UPI Fraud: यूपीआई फ्रॉड से बचना आसान, बस इन 5 तरीकों को आजमाएं और चैन से करें ऑनलाइन पेमेंट

यूपीआई फ्रॉड से बचना है तो इन 5 तरीकों को आजमाएं
UPI Digital Fraud: भारत में UPI का इस्तेमाल जितना तेज़ और आसान हुआ है,उससे जुड़े फ्रॉड भी उतनी ही तेजी से बढ़ रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि ज्यादातर मामलों में सिस्टम की कोई तकनीकी कमी नहीं होती, बल्कि यूज़र की लापरवाही और ठगों की चालाक सोशल इंजीनियरिंग वजह बनती है।
मोबाइल स्क्रीन पर हर मिनट हजारों भुगतान मंजूर होते हैं और इसी भरोसे का फायदा उठाकर ठग लोगों को जाल में फंसा लेते हैं। नकली यूपीआई रिक्वेस्ट भेजना, फर्ज़ी QR कोड देना, बैंक अधिकारी बनकर कॉल करना, SIM स्वैप कर डेटा हथियाना और रिमोट एक्सेस ऐप इंस्टॉल करवाना- ये आज सबसे आम धोखाधड़ी के तरीके हैं। हालांकि जोखिम जितना बढ़ रहा है, उतने ही सख्त कदम भी लिए जा रहे हैं।
नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने आदेश दिया है कि 30 जून 2025 से कोई भी यूपीआई भुगतान पूरा करने से पहले यूज़र को सबसे पहले रिसीवर का नाम दिखाया जाएगा। इसका मकसद गलत अकाउंट या फर्ज़ी लिंक पर पैसे भेजने की घटनाओं को कम करना है। लेकिन नियम तभी काम करेंगे जब यूज़र सतर्क रहेंगे।
हर बार रिसीवर का नाम जरूर जांचें
सबसे पहला और जरूरी कदम है हर बार पेमेंट करने से पहले रिसीवर का नाम ध्यान से देखना। खासकर तब जब आप क्यूआर कोड स्कैन करते हैं, किसी लिंक पर क्लिक करते हैं, या ऐसी रिक्वेस्ट स्वीकार करते हैं जो आपने खुद इनिशिएट नहीं की। सिस्टम अब रिसीवर का नाम दिखाता है लेकिन उसे क्रॉस-चेक करना आपकी जिम्मेदारी है। यह छोटी सी आदत बड़े फ्रॉड रोक सकती है।
यूपीआई ऐप को हमेशा अपडेट रखें
दूसरी बड़ी सावधानी है अपने बैंक या UPI ऐप को हमेशा अपडेट रखना और उसे गैरजरूरी परमिशन न देना। कई यूज़र केवल सुविधा के लिए कैमरा, कॉन्टैक्ट, लोकेशन आदि पर बिना सोचे अनुमति दे देते हैं,जो जोखिम बढ़ाती है। किसी अनजान व्यक्ति के कहने पर कभी भी रिमोट एक्सेस ऐप इंस्टॉल न करें-ज्यादातर फ्रॉड इसी से शुरू होते हैं।
क्यूआर कोड को लेकर भी सतर्क रहें
QR कोड को लेकर भी सतर्क रहना जरूरी है। ठग अक्सर पैसे पाने के नाम पर नकली क्यूआर कोड भेज देते हैं, जिन्हें स्कैन करते ही आपके अकाउंट से पैसा कट जाता है। हमेशा वही QR स्कैन करें जिन पर भरोसा हो, और किसी भी चैट लिंक या शॉर्ट URL से बचें। अगर आपने खुद भुगतान इनिशिएट नहीं किया है, तो किसी लिंक या रिक्वेस्ट को स्वीकार न करें।
ऐप को सुरक्षित रखना जरूरी
चौथा बड़ा कदम है अपने फोन और UPI ऐप की सुरक्षा मजबूत रखना। लॉक स्क्रीन, बायोमेट्रिक और PIN का इस्तेमाल करें। हर एक-दो दिन में अपने बैंक और UPI ट्रांजैक्शन चेक करें, ताकि किसी संदिग्ध भुगतान को तुरंत पकड़ सकें। फोन खो जाए तो बैंक को तुरंत सूचित करें और ऐप ब्लॉक करवाएं।
और आखिरी, सबसे बुनियादी नियम-कभी भी अपना यूपीआई पिन, ओटीपी, या बैंक जानकारी किसी को न दें। न बैंक और न ही UPI ऐप कभी ऐसी जानकारी मांगेगा। ठगों की सबसे बड़ी ताकत यूज़र की जल्दबाज़ी और घबराहट होती है। एक मिनट रुककर अनुरोध को जांचने से हजारों रुपये बच सकते हैं।
UPI आज भी बेहद सुरक्षित और कुशल प्रणाली है। ज्यादातर धोखाधड़ी सिस्टम की वजह से नहीं,बल्कि यूज़र की असावधानी से होती है। बस इन पांच आसान आदतों को अपनाकर आप अपने डिजिटल भुगतान को काफी हद तक सुरक्षित बना सकते हैं।
(प्रियंका कुमारी)
