Mega Merger: अंबुजा सीमेंट्स बोर्ड ने एसीसी और ओरिएंट सीमेंट के विलय को दी मंजूरी

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karan adani

अडानी समूह की अंबुजा सीमेंट्स ने ACC और ओरिएंट सीमेंट के विलय को मंजूरी दे दी है। जानिए इस मेगा मर्जर का मतलब, शेयरधारकों और सीमेंट बाजार पर क्या होगा इसका असर।

मुंबई। अडाणी समूह की प्रमुख कंपनी अंबुजा सीमेंट्स ने अपने सीमेंट कारोबार को और मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा रणनीतिक कदम उठाया है। कंपनी के बोर्ड ने एसीसी लिमिटेड और ओरिएंट सीमेंट लिमिटेड को अंबुजा सीमेंट्स में विलय को मंजूरी दे दी है। इस फैसले का उद्देश्य पूरे भारत में फैला एक ऐसा एकीकृत सीमेंट प्लेटफॉर्म तैयार करना है, जो संचालन, वित्त और प्रतिस्पर्धा-तीनों स्तरों पर अधिक प्रभावी हो। इस प्रस्तावित विलय के पूरा होने के बाद अंबुजा, एसीसी और ओरिएंट सीमेंट एक ही कॉरपोरेट ढांचे के तहत काम करेंगे। हालांकि, बाजार में इन कंपनियों के मौजूदा ब्रांड नाम पहले की तरह अलग-अलग क्षेत्रों में बने रहेंगे।

व्यवस्थित होगी निर्णय प्रक्रिया व संचालन

उपभोक्ताओं को ब्रांड के स्तर पर कोई बड़ा बदलाव महसूस नहीं होगा, पर कंपनी के भीतर निर्णय प्रक्रिया और संचालन कहीं अधिक केंद्रीकृत और सुव्यवस्थित हो जाएगा। इस प्रक्रिया को अगले लगभग एक साल में पूरा किए जाने की उम्मीद है। कंपनी का मानना है कि इस विलय से उत्पादन इकाइयों, लॉजिस्टिक्स नेटवर्क और सप्लाई चेन का बेहतर तालमेल बनेगा। अलग-अलग कंपनियों के रूप में काम करने से जो दोहराव और अतिरिक्त खर्च होता था, वह खत्म होगा। ब्रांडिंग, बिक्री प्रचार और वितरण से जुड़े खर्चों में कटौती के जरिए प्रति टन सीमेंट पर कम से कम 100 रुपए तक मार्जिन बढ़ने की संभावना जताई गई है। इससे कंपनी की लाभप्रदता में सीधा सुधार होगा।

शेयरधारकों के लिए विलय की संरचना स्पष्ट

शेयरधारकों के लिए भी इस विलय की स्पष्ट संरचना तय की गई है। एसीसी के शेयरधारकों को उनके हर 100 शेयरों के बदले अंबुजा सीमेंट्स के 328 नए शेयर मिलेंगे, जबकि ओरिएंट सीमेंट के शेयरधारकों को हर 100 शेयरों पर अंबुजा के 33 शेयर दिए जाएंगे। इसका मतलब है कि निवेशकों की हिस्सेदारी को नए, बड़े और मजबूत इकाई में समायोजित किया जाएगा। अंबुजा सीमेंट्स के गैर-कार्यकारी निदेशक करण अडाणी के अनुसार, यह विलय केवल आकार बढ़ाने का कदम नहीं है, बल्कि एक वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी और एकीकृत सीमेंट एवं निर्माण सामग्री कंपनी बनाने की दिशा में परिवर्तनकारी पहल है। विलय के बाद अलग-अलग प्रबंधन सेवाओं और प्रशासनिक समझौतों की जरूरत नहीं रहेगी। इससे निर्णय तेजी से लिए जा सकेंगे और पूंजी का इस्तेमाल अधिक कुशलता से हो पाएगा।

रिपोर्ट: एपी सिंह

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