मोदी के अमेरिका दौरा सफल होने से आलोचकों को मिला जवाब

मोदी के अमेरिका दौरा सफल होने से आलोचकों को मिला जवाब
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बाकी सांसदों को भी मोदी की तारीफ करते देखा सुना गया। क्या इसके बाद कुछ कहने की आवश्यकता है?
इस मायने में भारत से अभागा देश कौन होगा जहां अभी भी पत्रकारिता, बौद्धिकता, एनजीओ, अकादमिक क्षेत्र आदि में ऐेसे लोगों की बड़ी संख्या है जो अंत-अंत तक यह साबित करने में तुले रहे कि नरेंद्र मोदी की बातें झूठी हैं, उन्हें अमेरिका महत्व नहीं दे रहा। आप कुछ चैनलों पर आरंभ के चार दिनों की बहस देख लीजिए, कुछ अखबारों की टिप्पणियों पर नजर दौड़ा लीजिए और फेसबुक जैसे सोशल नेटवर्किंग साइट पर तो ये लोग इस तरह उल्टी करते रहे जैसे मोदी अमेरिका में विफल हो रहे हैं? यह दुर्भाग्यपूर्ण है। एक तो यह मोदी की यात्रा के शानदार सच के विपरीत है और दूसरे, यह इन लोगों की सोच और इरादे को शर्म के कठघरे में खड़ा करता है। इन मामलों मे तथ्यों की ओर बढ़ें उससे पहले यह कहना आवश्यक है कि नरेंद्र मोदी हमको आपको पसंद हैं या नहीं, लेकिन वे हमारे प्रधानमंत्री हैं। उनकी विफलता का अर्थ देश की कूटनीति की विफलता। उनके उपहास या अपमान का मतलब देश का उपहास और अपमान। किसी परिपक्व देश के नागरिक ऐसी कामना नहीं कर सकते कि उनका प्रधानमंत्री विदेश भूमि पर विफल हो जाए। हर भारतवासी की कामना होगी कि हमारा प्रधानमंत्री जहां भी जाए वहां से सफलता पाकर लौटे। तो भाइयों कम से कम देश का तो सोचो।

आलोचकों के अनुसार अमेरिका का कोई नेता उनको रिसीव करने नहीं पहुंचा। यह आश्चर्य की बात है कि बड़े पत्रकार और विशेषज्ञ ऐसा बोलते रहे। क्या इन्हें इतना भी ज्ञान नहीं था कि संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यक्रम में जाने वाला कोई नेता अमेरिका का राज्य अतिथि नहीं होता? मोदी वहां अकेले नहीं थे, सभी देशों के नेता थे और सबके साथ ऐसा ही होता है, होता था और होता रहेगा। सभी संयुक्त राष्ट्र संघ के अतिथि थे और अमेरिका को उनकी सुरक्षा एवं अन्य व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी है। मोदी की अमेरिका की राजकीय यात्रा 29 सितंबर से आरंभ हुई और प्रोटोकॉल के तहत उनके साथ जो व्यवहार हुआ उसके बाद ये क्या कहेंगे? बराक ओबामा का ह्वाइट से बाहर आकर मोदी का स्वागत करना, केम छो पूछना, उनकी देखभाल, और सुरक्षा की पूरी व्यवस्था, ह्वाइट के विशिष्ट अतिथि गृह ब्लेयर हाउस में ठहराया जाना। यह सब क्या अमेरिकी प्रशासन द्वारा मोदी को नजरअंदाज करना है?

मैडिसन स्क्वायर गार्डन के उनके भाषण में करीब 40 सांसद व कुछ प्रांतों के गवर्नर मौजूद थे। क्या यह किसी को नजरअंदाज करने का व्यवहार था? जॉर्जिया से कांग्रेस सदस्य हैनरी सी हैंक जॉनसन को कहना पड़ा कि अब मैं समझा कि भारत के लोगों ने उन्हें क्यों चुना है। टैक्सास से कांग्रेस के सदस्य पेटे ओल्सन ने कहा, उनके पास एक परिपूर्ण दृष्टिकोण है। उनके पास उसे सच करने की योजना है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस स्थान को एक रॉक स्टार की तरह भीड़ से भर दिया। व्योमिंग से कांग्रेस की महिला सदस्य सिंथिया ल्यूमिन्स ने मोदी को भारत के लिए एक परिवर्तनकारी शख्सियत बताया। मैं इस समारोह के लिए व्योमिंग से आई हूं, क्योंकि मुझे यकीन है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए वे परिवर्तनकारी शख्सियत हैं। बाकी सांसदों को भी मोदी की तारीफ करते देखा सुना गया। क्या इसके बाद कुछ कहने की आवश्यकता है?

आरंभ के तीन दिनों में अमेरिकी पे्रस प्रधानमंत्री को महत्व दे रहा है या नहीं इसकी कसौटी केवल यही हो सकती थी कि अन्य प्रमुख देशों के नेताओं की तुलना में उनको कितना कवर मिला। ऐसा तो हो नहीं सकता कि सबको छोड़कर केवल मोदी को ही पहले से अंतिम पृष्ठ तक स्थान मिल जाए। पता नहीं मोदी के अंध विरोध में ये कैसे भूल गए कि संयुक्त राष्ट्र और मैडिसन स्क्वायर भाषण के बाद मोदी को पर्याप्त कवरेज मिला। दोनों की अमेरिका मीडिया में व्यापक चर्चा हुई और किसी राष्ट्रध्यक्ष को उतना कवरेज नहीं मिला। सीएनएन ने अपने पोर्टल पर लिखा, पिछले हफ्ते से करीब 130 देशों के प्रमुख संयुक्त राष्ट्र संघ सम्मेलन हिस्सा लेने के लिए न्यूयॉर्क आ चुके हैं। जिस तरह का स्वागत भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का किया गया, किसी और देश के समुदाय ने अपने पीएम का वैसे स्वागत नहीं किया। यूएसए टुडे ने लिखा कि मोदी ने रॉक स्टार का दर्जा हासिल कर लिया है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा, राष्ट्रपति ओबामा से मुलाकात से पहले मैडिसन स्क्वायर पर उनके भाषण से यह पता चला कि वह अमेरिका से आखिर क्या चाहते हैं। बड़ी ही चतुराई से प्रभावशाली भारतीय अमेरिकियों को रिझाने की कोशिश भी की

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