दल की आलोचना देश की न बने, अलोचना राजनीतिक दलों का संवैधानिक अधिकार

राजनीति में अपने विरोधी की आलोचना किसी भी राजनीतिक दल का संवैधानिक अधिकार है। लेकिन हर अधिकार की तरह यह अधिकार भी जिम्मेदारी की अपेक्षा करता है। राजनीतिक दल आलोचना करते समय इस पहलू को अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। इसलिए दल की आलोचना कब सीमा पार करके देश की आलोचना में बदल जाती है उन्हें पता ही नहीं चलता। पिछले साठ दशकों में भारत और अमेरिका के संबंध इतने अच्छे कभी नहीं रहे हैं जितने नरेन्द्र मोदी की आठ महीने की सरकार के समय बने हैं। संबंधों की यह प्रगाढ़ता दोनों देशों के लिए परस्पर लाभ पहुंचाने वाली है। लेकिन कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पीआर लगता है। सवाल उठता है कि आखिर क्यों?
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