देश बदलने का आह्वान

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By - ??. ???????? ?????? |20 Aug 2014 6:30 PM
जयप्रकाश नारायण की जयंती के दिन 11 अक्तूबर को ‘आदर्श ग्राम योजना’ का खाका मोदी देश के सामने प्रस्तुत करेंगे।
प्रधानमंत्री ने सांसदों के लिए दो वर्ष के अंदर एक-एक आदर्श गांव विकसित करने की अपील की। उन्होंने कहा कि सांसद तीन से पांच हजार की आबादी वाला कोई गांव चुन लें और दो वर्षों के अंदर उसे हर तरह से विकसित करें। कहने का अर्थ है कि इन गांवों में सड़क हो, बिजली हो, पीने का पानी लोगों को उपलब्ध हो। उसी तरह से विधायक भी दो वर्षों के अंदर एक आदर्श गांव का निर्माण करें। यह काम 2016 तक संपन्न हो जाना चाहिये। 2019 तक दो और नये आदर्श गांवों का विकास किया जाए। जयप्रकाश नारायण की जयंती के दिन 11 अक्तूबर को ‘आदर्श ग्राम योजना’ का खाका मोदी देश के सामने प्रस्तुत करेंगे। इस तरह से मोदी ने सांसदों और विधायकों को रचनात्मक काम करने की प्रेरणा दी। उन्होंने अपनी पार्टी के सांसदों और विधायकों को घुमा फिराकर यह संकेत भी दे दिया कि यदि 5 वर्षों के बाद आपको पार्टी का टिकट चाहिए तो आप इन योजनाओं पर जमकर कार्य करें। क्योंकि आपकी ‘आदर्श ग्राम योजना’ को देखकर ही पार्टी यह निश्चय करेगी कि अगले चुनाव के लिए आपको टिकट दिया जाए या नहीं। ‘आदर्श ग्राम योजना’ का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि इसको देखकर आसपास के दूसरे गांव के लोग भी अपने गांव को विकसित करने का प्रयास करेंगे और इसमें कोई संदेह नहीं कि इस कार्य में सरकार की पूरी सहायता और पूरा सहयोग मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने सभी सांसदों से यह आह्वान किया कि वे देखें कि उनके क्षेत्र के सभी विद्यालयों में लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय बनाये गये हैं या नहीं। ‘सांसद विकास कोष’ में हर वर्ष जो पांच करोड़ रुपया मिलता है वह राशि एक वर्ष विद्यालयों में शौचालयों के निर्माण में खर्च की जाए। केंद्र और राज्य सरकारें भी इनके निर्माण में पैसा मुहैया कराएंगी और उन्होंने उम्मीद की कि कॉरपोरेट जगत भी गांव-देहात के विद्यालयों में शौचालय निर्माण में पूरा सहयोग देंगे।
अपने लाल किले के भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने ‘स्वच्छ भारत’ का अभियान शुरू करने की अपील की। इसकी शुरुआत गांधी जयंती दो अक्तूबर से होगी। 2019 तक गांव, शहर, मोहल्ला, अस्पताल, स्कूल आदि सभी क्षेत्रों को गंदगीमुक्त बनाने का मोदी का लक्ष्य है। इसमें कोई संदेह नहीं कि आज की तारीख में गांव-देहात में शौचालयों का घोर अभाव है। यदि हर गांव में 5-10 सार्वजनिक शौचालय भी बन जाएं तो लोगों को बहुत सुविधा होगी और गांव की गंदगी अपने आप समाप्त हो जाएगी। यहां यह याद रखने वाली बात है कि कुछ गांवों में जहां सार्वजनिक शौचालय बने हैं उनके रख-रखाव पर सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया। नतीजा हुआ कि बहुत जल्द वे शौचालय बेकार हो गये। शौचालयों के निमार्ण में एक बड़ी बात यह है कि उनके पास चापाकल या पानी की व्यवस्था अवश्य हो जिससे शौचालयों को नियमित रूप से साफ किया जा सके।
जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, उनका पूरा ध्यान देश में गंदगी समाप्त करने की ओर है। महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में नि:संकोच लोगों के शौचालय साफ करते थे और औरों को भी यह प्रेरणा देते थे कि वे अपने अपने शौचालय साफ करें। बहुत से लोगों ने महात्मा गांधी से यह शिकायत की थी कि यह उनका काम नहीं है। इस पर महात्मा गांधी का कहना था कि सभी काम बराबर हैं। उन्हें किसी के शौचालय को साफ करने में कोई तकलीफ नहीं होती है।
बात जब सफाई की आती है तो मुझे एक घटना बरबस याद आ जाती है। चीन की हम कितनी भी आलोचना करें, परंतु चीन की सरकार ने डंडे के बल पर पूरे चीन को साफ-सुथरा कर दिया है। यह कठोर अनुशासन से ही संभव हो सका है। कुछ वर्ष पहले जब मैं सांसद था तो एक प्रतिनिधि मंडल में चीन गया था। हमारे डेलीगेशन के एक सांसद ने सड़क पर थूक दिया था। वहां खड़े पुलिसकर्मी ने उस सांसद को एक कागज पकड़ाया और कहा कि वह इस थूक को साफ कर दे और उस कागज को कूड़ेदान में डाल दे। दुभाषिये ने पुलिसकर्मी को बहुत समझाया कि ये एक मित्र देश के प्रतिष्ठित सांसद हैं और मंत्री के बराबर हैं। अत: इनसे इस थूक को साफ नहीं कराया जाए, परंतु आधे घंटे की बहस के बाद भी जब पुलिस का सिपाही नहीं माना तब उसी दुभाषिये ने उस थूक को साफ कर उस कागज को कूड़ेदान में डाल दिया। कहने का अर्थ है कि कोई देश तभी आगे बढ़ता है जब वहां कठोर अनुशासन हो और छोटे बड़े सभी लोग सफाई का पूरा ख्याल रखें।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कई महत्वपूर्ण योजनाओं की घोषणा की। उन्होंने कहा कि देश के हर परिवार को बैंक खाता मुहैया कराया जाएगा। गरीब से गरीब परिवार का भी एक बैंक खाता खुलवाया जाएगा। इसके अलावा देश के हर व्यक्ति को चाहे वह कितना भी गरीब हो, एक लाख रुपये तक बीमा की सुविधा प्रदान की जाएगी। यह एक अत्यंत ही जनकल्याणकारी घोषणा थी। आज तक होता यह था कि यदि किसी गरीब किसान या मजदूर की दुर्घटना में मृत्यु हो जाती थी तो उसका परिवार भीख मांगने के लिए लाचार हो जाता था। अब ऐसा नहीं होगा, क्योंकि पीड़ित परिवार को बीमे की एक अच्छी रकम मिलेगी और परिवर के आर्शितों को दर-दर की ठोकर खाने के लिए मजबूर नहीं होना होगा। मोदी ने समाज में महिलाओं की सुरक्षा के लिए अनेक उपाय सुझाये। उनका कहना ठीक था कि बचपन से लड़कियों को लड़कों की तरह ही परिवार में सम्मान मिलना चाहिये जिससे बड़े होने पर उनमें हीन भावना नहीं पनपे। उन्होंने ‘मेड इन इंडिया’ की जो बात कही वह अत्यंत ही महत्वपूर्ण थी। आज पूरे देश में सस्ता चीनी सामान भर गया है। उनके स्थान पर यदि भारत का सामान बिके तो भारत का बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण हो सकता है और बेकारी दूर हो सकती है।
संक्षेप में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोये हुए भारत के विवेक को झकझोरा है और इसमें कोई संदेह नहीं कि आने वाले दिनों में उनकी अपील का बहुत ही सकारात्मक प्रभाव देश पर पड़ेगा।
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