ड की कुल क्रेडिट लिमिट से ब्लॉक हो जाती है और फिर तय अवधि, जैसे 3, 6, 9 या 12 महीने, में किश्तों में वसूली होती है। हर महीने स्टेटमेंट में EMI (मूलधन + ब्याज) दिखती है। भले ही आप पूरा बिल समय पर चुका दें लेकिन आपकी क्रेडिट लिमिट धीरे-धीरे ही फ्री होती है। इसी वजह से कई लोगों को लगता है कि शॉपिंग के बाद भी लिमिट कम क्यों दिख रही है।

ब्याज और फीस से बढ़ सकता है असली खर्च

EMI का प्रचार हमेशा “आसान किस्तों” पर होता है, लेकिन ध्यान देने वाली चीज सालाना ब्याज दर है। आमतौर पर यह रिवॉल्विंग क्रेडिट के 30–40% ब्याज से कम होती है, फिर भी 13–24% तक जा सकती है। इसके अलावा एक बार का प्रोसेसिंग फीस और उस पर GST भी लगता है। त्योहारों में कई बार कम या जीरो ब्याज का ऑफर मिलता है, लेकिन तब भी पर्सनल लोन या कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन से तुलना करना समझदारी है।

'नो-कॉस्ट EMI हर बार फ्री नहीं होती

नो-कॉस्ट EMI सुनने में शानदार लगती है, लेकिन असल में उसका खर्च कहीं न कहीं छुपा होता है। कई बार ब्रांड या रिटेलर बैंक को सब्सिडी देता है, तो कई बार फुल पेमेंट पर मिलने वाला डिस्काउंट EMI में गायब हो जाता है। सही तरीका है, एक बार पूरी रकम एक साथ देने पर कितनी कीमत पड़ रही है और EMI में कुल कितना भुगतान होगा, सभी फीस और टैक्स जोड़कर। अगर EMI वाली रकम ज्यादा है, तो वह नो-कॉस्ट नहीं है।

EMI लेने के बाद लचीलापन कम हो जाता है

प्री-पेमेंट को लेकर भी सावधान रहें। कई कार्ड EMIs में आंशिक भुगतान की सुविधा नहीं होती। पूरी EMI बंद करने के लिए एक साथ पूरी बकाया राशि चुकानी पड़ सकती है और कुछ बैंक फोरक्लोजर चार्ज भी लेते हैं। अगर कुछ महीनों में बोनस या अतिरिक्त पैसा आने वाला है, तो EMI फैलाने के बजाय एकमुश्त भुगतान या छोटा पर्सनल लोन बेहतर हो सकता है।

क्रेडिट स्कोर पर क्या असर पड़ता है

समय पर EMI भरना क्रेडिट प्रोफाइल के लिए अच्छा है। लेकिन दिक्कत तब आती है जब आपकी क्रेडिट लिमिट लंबे समय तक ब्लॉक रहती है। इससे क्रेडिट यूटिलाइजेशन ज्यादा दिखता है, जो स्कोर पर नकारात्मक असर डाल सकता है। अगर पहले से कई EMIs चल रही हैं, तो एक और जोड़ना भुगतान चूकने का जोखिम बढ़ा देता है, और एक चूक भविष्य के लोन को महंगा बना सकती है।

(प्रियंका कुमारी)

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