Year Ender: 2025 में 140% तक उछले ऑटो शेयर, क्या 2026 में भी बरकरार रहेगी यह तेजी ?

2025 में ऑटो शेयरों ने 140% तक का रिटर्न दिया है।
Year Ender: भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर ने 2025 में निवेशकों को चौंकाते हुए जबरदस्त प्रदर्शन किया है। जिस साल को पहले वाहन निर्माताओं और ऑटो कंपोनेंट कंपनियों के लिए औसत या कमजोर माना जा रहा था, वही साल अब एक मजबूत उछाल के रूप में सामने आया है। इस तेजी के पीछे सबसे बड़ा कारण सितंबर में जीएसटी दरों में की गई बड़ी कटौती मानी जा रही है, जिसने पूरे ऑटो सेक्टर में मांग को नया जीवन दिया। जीएसटी को 28–31 प्रतिशत के उच्च स्तर से घटाकर 18 प्रतिशत किए जाने के बाद वाहनों की कीमतों पर सीधा असर पड़ा। इससे उपभोक्ताओं के लिए गाड़ियां सस्ती हुईं और खरीदारी का माहौल बना। इसका असर सिर्फ पैसेंजर व्हीकल तक सीमित नहीं रहा, बल्कि दोपहिया, ट्रैक्टर, कमर्शियल वाहन और ऑटो कंपोनेंट्स तक फैला।
डीलरों के स्टॉक में सुधार, बिक्री बढ़ी
डीलरों के पास स्टॉक सुधरा, रिटेल बिक्री बढ़ी और आने वाले वर्षों को लेकर सेक्टर का नजरिया पहले से कहीं ज्यादा सकारात्मक हो गया। 2025 में निफ्टी ऑटो इंडेक्स करीब 23 प्रतिशत चढ़ चुका है। प्रमुख कंपनियों के शेयरों में भी शानदार तेजी देखने को मिली है। मारुति सुजुकी के शेयर लगभग 50 प्रतिशत बढ़े हैं, जबकि महिंद्रा एंड महिंद्रा और हुंडई मोटर इंडिया में भी दो अंकों की मजबूत बढ़त दर्ज हुई है। दोपहिया सेगमेंट में आयशर मोटर्स और टीवीएस मोटर कंपनी ने भी करीब 50 प्रतिशत तक रिटर्न देकर यह दिखाया है कि रिकवरी व्यापक और संतुलित रही है। ब्रोकरेज फर्मों का मानना है कि इस तेजी के पीछे मजबूत बुनियादी कारण हैं। कमर्शियल व्हीकल सेगमेंट में ट्रक ऑपरेटरों की आय में सुधार, बेहतर उपयोग दरें और माल भाड़े में बढ़ोतरी ने नए वाहनों की मांग को बढ़ाया है।
दोपहिया वाहनों में स्थिति एक जैसी नहीं
इसके अलावा, पुराने ट्रकों की औसत उम्र करीब 11 साल होने के कारण रिप्लेसमेंट डिमांड भी तेज हुई है, जिसका फायदा अशोक लेलैंड जैसी कंपनियों को मिला है। हालांकि, दोपहिया बाजार में तस्वीर पूरी तरह एक जैसी नहीं है। प्रीमियम सेगमेंट में अपग्रेड की वजह से मांग मजबूत बनी हुई है, लेकिन एंट्री-लेवल और मिड-सेगमेंट बाइकों में अभी भी पूरी तरह सुधार नहीं दिख रहा। इसके बावजूद, ग्रामीण मांग और आय में सुधार से आने वाले समय में इस सेगमेंट में भी गति आने की उम्मीद जताई जा रही है। ट्रैक्टर सेगमेंट को भी 2025 में खास मजबूती मिली है। अच्छे मानसून, जीएसटी कटौती और खेती से जुड़े संरचनात्मक बदलाव-जैसे फसल विविधीकरण, कृषि यंत्रीकरण, एथेनॉल ब्लेंडिंग, पशुपालन और बागवानी-ने ग्रामीण आय को सहारा दिया है। इससे ट्रैक्टरों की मांग को स्थायी आधार मिलने की संभावना बन रही है।
ऑटो सेक्टर में तीन साल बनी रहेगी तेजी
विशेषज्ञों का मानना है कि आयकर में संभावित राहत, ब्याज दरों में कटौती और वेतन आयोग से जुड़ी सिफारिशें आने वाले दो–तीन वर्षों तक ऑटो सेक्टर की मांग को सहारा दे सकती हैं। खास बात यह है कि 2025 में ऑटो एंसिलरी कंपनियों ने वाहन निर्माताओं से भी बेहतर प्रदर्शन किया है। कई कंपनियों के शेयर 80 से 140 प्रतिशत तक चढ़े हैं, जिनमें मजबूत निर्यात, ईवी से जुड़े अवसर और चीन-प्लस-वन रणनीति का बड़ा योगदान रहा है। कुल मिलाकर, 2025 की तेजी सिर्फ एक अस्थायी उछाल नहीं मानी जा रही, बल्कि यह 2026 और उसके बाद के वर्षों के लिए एक मजबूत आधार तैयार कर रही है। हालांकि, आगे की राह पूरी तरह आसान नहीं होगी, लेकिन मौजूदा संकेत बताते हैं कि ऑटो सेक्टर की गाड़ी फिलहाल सही ट्रैक पर दौड़ रही है।
रिपोर्ट: एपी सिंह।
