Second Hand Car: सेकंड हैंड कार खरीदने जा रहे हैं? 6 बातों का ख्याल रखें, वरना सौदा पड़ सकता है भारी

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सेकंड हैंड कार खरीदने से जुड़ी जरूरी बातें।
Second Hand Car Purchase: सेकंड हैंड कार को खरीदने के पहले जरूरी बातें ध्यान रखें। इससे जुड़ी लापरवाही आप पर भारी पड़ सकती है।

Second Hand Car Purchase: भारत में सेकेंड हैंड कार खरीदना अब आम बात हो गई है। यह न केवल बजट में फिट बैठती है, बल्कि पहली बार कार खरीदने वालों के लिए भी बेहतर विकल्प मानी जाती है। लेकिन पुरानी कार खरीदते वक्त सावधानी जरूरी है, वरना फायदे के बजाय नुकसान उठाना पड़ सकता है।

अक्सर लोग सिर्फ कार की कीमत देखकर फैसला कर लेते हैं, जबकि असली ध्यान देना चाहिए कार की कंडीशन, डॉक्युमेंट्स और उसके इतिहास पर। यहां हम आपको बताएंगे पुरानी कार खरीदते समय ध्यान रखने वाली 6 अहम बातें, जिन्हें नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है।

सेकंड हैंड कार से जुड़ी जरूरी बातें

गाड़ी का सर्विस रिकॉर्ड जरूर जांचें

पुरानी कार की सर्विस हिस्ट्री उसके रख-रखाव का आईना होती है। इससे पता चलता है कि गाड़ी की समय-समय पर सर्विस हुई है या नहीं। नियमित सर्विसिंग से इंजन, ब्रेक्स, और अन्य हिस्सों की स्थिति का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। अगर सर्विस रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है, तो सतर्क हो जाएं यह गाड़ी की हालत पर शक पैदा कर सकता है।

इंजन की स्थिति की जांच करें

इंजन किसी भी कार का दिल होता है। टेस्ट ड्राइव के दौरान अगर इंजन से असामान्य आवाज़ आए या स्टार्ट होने में दिक्कत हो, तो समझिए कुछ गड़बड़ है। साथ ही, इंजन ऑयल का रंग और स्तर भी चेक करें यह इंजन की सेहत का अहम संकेत देता है। खराब इंजन बाद में भारी खर्च करा सकता है।

गाड़ी के डॉक्युमेंट्स वेरिफाई करें

गाड़ी के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC), बीमा पॉलिसी, पॉल्यूशन सर्टिफिकेट और रोड टैक्स जैसे दस्तावेज़ जांचना बहुत ज़रूरी है। RC से यह भी पता चलता है कि कार कितने मालिकों के हाथों में रही है। बिना डॉक्युमेंट्स के गाड़ी खरीदना कानूनी दिक्कतों में डाल सकता है।

एक्सीडेंट या डैमेज हिस्ट्री देखें

कार के बॉडी पैनल, पेंट और चेसिस नंबर पर ध्यान दें। किसी भी बड़ी मरम्मत या रिपेयर के निशान, जैसे वेल्डिंग, कलर का फर्क या असमान गैप्स, एक्सीडेंट का संकेत हो सकते हैं। साथ ही, इंश्योरेंस क्लेम हिस्ट्री से भी आपको इसकी जानकारी मिल सकती है।

ओडोमीटर की सत्यता परखें

कई बार डीलर या मालिक ओडोमीटर के नंबर में छेड़छाड़ कर गाड़ी को कम चला हुआ दिखाते हैं। इसके लिए सीट्स, क्लच, ब्रेक पैडल की घिसावट और टायर की हालत को देखकर अंदाज़ा लगाएं कि कार वाकई में कितनी चली है।

मैकेनिक से थर्ड-पार्टी इंस्पेक्शन कराएं

कार खरीदने से पहले किसी भरोसेमंद मैकेनिक से गाड़ी की पूरी जांच करवा लें। इससे आपको इंजन, सस्पेंशन, ब्रेक और इलेक्ट्रिकल्स की असली स्थिति का पता चलेगा। यह जांच मामूली लागत में बड़े नुकसान से बचा सकती है।

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