8वां वेतन आयोग पर बड़ा अपडेट: सरकार ने नियुक्ति और समय सीमा पर दी अहम जानकारी

8th pay commission latest update: राज्यसभा में सांसद सागरिका घोष द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में, वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (8th CPC) को लेकर कई अहम बातें स्पष्ट कीं। उन्होंने बताया कि सरकार को विभिन्न हितधारकों से सुझाव मिले हैं। "उचित समय" पर अधिसूचना जारी की जाएगी। अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति अधिसूचना जारी होने के बाद ही होगी।
ToR (Terms of Reference) पर क्या प्रगति है?
ToR यानी कार्य-परिसीमा को अंतिम रूप देने के लिए केंद्र सरकार ने रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय, DoPT और राज्यों से सुझाव मांगे हैं। ToR में आयोग को वेतन, पेंशन और भत्तों की समीक्षा के लिए दिशा-निर्देश मिलेंगे।
आयोग की रिपोर्ट और समयसीमा
आयोग को ToR जारी होने के बाद 18 से 24 महीनों में अपनी रिपोर्ट सौंपनी होती है।रिपोर्ट आने के बाद केंद्र सरकार वेतन और पेंशन में बदलाव लागू करती है। पिछली बार (7वां वेतन आयोग) की तरह इसे भी पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू किया जा सकता है।
कर्मचारियों की मांग और प्रतिक्रिया
केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स का प्रतिनिधित्व करने वाले NC-JCM ने अपने सुझाव सरकार को सौंप दिए हैं। कर्मचारी चाहते हैं कि ToR में महंगाई और जीवन-यापन की लागत को प्राथमिकता दी जाए। वेतन संरचना में व्यापक और व्यवहारिक सुधार किए जाएं।
वेतन आयोग होता क्या है?
हर 10 साल में केंद्र सरकार वेतन आयोग का गठन करती है। इसका मुख्य उद्देश्य होता है:
- वेतन, पेंशन और भत्तों की समीक्षा करना
- सरकारी कर्मचारियों की वित्तीय स्थिति में सुधार करना
- रिपोर्ट के आधार पर नई वेतन संरचना लागू करना
आगे क्या हो सकता है?
सरकार जल्द ही अधिसूचना जारी कर सकती है। अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के बाद आयोग काम शुरू करेगा। रिपोर्ट आने के बाद वेतन और पेंशन में महत्वपूर्ण बदलाव संभव हैं।
कैसे होता है नए वेतन का निर्धारण?
फिटमेंट फैक्टर वह गुणांक होता है, जिससे मूल वेतन को गुणा करके नया वेतन निर्धारित किया जाता है।
उदाहरण के तौर पर देखें, तो 6वें वेतन आयोग में मूल वेतन ₹7,000 रुपए से बढ़कर ₹15,750 किया गया। जबकि, 7वें वेतन आयोग में 2.57 फिटमेंट फैक्टर के साथ न्यूनतम वेतन ₹18,000 हुआ।
8वें वेतन आयोग में यदि फिटमेंट फैक्टर 3.0 होता है तो ₹18,000 → ₹54,000 तक संभव है। नए वेतन निर्धारण में डीए (महंगाई भत्ता) शून्य कर दिया जाता है। इसलिए वास्तविक वेतन वृद्धि फिटमेंट फैक्टर के बावजूद सीमित होती है।
