हाशिए पर तिरंगे की गरिमा! राष्ट्रीय पर्व के प्रति लोगों के आदरभाव में आई कमी

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By - Satish Singh |25 Jan 2015 9:08 PM
ध्वजारोहण के लिए खास दिन निर्धारित हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में अक्सर गलत ढंग से राष्ट्रीय ध्वज का ध्वजारोहण करके उसका अपमान किया जाता है।
बीते सालों में राष्ट्रीय पर्व के प्रति लोगों के आदरभाव में कमी आई है। भारत का संविधान को 26 जनवरी, 1950 को अपनाया गया। इसी उपलक्ष्य में हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। इस साल हम 65वां गणतंत्र दिवस मनाएंगे। बहरहाल, इतने साल बीत जाने के बाद भी अधिकांश लोगों को न तो राष्ट्रध्वज के बारे में किसी तरह की जानकारी है और न ही उनके मन में इसके प्रति सम्मान का भाव।
राष्ट्रध्वज को फहराने का अधिकार नागरिकों के मूलभूत व अभिव्यक्ति के अधिकार का हिस्सा है, लेकिन नागरिकों के द्वारा राष्ट्रध्वज का सम्मान किया जाना चाहिए। सर्वोच्च न्यायलय के 22 सितंबर, 1995 के निर्णय के मुताबिक भी भारत का प्रत्येक नागरिक राष्ट्रीय ध्वज के घ्वजारोहण के लिए स्वतंत्र है, लेकिन संविधान के अनुच्छेद 19 में यह भी कहा गया है कि नागरिकों को ध्वज संहिता के अनुसार ही राष्ट्रध्वज का ध्वजारोहण करना चाहिए।
राष्ट्रीय ध्वज का केसरिया रंग क्रांति, साहस और बलिदान का प्रतीक है, सफेद रंग सत्य एवं शांति का और हरा रंग श्रद्धा व शौर्य का। 24 श्लाकाओं वाला गहरा नीला चक्र निरंतर गतिमान समय एवं विकास का प्रतीक है। इस तरह से देखा जाए तो राष्ट्रीय ध्वज देश के मान-सम्मान का प्रतीक है। इसका ध्वजारोहण हम अपनी मर्जी से नहीं कर सकते हैं। लिहाजा, राष्ट्रीय ध्वज से जुड़ी हर जानकारी का होना सभी लोगों के लिए अति-आवश्यक है। ध्वज संहिता में भी इस बात पर बल दिया गया है, बावजूद इसके आम व खास लोगों के सतही व अधकचरे ज्ञान की वजह से अकसर राष्ट्र ध्वज का अपमान होता है
राष्ट्रध्वज की लंबाई, चौड़ाई से डेढ़ गुना होना चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज साफ-सुथरा तथा कटा-फटा नहीं होना चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज का ऊपरी रंग केसरिया और नीचे का रंग हरा होना चाहिए। मध्य में स्थित अशोक चक्र में 24 श्लाकाएं हैं या नहीं हैं, इसे भी सुनिश्चित करना चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज का ध्वजारोहण ऐसी जगह पर की जानी चाहिए, जहां इसके अपमान की कोई गुंजाइश न हो, मसलन, ऊंचाई इतनी हो कि वह दूर से दिखाई दे, ध्वजारोहण के समय यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि वह जमीन, दीवार, वृक्ष या मुंडेर इत्यादि से सटा न हो, राष्ट्रीय ध्वज और स्तंभ को माला इत्यादि से विभूषित नहीं किया जाना चाहिए, निजी वाहनों पर राष्ट्रीय ध्वज नहीं लगाना चाहिए, एक स्तंभ पर दो राष्ट्रीय ध्वज एक साथ नहीं फहराना चाहिए, राष्ट्रीय ध्वज का इस्तेमाल कभी भी सजावट की वस्तु की तरह नहीं करना चाहिए, सूर्योदय पश्चात राष्ट्रध्वज नहीं फहराना चाहिए एवं सूर्यास्त होने पर सम्मानपूर्वक इसे उतार लेना चाहिए आदि।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय ध्वज का मौखिक या लिखित शब्दों या किसी भी प्रकार की गतिविधि के द्वारा अपमान करना राष्ट्रीय प्रतिष्ठा के अपमान निवारण अधिनियम 1971 के अधीन दंडनीय अपराध है। बिना केंद्रीय सरकार की अनुमति के राष्ट्रीय ध्वज का प्रयोग करना प्रिवेंशन आॅफ इम्प्रापर यूज एक्ट 1950 के तहत अपराध है। राष्ट्रीय ध्वज के ध्वजारोहण के लिए खास दिन निर्धारित हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में अक्सर गलत ढंग से राष्ट्रीय ध्वज का ध्वजारोहण करके उसका अपमान किया जाता है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय ध्वज का ध्वजारोहण 26 जनवरी और 15 अगस्त के अतिरिक्त सिर्फ कुछ खास मौकों पर ही किया जा सकता है, जैसे, बिटिंग-रिट्रीट कार्यक्रम के सम्पन्न होने तक यानी 26 जनवरी से 29 जनवरी तक राष्ट्रीय ध्वज का ध्वजारोहण किया जा सकता है, जालियावालां बाग के शहीदों की स्मृति में मनाये जाने वाले राष्ट्रीय सप्ताह में भी राष्ट्रीय ध्वज फहराया जा सकता है, राज्य के स्थापना दिवस समारोह में, भारत सरकार द्वारा निर्धारित किए गये राष्ट्रीय उल्लास के दिन भी राष्ट्रीय ध्वज का ध्वजारोहण किया जा सकता है आदि। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि राष्ट्रीय ध्वज को फहराते समय या उतारने के दरम्यान या फिर निरीक्षण के समय वहां पर उपस्थित सभी लोगों का मुख राष्ट्रीय ध्वज के तरफ सावधान मुद्रा में हो और जब भी ध्वज व्यक्ति विशेष के सामने से गुजरे तो वह उसका अभिवादन या सम्मान करे। उल्लेखनीय है कि विशिष्ट व्यक्ति बिना शिरोवस्त्र के भी सलामी ले सकते हैं।
राष्ट्रीय ध्वज के निर्माण का एक इतिहास रहा है। शुरू में राष्ट्रीय ध्वज के कपड़े का निर्माण स्वाधीनता सेनानियों के एक समूह के द्वारा उत्तरी कर्नाटक के धारवाड़ जिला के बेंगलुरु-पूना मार्ग में स्थित गरग गांव में किया जाता था, जिसकी स्थापना 1954 में की गई थी। गरग गांव लंबे समय तक खादी के तिरंगे के निर्माण का केंद्र बना रहा। अब राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण क्रमश: आॅर्डिनेंस फैक्टरी, शाहजहांपुर और खादी ग्रामोद्योग आयोग, दिल्ली में किया जाता है।
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