बाढ़ पर लगाइए लगाम

बाढ़ पर लगाइए लगाम
X
गंगा के अलावा शारदा, राप्ती, गंडक और घाघरा की वजह से पूर्वी उत्तर प्रदेश में बाढ़ आती है।

बाढ़ के प्राकृतिक कारण तो हमेशा से रहे हैं लेकिन विकास की विसंगतियों से भी यह समस्या गहराई है। आधे-अधूरे संकल्पों औऱ स्वार्थों के कारण हम बाढ़ के विस्तार को रोकने में तो असफल रहे ही हैं, बल्कि बाढ़ से होने वाली क्षति को कम करने में भी विफल रहे हैं।

गुजरात, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, ओडिशा सहित देश के कुछ हिस्से जहां भारी वर्षा, बाढ़ से त्रस्त हैं, वहीं कुछ राज्य पर्याप्त वर्षा नहीं होने से परेशान हैं। बाढ़ आज भी हमारे किसानों और गांव वालों के लिए एक बड़ी समस्या है। गंगा और उसकी अन्य सहायक नदियां ऐसे क्षेत्रों में बहती हैं जहां वर्षा मुख्यतया दक्षिण-पश्चिम मानसून के द्वारा जून से सितंबर तक होती है। अब रेगिस्तानी प्रदेश राजस्थान और गुजरात में भी बाढ़ आने लगी है। यह हमारी नई विकास नीतियों और बड़े-बड़े बांधों का नतीजा है। इसका सबसे अधिक खामियाजा हमारे गांव के किसानों और ग्रामीणों को भोगना पड़ता है।
कहीं तटबंध टूटने से बाढ़ आती है तो कहीं बांधों में दरार पड़ जाने से इलाका जलमग्न हो जाता है। बाढ़ के प्राकृतिक कारण तो हमेशा से रहे हैं लेकिन विकास की विसंगतियों से भी यह समस्या गहरायी है। आधे-अधूरे संकल्पों और न्यस्त स्वाथरें के कारण हम बाढ़ों के विस्तार को रोकने में तो असफल रहे हैं, बल्कि बाढ़ से होने वाली क्षति को कम करने में भी विफल रहे हैं।
राजनीति इतनी व्यापक और दांव-पेंच वाली हो गई है कि थोड़ा सा काम जो समस्यायुक्त नदियों के लिए उनके तटों के बांधने या बनाने का होना चाहिए था वह भी नहीं हो पा रहा है। ब्रह्मपुत्र की बाढ़ से असम के कई जिलों में भी भीषण क्षति पहुंची है। बांग्लादेश के बाद भारत ही दुनिया का सबसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित देश है।
देश की लगभग चार करोड़ हेक्टेयर जमीन बाढ़ की आशंका वाली है। भारत में एक अध्ययन के अनुसार हर साल बाढ़ से औसतन 1250 लोग मरते हैं तथा 75,000 से ज्यादा मकान बाढ़ व तूफानों से गिरते हैं। संपत्ति की हानि का मूल्य लगभग पचास हजार करोड़ रुपये प्रतिवर्ष आंका गया है। ये आंकड़े जहां लगातार बिगड़ती स्थिति का संकेत देते हैं वहीं प्रकृति से छेड़छाड़ के भयावह परिणामों से निपटने की दिशा में सही तैयारी के अभाव को उजागर भी करते हैं। इसीलिए हर साल मानसून आने के बाद बाढ़ और गरमी की शुरुआत होते ही पानी का संकट पैदा हो जाता है।
पिछले 50 वर्षों में कुल मिलाकर बाढ़ पर 70 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन हमारे देश में बाढ़ जिस बड़े पैमाने पर आती है उस हिसाब से अभी बहुत सा काम बाकी है। बाढ़ निरोध के उपयों की अधिकांश जिम्मेदारी अभी राज्यों पर ही है। केंद्र सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से राज्य को सहयोग करता है। भारत में बाढ़ की रोकथाम के बारे में सबसे अधिक कार्य वैज्ञानिक डॉ. मेघनाद साहा ने किया है। उन्होंने भारत की नदियों की समस्या की व्याख्या की और बताया कि र्जमनी, अमेरिका और रूस में कैसे नदियों को नियंत्रित किया जाता है।
बाढ़ पर लगाम लगाने के लिए जल संसाधन मंत्रालय से संबद्घ केंद्रीय जल आयोग है। इसका प्रमुख कार्य राज्य सरकारों द्वारा प्रस्तावित सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण और बहुउद्देशीय परियोजनाओं का तकनीकी-आर्थिक मूल्यांकन करना है। इसके साथ ही 175 बाढ़ पूर्व सूचना केंद्रों के नेटवर्क के जरिए भारत की सभी प्रमुख बाढ़, आशंका वाली अंतर राज्य नदी घाटियों के लिए बाढ़ पूर्व सूचना सेवाएं उपलब्ध कराना है। देश में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को तीन र्शेणियों में बांटा जा सकता है। गंगा बेसिन का उत्तरी हिस्सा सर्वाधिक प्रभावित होता है। इसके लिए उत्तरी सहायक नदियां जिम्मेदार हैं। इस बेसिन के सर्वाधिक प्रभावित राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल हैं।
गंगा के अलावा शारदा, राप्ती, गंडक और घाघरा की वजह से पूर्वी उत्तर प्रदेश में बाढ़ आती है। यमुना की वजह से हरियाणा, दिल्ली प्रभावित होता है। बागमती, गंडक और कमला अन्य छोटी नदियों मिलकर हर साल बिहार में बाढ़ का खौफनाक मंजर पेश करती हैं। बंगाल की तबाही के लिए महानंदा, भागीरथी, दामोदर जैसी नदियां जिम्मेदार हैं।
ब्रह्मपुत्र और बराक बेसिनों में पानी की अधिक मात्रा होने से इन नदियों के आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ आती है। ये अपनी सहायक नदियों के साथ पश्चिम बंगाल और उत्तर पूर्वी राज्यों असम और सिक्किम को प्रभावित करती हैं। मध्य भारत और दक्षिण नदी बेसिन ओडिशा में महानदी, वैतरणी और ब्राणी बाढ़ का संकट पैदा करती हैं। इन तीनों की वजह से बना डेल्टा क्षेत्र बेहद घनी आबादी का है। इस कारण अधिक तबाही होती है।
खबरों की अपडेट पाने के लिए लाइक करें हमारे इस फेसबुक पेज को फेसबुक हरिभूमि, हमें फॉलो करें ट्विटर और पिंटरेस्‍ट पर-

और पढ़े: Haryana News | Chhattisgarh News | MP News | Aaj Ka Rashifal | Jokes | Haryana Video News | Haryana News App

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo

Tags

Next Story